दीवाली से पहले क्या होगी अध्यक्ष पद की घोषणा
चर्चाएं तेजी से चल रही हैं कि दीवाली से पहले क्या भारतीय जनता पार्टी को एक नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है। हरियाणा चुनाव के बाद जिस तरह की सफलता भारतीय जनता पार्टी को हाथ लगी है उसके बाद ऐसा लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी अब अपना एक पूर्णकालिक अध्यक्ष जल्दी ही नियुक्त कर देगी। चर्चा में हैं चार नाम इसको लेकर कईं नामों की चर्चा है , जिसमें शिवराज सिंह चौहान, विनोद तावड़े, देवेंद्र फंडवीस, सुनील बंसल समेत धर्मेंद्र प्रधान समेत कई नाम हैं। वैसे कहीं कहीं संजय जोशी का नाम भी उछाला जा रहा है पर उनकी अध्यक्ष बनने की संभावना लगभग जीरो है। नाम सामने हैं और माना जा रहा है कि सिर्फ सही मौके का इंतजार है और सही मौके पर उसकी घोषणा हो जाएगी।
आने वाले चुनावों से पहले अध्यक्ष पद चुनने की पूरी कोशिश
माना यही जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी जो आगे आने वाले तमाम चुनाव हैं, चाहे वह उत्तर प्रदेश के 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव हों , महाराष्ट्र का विधान सभा चुनाव हो या या दिल्ली में 2025 का चुनाव हो या बिहार का असेंबली का चुनाव हो यह सब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में करना चाह रहे हैं । इसमें महत्त्वपूर्ण बात यह है कि कहने के लिए जगत प्रकाश नड्डा के पास राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी है, उनके पास केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी है ऐसे में वह अध्यक्ष के तौर पर कितनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, कितना काम कर रहे हैं यह भी एक बड़ी बड़ा प्रश्न है क्योंकि हरियाणा के चुनाव में पूरा का पूरा चुनाव प्रबंधन का काम अमित शाह ने और संघ के लोगों ने बंदोबस्त किया था । इसलिए इस तरह की बातें कही जा रही हैं कि जो आगे के विधानसभा के चुनाव हैं उससे पहले एक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा कर दी जाएगी और उसी पर जोर शौर से चर्चा चल रही है , ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इसको जितनी जल्दी हो पाएगा भारतीय जनता पार्टी घोषित कर देगी ।
हरियाणा जीत के बाद बड़ा अवसर
दूसरा सबसे बड़ी बात यह है कि जिस तरह की सफलता हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी को हाथ लगी है उसके बाद से और लग रहा है कि शायद यह भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे बेहतर समय है बेहतर अवसर है उचित समय है जब वह इस तरह के नाम की घोषणा कर देंगे ।
चार नाम में से कौन कितना काबिल-मारेगा बाजी
अब देखना यही है कि जिन नामों पर चर्चा चल रही है कि उनमें से कौन कितना ज्यादा अध्यक्ष पद के लिए काबिल है। देवेंद्र फडणवीस को अध्यक्ष बनाया जा सकता है, सुनील बंसल का भी नाम है या शिवराज सिंह चौहान या विनोद तावड़े , तीन चार नाम है जिस पर ज्यादा चर्चा है , उसमें शिवराज सिंह चौहान का नाम इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि वह बहुत पॉपुलर हैं संगठन के साथ-साथ बहुत सॉफ्ट बोलने वाले हैं, लोगों को साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति हैं , एक महत्त्वपूर्ण बात यह भी है चौहान संघ की भी पसंद है, दूसरे नंबर पर विनोद तावड़े आते हैं जो ओबीसी समाज के हैं और मराठी हैं और उनको ना केवल संघ बल्कि संघ के अलावा बीजेपी का नेतृत्व नरेंद्र मोदी और अमित शाह का भी साथ है।तीसरा जो सबसे महत्त्वपूर्ण नाम है सुनील बंसल जिनके पास संगठन का काम है, संगठन का एक्सपर्टाइज्ड है। अमित शाह और सुनील बंसल की जोड़ी को लेकर कहा जाता है कि वह रेगिस्तान में फूल उगाने जैसी स्थिति हो सकती है। एक और महत्त्वपूर्ण नाम है देवेंद्र फडणवीस का , देवेंद्र फडणवीस भी ना केवल संगठन में बेहतर काम करते हैं महाराष्ट्र का चुनाव उन्होंने अकेले दम पर वो लड़ाया था नागपुर से आते हैं, संघ में अच्छी पैठ है और उनके नाम पर नरेंद्र मोदी को भी कोई असहमति नहीं होगी और जो एक आजकल कास्ट बैलेंसिंग का है उस उस लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण नाम है ।
महाराष्ट्र चुनाव से पहले मराठी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर विचार
महाराष्ट्र के चुनाव के समय महाराष्ट्र चुनाव के ठीक पहले अगर कोई मराठी राष्ट्रीय अध्यक्ष होता है तो उसका प्रभाव भी होगा इसलिए कि वह एक मैसेज जाएगा कि अगर मराठी अध्यक्ष होगा और एक तो फिर वह कोई दूसरा मुख्यमंत्री बनेगा एक तो यह स्पष्ट हो जाएगा दूसरा यह कि मराठी कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष होगा तो, महाराष्ट्र के डेवलपमेंट के साथ-साथमहाराष्ट्र का इंपॉर्टेंस भी राष्ट्रीय राजनीति में बहुत बढ़ेगा जैसा जब नितिन गडकरी राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे और प्लस संघ के साथ जो तालमेल वाली स्थिति है वह भी बेहतर होगी तो इस सब के दृष्टि से देवेद्र का नाम सबसे मजबूत दृष्टि से मजबूत ढंग से निकल करके आ रहा है ।
नरेंद्र मोदी और अमित शाह दे सकते हैं Surprise
लेकिन यह बात भी हमेशा ध्यान में रखने योग्य होती है कि इस जो नई व्यवस्था है जिस व्यवस्था में नरेंद्र मोदी और अमित शाह काम करते हैं उस व्यवस्था में कौन क्या जिम्मेदारी पाएगा यह आखिरी क्षण तक किसी को मालूम नहीं होता है तो निश्चित तौर पर यह कोई भी आदमी पूरा दावे के साथ नहीं कह सकता है और कोई न कोई डार्क हॉर्स मर्ज हो सकता है उस डार्क एक नाम राम माधव का भी हो सकता है। राम माधव भी।
राम माधव क्या दौड़ में हैं
केंद्रीय नेतृत्व को बहुत प्रिय है और जिस तरह से उन्होंने जम्मू कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट में काम किया है उस दृष्टि से उनको भी विचार में लाया जा सकता है यह यह एक स्थिति है जब भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष पर कोई निर्णय हो सकता है और जल्दी ही निर्णय हो सकता है। विधानसभा के चुनाव से पहले निर्णय हो सकता है ,महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव से पहले किसी भी समय घोषित हो सकते हैं तो यह जो चुनावी गणित है चुनावी दृष्टि से जिन नामों की चर्चा की उस सबका कोई ना कोई चुनावी फायदा है और इसीलिए इन नामों पर चर्चा हो रही हैं।