Small Byte of Mosquito can become fatal

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मच्छर फैलाते हैं कौन कौन सी बीमारियां, उनके खतरे, लक्षण , बचाव , इलाज जानते हैं

अगर पूछा जाए कि आपको सबसे खतरनाक जानवर कौन सा लगता है तो दिमाग में है शेर, मगरमच्छ, अजगर जैसे खतरनाक जानवरों का ही ख्याल आएगा। लोकिन ये जानवर हमसे दूर हैं, हमें नुकसान पहुंचाने , हमें मारने के लिए हमारे पास नहीं आ सकते है ।पर एक ऐसा खतरा जो दिखने में छोटा सा है पर आप तक पहुंचने के लिए उसके पास ना तो दीवरों की बंदिशें हैं, ना ही कपड़ों की।

वो चाहे तो आपके बेडरूम में घुसकर आपकी प्राइवेसी पर हमला कर सकता है, आपको कभी भी किसी भयंकर बीमारी का शिकार भी बना सकता है। कौन है ये खतरा ? शायद आप समझ गए होंगे, हम बात कर रहे हैं एक मच्छर की । जिसके काटने से होने वाली बीमारियां,आपके लिए बडे बडे जानवरों के हमले से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है।

एक छोटा सा मच्छर – जान के लिए बन सकता है खतरा -किसने की इसकी खोज

आपको बता दें कि पहले ये बात किसी को पता नहीं थी कि गंभीर बीमारियां फैलाने में एक छोटा सा मच्छर कितना बड़ा रोल अदा करता है और मानव के लिए एक मच्छर कितना खतरनाक हो सकता है। इस बात को जानने के लिए बहुत बड़ा रोल रहा है डा रोनाल्ड रोस का। जो भारत के अल्मोड़ा में १८५७ में पैदा हुए थे, उन्होंने इंडियन आर्मी मेडिकल आँफिसर की नौकरी की और पूरी जिंदगी मलेरिया की पहेली सुलझाने में लगा दी।

उन्हीं की खोज का नतीजा है जिससे हमें पता चला कि मच्छर बीमारी को फैलाने के बहुत बड़े कारण हैं। अपनी खोज में रोनाल्ड ने पता लगाया कि मलेरिया फैलाने वाले पैरासाइटिस, संक्रमित मच्छर के जरिए एक शरीर से दूसरे शरीर में पहुचंते हैं और उसे भी बीमार बना देते हैं।

मलेरिया से पीडि़त मरीज को जब मच्छर काटते हैं तो परजीवी खून के जरिए मच्छर के शरीर में चले जाते हैं और जब यही संक्रिमत मच्छर दूसरे स्वस्थ आदमी को काटता है तो परजीवी उसके खून में चले जाते हैं और वो भी मलेरिया का मरीज बना जाता है।

कौन कौन से मच्छर हो सकते हैं जानलेवा

मादा एनीफीलिस, मादा एडीज , क्यूलेक्स मच्छर , इन मच्छरों की अलग-अलग प्रजाति हैं और देश के अलग-अलग हिस्सों में पनप रही हैं, मच्छरों के जरिए हमारे देश में कईं बीमारियां फैल रही है जो बहुत बार जानलेवा भी साबित हो रही हैं

ये हैं—मलेरिया, डेंगू, चिकिनगुनिया, जापानी इंसैप्लाइटिस, फिलेरिअसिस Filariasis (हाथी पांव) और जीका

बहुत तेजी से बढ़ती है मच्छरों की जनसंख्या

बहुत तेजी से बढ़ती है मच्छरों की जनसंख्या

मच्छर खतरनाक इसलिए भी है कि इनकी जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ती है और एक बार में ये एक-दो को नहीं बल्कि बहुत से लोगों को काट कर संक्रमित कर देते हैं। मादा मच्छर नर के मुकाबले ज्यादा जीता है। मादा मच्छर ३०-५५ दिनों तक जिंदा रहते हैं । इस दौरान ये मादा मच्छर दो-से तीन बार अलग-अलग जगहों पर अंडे दे देती है।

मादा एडीज एक बार में ५० से १०० अंडे देती है और एक दिन में ७०-८० लोगों को भी काट लेती है। ये दिन में काटती है और खून की खुराक एक आदमी से पूरी ना मिलने पर अलग-अलग लोगों को काटती है।

एनोफीलिज एक बार में कुछ ज्यादा १०० से १५० अंडे देती है ये रात का काटती है और ५-१० सोए हुए लोगों को काटने से ही इसकी खुराक पूरी हो जाती है। क्यलेकस मादा १५०-२०० अंडे देती है और ये भी शाम के समय धरों में घुसकर लोगों को काटती है। एक बार में ये भी ५-१० आदमी को काट लेती है।

