अखिलेश को मिला योगी सरकार को घेरने का मौका
बहराइच की बर्बरता क्या संदेश देने की कोशिश
यूपी के बहराइच में घटी बर्रबरता पूर्ण घटना ने देश को हिला कर रख दिया और सोचने पर मजबूर भी किया कि क्या हिंदू -मुसलमान के बीच नफरत की इतनी दीवार आ गई है कि एक हिंदू युवक को सिर्फ हरा झंडा उतार कर भगवा झंड़ा फहराने पर मौत की सजा दे दी गई और हत्या जिस बर्बरता से की गई लगता है कि संदेश देिया गया है कि फिर कोई ऐसा करेगा तो अंजाम देख लो। इस घटना पर बहुत ज्यादा चर्चा हो चली है लेकिन इसके पीछे छुपे एजेंडे को समझना जरूरी है।
यूपी उपचुनाव के लिए क्या योगी को कमजोर करने की कवायद
यूपी में उपचुनाव होने वाले हैं और जिस तरह से पिछले कुछ समय से वहां प्रायोजित ढ़ंग से कईं तरह की हिंसक घटनाएं हो रही है, लोगों के खाने में थूक मिलाकर एक शांतिपूर्वक वातावरण बिगाडने की कोशिश की जा रही है और लग रहा है इसके जरिए योग को टारगेट किया जा रहा है कि यूपी में कानून व्यवस्था, भाईचारे की स्थिति को कायम रखना उनके हाथ से निकल रहा है।और जिस तरह से अखिलेश यादव ने तुरंत बयान दे डाला कि सरकार को लॉ एंड ऑर्डर पर ध्यान देना चाहिए, मतलब योगी पर एक तरह से तंज कसने, उन्हें घेरने की साफ कोशिश थी। क्योंकि योगी की चर्चा ही सख्त कानून, अपराधियों के लिए खतरे के रूप में होती है। जिस बात के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार को उनके राज्य में ही नहीं बल्कि और राज्यों में भी मिसाल दी जाती है, विपक्ष उसी बात पर योगी को कमजोर करना चाहता है। साफ लगता है कि बहराइच की घटना में विपक्ष पीड़ितों के साथ ना खड़ा होकर उपचुनाव के लिए वोट बैंक तलाश कर रहा है।
पूरे देश में ऐसा माहौल जानबूझकर हिंदूओं को भड़काने की कोशिश
बहराईच ही क्या सिर्फ 15 दिन में नवरात्रों के दौरान गोंडा बहराइच लखनऊ उसके अलावा सहारनपुर गाजियाबाद यह सब जगह इस तरह की घटनाएं हुई है और उन घटनाओं में हिंदूओं के जूलूस पर इस तरह के पत्थरबाजी हुई है हालांकि स्थिति इतनी नहीं बिगड़ने पाई जितनी बहराइच में बिगडी और इसलिए इन घटनाओं का पता ही नहीं चल पाया , लेकिन क्या यह जो हिंदुओं के धार्मिक यात्राओं पर हमले हो रहे हैं, चाहे वह रामनवमी पर निकाली गई यात्रा हो हनुमत जयंती पर निकाली गई यात्रा हो गणेश चतुर्थी पर निकाली गई यात्रा हो या सरस्वती पूजा के बाद यात्रा निकाली गई हो पूरे सुनियोजित ढंग से किए जा रहे हैं और यह उत्तर प्रदेश नहीं यह पूरे देश में ऐसा माहौल देखने को मिल रहा है। यह भी लग रहा है जानबूझकर धर्म के नाम पर हिंदूओं को भड़काने, उग्र और हिंसक किया जा रहा है , जिससे यह कहने को हो कि हम कर रहे हैं तो हिंदू भी कम नहीं हैं।
बीजेपी सरकार को बदनाम करने की चाल
तीसरा पहलू जो सामने आता है कि ये बीजेपी सरकार को बदनाम करने की भी चाल हो सकती है कि वो धर्म के नाम पर बांट रही है। यहां तक कि उत्तर प्रदेश में तिरंगा यात्रा निकालने पर एक युवक की हत्या कर दी गई थी तो ये ये एक बाकायदा सुनियोजित ढंग से किया जा रहा है और विपक्ष आरोप यही लगा रहा है कि ये बीजेपी सरकार का किया धरा है बीजेपी सरकार का ही वोट बैंक एजेंडा है
अवैध हथियारों का माफिया फिराक में रहता ऐसी घटनाओं के
समझना यह है कि ऐसा क्यों हो रहा है, देश में 80 फीसदी हिंदू है तो क्या जो मुसलमानों के प्रोसेशन निकलते हैं वह हिंदू इलाके में जाते हैं पर हिंदूओं की तरफ से कोई आपति नहीं होती है । अवैध हथियारों का एक बड़ा गैंग ऐसे अवसरों की तलाश में रहता है , क्योंकि बहराइच में गोली चलाए जाने की पहली घटना नहीं है गोली बम चलते रहे हैं । पश्चिम बंगाल में भी अभी दुर्गा पूजा के दौरान इस तरह की गोलीबारी हुई। जो बहराइच में हुआ वो निश्चित तौर पर बहुत बड़े खतरे की तरफ संकेत करता है जो यह बताता है कि बाकायदा जिन जिन त्यौहारों पर जूलूस निकलते हैं, मूर्ति विसर्जन होती हैं उन रूट्स पर घात लगा कर के पूरी तैयारी के साथ हमला किया जाता है
कोई भी इलाका ना हिंदू का ना मुस्लिम का
सरकार को ऐसे बढ़ते मामलों को रोकने के लिए अपने इंटेलिजेंस इनपुट दुरुस्त करने होंगे और इस तरह की घटनाओं को रोकना होगा । और जो लोग इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं उन पर सख्त कार्यवाही करने की जरूरत है उससे आवश्यक यह है कि माइंड सेट भी बदलने की जरूरत है इस देश में जहां पर सेकुलर संविधान है उस जगहों पर कोई भी इलाका ना हिंदू इलाका हो सकता है ना मुस्लिम इलाका हो सकता है अगर इलाके की ही बात होगी तो यह पूरा देश हिंदू बाहुल्य देश है तो उस दृष्टि से तो यह पूरा देश हिंदुओं का इलाका होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है इस देश में सेकुलर संविधान है रूल ऑफ लॉ से चलता है किसी को भी किसी के धार्मिक मामले में बोलने, दंगा करने की जरूरत नहीं है , इस आतंक से सरकार को सभी वर्गों को मुक्त कराया जाना
आम हिंदू आम मुसलमान नागरिक नहीं चाहते ये सब
सबसे अहम बात है कि एक आम हिंदू और एक आम मुसलमान नागरिक को इस झगड़े से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि वो तो अपने करियर को संवारने, आगे बढ़ाने, अपने बच्चों की परवरिश, घर गृहस्थी की बिजली पानी राशन या दो समय का खाना जु़टाने में जरूरत से ज्यादा बिजी है। ये कुछ लोग हैं जो अपने स्वार्थ अपनी राजनीति चमकाने के लिए देश में ऐसा माहौल बना रहे हैं और इससे हमको सावधान रहने की जरूरत है।