सूअर के शरीर में विकसित हुई मानव kidney-सैकड़ों मरीजों के लिए आशा की किरण
देश में हर साल दो से तीन लाख लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत -नहीं मिलती किडनी
हेल्थ मिनिस्ट्री से मिले हेल्थ संबंधी आंकड़े काफी चौकाने वाले और डरावने हैं । आंकड़ों के अनुसार देश में इस समय हर साल दो से तीन लाख लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती पर सिर्फ छह हजार लोगों को ही किडनी मिल पाती है। सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है कि लोगों में अंगदान को लेकर अभी तक जागरूकता नहीं आ पाई है और लोग कईं कारणों के चलते जिसमें सबसे बड़ा है धार्मिक कारण , अपने सगे संबंधियों के मरने के बाद अंगदान नहीं करते हैं । हाल ये हैं कि समय पर किडनी दान ना मिलने के कारण देश में बहुत से लोग जान से हाथ धो बैठते हैं, बहुत से डायलिसिस के सहारे अपना पूरा जीवन बिता देते हैं।
चीन में सफलतापूर्वक विकसित की गई मानव किडनी
पर यदि आने वाले कुछ सालों में यदि किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार करने वाले मरीजों में , सूअर के शरीर में कृत्रिम रूप से पैदा की गई किडनी लगाकर उनकी जिंदगी बचाने का शुरू हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। चीन के Guangzhou Institutes of Biomedicine and Health researchers ने जो सफल परीक्षण किया है उससे देश तो क्या विश्वभर में खराब किडनी के कारण मौत की तरफ बढ़ते लोगों में एक आशा की किरण जागी है। चीन के साइंटिस्ट ने हाल ही में सफलतापूर्वक मानव और सूअर के सैल से बने एक कईं भ्रूणों को सूअर के शरीर में प्रत्योरोपित किया और लगभग 28 दिनों बाद सूअर के शरीर में किडनी का एक बड़ा भाग बनकर तैयार हो गया। जानकारों के मुताबिक यह पहली बार हुआ है कि मानव शऱीर के किसी अंग को किसी और species में पैदा किया गया हो। इस खोज के बार में the journal Cell Stem Cell.में एक लेख भी प्रकाशित हुआ है।
किडनी मानव भ्रूण के रूप में जल्दी विकसित किया जा सकती है
साइंटिस्ट ने इस खोज में किडनी पर फोकस इसलिए रखा क्योंकि किडनी मानव भ्रूण में सबसे पहले विकसित होने वाले अंगों में से एक है। इसके अलावा किडनी ट्रांसप्लांट सबसे ज्यादा कराया जाता है और दूसरे अंग जैसे हार्ट , लिवर जैसे अंगों के मुकाबले इसका ट्रांसप्लांट थोड़ा सरल होता है और सफलता रेट भी ज्यादा होता है। इस परीक्षण में डाक्टरों ने 1820 तैयार किए गए भ्रूण को 13 मादा सूअरों में प्रत्यरोपित किया । इन्हे 25 और 28 दिनों बाद निकाल कर देखना शुरू किया गया। रिसर्चरस ने जांच के लिेए 5 भ्रूणों का चयन किया , इन भ्रूणों की विस्तार से जांच के बाद इसके रिजल्ट चौकाने वाले थे क्योंकि पांचों में किडनी सैकेंड स्टेज तक विकसित हो चुकी थी और उनमें 50-60% मानव सैल पाई गई जो अपने आप में बहुत बड़ी उपलबिध थी।
इसी तकनीक के जरिए हार्ट और लिवर विकसित करने की भी योजना
साइंटिस्ट इस खोज को एक बड़ी कामयाबी मान रहे हैं, उनके अनुसार आने वाले समय में किडनी को पूरा विकसित होने के लिए लंबे समय तक भ्रूण को मादा सूअर के अंदर छोड़ने की भी योजना है।वैसे साइंटिस्ट अब इसी तकनीक के जरिए हार्ट और लिवर विकसित करने की भी सोच रहे हैं।
किडनी क्यों होती है खराब
किडनी कईं कारणों से काम करना बंद कर देती है और इनमें प्रमुख हैं अनियंत्रित बल्ड प्रेशर, शुगर, किडनी में चोट लगना, सूजन की समस्या, कईं तरह के इंफ्केशन , आटो इम्यून Disorder आदि। किडनी के मरीजों का यदि ट्रांसप्लाटं नहीं होता तो उन्हें डायलिसिस के सहारे जिंदा रहना पड़ता है । बहुत मरीजों में मूत्र के लिए मशीन का प्रयोग किया जाता है, लेकिन ये इलाज लंबे समय के लिए कारगर नहीं माने जाते और किडनी ट्रांसप्लांट ही मरीज को नई जिंदगी देने का एकमात्र रास्ता है। इस नई खोज से किडनी ट्रांसप्लांट में आने वाले समय में एक क्रांति आने की उम्मीद है।
तीन लाख लोगों की जिंदगी बचाने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत
देश में इस समय लगभग तीन लाख लोगों की जिंदगी बचाने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है पर ज्यादा अंगदान ना होने के कारण ये लोग जिंदगी और मौत के बीच का सफर करने पर मजबूर हैं। इसके अलावा आंकड़ें बताते हैं कि लगभग 50 हजार मरीज हार्ट ट्रांसप्लांट का इंतजार करते हैं और एकलाख के करीब लिवर ट्रांसप्लांट का इंतजार करते हैं।