कौन-कौन सी बीमारियां फैलाते हैं मच्छर

कौन-कौन सी बीमारियां फैलाते हैं मच्छर

मलेरिया

आंकडे़ बताते हैं कि हर साल मलेरिया दस लाख लोगों की जान ले लेता है और इनमें ज्यादातर बच्चे होते हैं। विश्व की लगभग चालीस फीसदी जनसंख्या मलेरिया फैलने वाले खतरनाक इलाकों में रहती है।

कैसे फैलता है मलेरिया —

फलसीपैरम और वाईवेक्स नाम के पैरासाइडाइस के कारण मलेरिया होता है। ये मानव शरीर में पनपते हैं , और जब मादा एनोफिलीस मच्छर इन पैरासाइटस से पीड़ित आदमी को काटती है और फिर एक स्वस्थ आदमी को काटती है तो ये पैरासाइटिस खून के जरिए उस आदमी के शरीर में पहुंचकर उसे भी बीमार कर देते हैं।

ये बच्चों के दिमाग में खून की सप्लाई बंद कर देता है साथ ही खून की कमी होने के कारण भी बच्चों की मौत हो जाती है। गंभीर बात ये भी है कि इलाज के बाद भी कईं मामलों में इसका इंफेक्शन लिवर में रह जाता है और दोबारा व्यक्ति को बीमार बना देता है। गर्भवती महिलाओं को यदि मलेरिया हो जाए तो ये अजन्मे शिशु की मौत का भी कारण बन सकता है।

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मलेरिया के लक्ष्ण —बुखार आना मलेरिया का पहला सबसे बड़ा लक्ष्ण है। इसके अलावा बुखार के साथ ठंड लगना, थकावट, सिर दर्द होता है। मच्छर काटने के १० से २८ दिनों के अंदर इसके लक्ष्ण आने शुरू होते हैं।

डेंगू

डेंगू भी मच्छरों की ही फैलाई बीमारी है। आंकडों के मुताबिक हर साल इससे दस हजार लोगों की जान चली जाती है। इसमें मादा एडीज मच्छर डेंगू फैलाने वाले वायरस को एक शरीर से दूसरे शरीर में पहुंचाते हैं।

डेंगू के लक्ष्ण—जोड़ों में दर्द, तेज बुखार, शरीर पर लाल रंग के चकते पड़ जाना , बहुत ज्यादा सिर में दर्द, आंखों के पीछे दर्द होना, उलटी होना।

क्या इलाज है——आपको बता दें, डेंगू वायरस बीमारी है और इसका कोई इलाज नहीं है, और वायरस बुखारों की तरह इसमें भी खान-पान पर ध्यान देने के साथ आराम करने से ये सात से दस दिन में ठीक हो जाता है। शरीर में दर्द और बुखार के लिए डाक्टर बस पैरासीटामोल लेने की सलाह लेते हैं। शरीर में पानी की कमी ना हो इसलिए पानी, सूप को लगातार पीते रहें। फल- सलाद हल्के भोजन का सेवन करें। लोग खून पतला करने की दवा लेते हैं जैसे एसप्रिन लेते हैं वे उसका सेवन बिल्कुल बंद कर दें, इससे शरीर के अंदर ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है।

डेंगू बिगड़ गया तो क्या हैं लक्ष्ण—– यदि डेंगू गंभीर हो जाए तो डेंगू हैमरेजिक फीवर को रूप ले लेता है, इसमें मरीज के मुंह, नाक, मसूड़ों में से खून निकलना शुरू हो जाता है। शरीर के अंदर ब्लीडिंग हो जाती है और शौच के रास्ते खून आता है। प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है।

डेंगू शाँक सिंड्रोम —इसमें पेट में बहुत ज्यादा दर्द होता है, बीपी एकदम गिर जाता है, ब्लीडिंग बहुत ज्यादा होती है। बार-बार उल्टी शुरू हो जती है।

चिकिनगुनिया—-ये भी डेंगू की तरह फैलने वाली बीमारी है। इसे भी मादा एडीज मच्छर ही फैलाते हैं। इसमें बुखार के साथ-साथ जोड़ों में सबसे ज्यादा दर्द होता है। कईं बार मरीज के दस जोड़ों में एक साथ दर्द होता है।

फिलरिअसिस—इसे हाथी पांव बीमारी के नाम से भी जाना जाता है। ये धागे की तरह दिखने वाले एक परजीवी कीड़े के कारण होती है। इस इंफेक्शन को भी एक आदमी से दूसरे तक पहुचाने में क्यूलेक्स मच्छर की एक प्रजाति काम करती है।

ये कीड़े जब मच्छर के जरिए आदमी के शरीर में पहुंचते हैं तो सबसे पहले उसके लिम्फोनिट सिस्टम पर अटैक करते हैं। जिससे पांव बुरी तरह से सूज जाते हैं। शुरूआती तौर पर लक्ष्ण का पता नहीं चलता लेकिन बाद में शरीर में काफी सूजन दर्द के साथ आने लगती है और पांव बुरी तरह फैल जाते हैं।

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कैसे पनपते हैं इसके मच्छर

इसके मच्छर गंदे पानी में पनपते हैं और जहां बहुत हयूमिडिटी होती है वो इन मच्छरों को मदद करती है कि वो परजीवी कीड़े को आदमी के शरीर में आसानी से पहुंचा दें। ये मच्छर अपने शरीर के आगे वाले हिस्से से कीड़े आदमी के शरीर में पहुंचाते हैं और गर्मी होती है तो लारवा आदमी के शरीर में जाने की बजाय सूख कर नीचे गिर जाते हैं।

जापानी एंसाफिलाइटिस

ये बीमारी फलेवीवायरस के कारण होती है इसे जापानी एंसाफिलाइटिस वायरस भी कहते हैं और इसे भी क्यूलेक्स मचछर की ही एक प्रजाति स्वस्थ आदमी तक फैलाने का काम करती है। इसके वायरस सूअरों और सफेद बगुलों में ज्यादा पाए जाते हैं और मच्छर इन्हें आदमी तक पहुंचा देते हैं।

ये बीमारी दिमाग पर अटैक करती है और दिमाग में सूजन कर देती है। कईं बार ये बैक्टीरिया इंफेकेशन और पैरासाइटिस से भी फैल जाती है। यूपी के कई इलाकों खासकर गोरखपुर में इसका बहुत प्रकोप देखा जा रहा है।

क्या हैँ लक्ष्ण

शुरूआती तौर पर हल्का बुखार और सिर में दर्द होता है। लेकिन यदि बीमारी बिगड़ जाती है तो दिमाग में सूजन आ जाती है, दौरे पड़ने लगते हैं, मरीज कोमा में चला जाता है।

मच्छरों को पनपने से कैसे रोकें

मच्छरों को पनपने से कैसे रोकें—

कईं बार छतों में बेकार पडे सामान, कूलर, खाली पडे़ गमलों में पानी जमा होने लगता है और पता ही नहीं चलता कि उनमें डेंगू ,चिकिनगुनिया फैलाने वाले एडीज मच्छर पनपने लगे हैं। इसलिए इस दौरान एक बार कूलर की और पानी की टंकी को पूरी तरह खाली , अच्छी तरह साफ रगड़ कर साफ करें और धूप लगने दें ।

यदि आप पानी की कमी के कारण टंकी पूरी खाली नहीं कर सकते तो पीने के टंकी के पानी में गोलियां डालने की सलाह दी जाती है । एक बार टंकी साफ करें तो उसे अच्छी तरह ढ़क कर रखें जिससे मच्छर अंदर ना जा सके और अंडों का जन्म ना हो।

आसपास यदि बड़ी मात्रा में पानी जमा होगा तो मलेरिया फैलाने वाले एनोफीलिस मच्छर पनपेंगे और यदि गंदा पानी जमा है तो क्यूलेक्स मच्छर पनपेंगे और दोनों ही बीमारियां फैलाएंगे।

एनोफीलिस मच्छर गंदे और साफ दोनों पानी में पनप जाते हैं।

मच्छर कहां छिपते हैं

मच्छर ज्यादातर अंधेरे वाली जगह, दीवारों के कोने, परदों के अंदर, सोफे, बैड, टेबल के नीचे छुपे रहते हैं। इसलिए रोजाना इन जगहों की अच्छी तरह से सफाई करें।

ध्यान देने वाली बात है कि ये मच्छर रात को काटते हैं।

अंधेरा होते ही ये सक्रिय हो जाते हैं और रात ९-१० बजे से दिन उगने तक काटते हैं। इसलिए रात होते ही ये मच्छर शिकार की तलाश में घरों के अंदर घुसने की कोशिश करते हैं। क्यूलेक्स मच्छर रात के मुकाबले शाम को घर में धुस कर लोगों को काटते हैं।

मच्छरों के काटने से कैसे बचें

अपने दरवाजों और खिड़कियों पर जालियां लगाएं और उन्हें ना खोलें, रोशनी में ये ज्यादा आते हैं इसलिए कमरों में ज्यादा रोशनी ना करें। शाम को जरूरत पड़ने पर ही कमरों में लाइट जला कर रखें। इसके अलावा घर में मोसक्यूटो रिपेलेंट जला कर रखें।

घर ये बाहर जाते समय क्या सावधानी बरतें

बच्चों को रिप्लेंट क्रीम या रिप्लेंट युक्त बैंड पहनाकर स्कूल भेजें और जब वो खेलने के लिए बाहर निकल रहे हों। बड़े लोग स्प्रे या क्रीम का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

मच्छरों से बचने के लिए पूरी बाजू के कपडें पहने और कोशिश करें की टांग पूरी तरह से कवर हो, पांव में जुराब पहने इससे भी आप अपने आप को मच्छरों से काफी हद तक बचा सकते हैं।

कैसे करें रिप्लेंट का चुनाव

-रिप्लेंट चाहे जलाना हो, शरीर में लगाना हो या हाथ में बांधना हो, कोई भी रिपलेंट खरीदने से पहले आपको उनमें इस्तेमाल होने वाले अलग-अलग कैमिकल-पदार्थों की मात्रा जरूर देखनी चाहिए,

नेचुरल रेप्लेंट

मच्छर भगाने के लिए नीम की पत्ति, कपूर, तेजपत्ता या लोबान , लौंग को घर में जला सकते हैं इससे मच्छर भाग जाते हैं, टरपनटाइल का तेल भी मच्छर को भगाने में मदद करता है।

(All Out) की केमिकल वाली खाली रीफिल में नीम का तेल और कपूर डाले और रिफिल को मशीन में लगा दे पूरी रात मच्छर नही आयेगे, यदि मशीन नहीं तो कपूर और नीम के तेल का दीपक जला सकते हैं। , एक नीबू को बीच से आधा काट लें और उसमें खूब सारे लौंग घुसा दें। इसे कमरे में रखें, लेवेंडर ऑयल की 15-20 बूंदें, 3-4 चम्मच वनीला एसेंस और चौधाई कप नीबू रस को मिलाकर एक बॉटल में रखें। पहले अच्छी मिलाएं और बॉडी पर लगाएं।

इसके अलावा लहसुन और प्याज के रस को शरीर में लगाने से भी मच्छर पास नहीं आते

मच्छर काटे तो क्या करें—-

  • बहुत बार मच्छर काटने से सूजन आ जाती है, लालपन हो जाता है और कईं बार त्वचा में इंफेक्शन भी हो जाता है। कुछ लोगों को मच्छर काटने के बाद एलर्जी की समस्या आती है , बुखार हो जाता है—ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
  • मच्छर काटने वाली जगह को खुजलाएं नहीं, इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है
  • चेहरे पर आई सूजन या लालपन ठीक नहीं हो रहा, खुजली लगातार आ रही है तो एंथीसटामाइनस Antihistamines) लगाएं , ये कारगर है और कैमिस्ट की दुकान पर आसानी से मिल जाएगी।
  • कैलेमाइन लोशन का भी उपयोग कर सकते हैं
  • कटे वाली जगह पर गर्म सेक करने से भी सूजन और खुजली कम होती है
  • गर्म नहीं कर सकते तो ठंडे का सेक करें
  • शहद एक नेचुरल एंटीबैक्टीरियल है और सूजन कम करने और इंफेक्शन ना फैले इसलिए इस्तेमाल होता है लेकिन बाहर जाने से पहले चेहरे का साफ करें क्योंकि शहद मच्छर-मकि्खयों का आकर्षित करता है

क्या चीजें मच्छरों को आकर्षित करती हैं,उनसे बचें

  • मच्छर पनपने के लिए हयूमिडिटी वाली जगहों को ढूढते हैं ऐसे में उन्हें पसीना अपनी ओर खींचता है, इसलिए कोशिश करें अपने पसीने को जल्दी से सूखाएं
  • गहरे रंग के कपड़ें मच्छरों को दूर से ही आकर्षित करते हैं
  • मच्छर पोटाशिय़म और नमक भी मच्छर को खिंचता है, इसलिए खाने में इसका सेवन कम करें
  • खूशबू भी मच्छरों को आकर्षित करती है खासकर फूलों की इसलिए खुशबूदार साबुन, इत्र का प्रयोग कर करें
  • शराब पीने से आपके शरीर से एक खास किस्म का कैमिकल निकलता है जो मच्छरों को पसंद है
  • एक सर्वे से पता चला कि ओ ब्लड ग्रूप के लोगों और गर्भवती महिलाओं को मच्छर सबसे ज्यादा काटते हैं। इसलिए उन्हें ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिएं
  • जिनके शरीर का तापमान ज्यादा रहता है मच्छर दूर से ही उस शरीर को पहचान लेते हैं, ऐसे लोगों को भी सावधान रहना चाहिए।
  • मच्छरों से बचने के लिए कुछ चीजें खाना भी फायदेमंद माना जाता है।
  • जैसे लहसन, प्याज का सेवन
  • टमाटर का सेवन ,
  • सेब से बना विनेगर
  • चिली पेपर
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