BJP चाणक्य पश्चिम बंगाल में क्या खेला करेंगे

पश्चिम बंगाल उपचुनाव अमित शाह ने संभाल ली बागडोर

महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा के चुनाव के साथ-साथ बहुत सारे प्रदेशों में उपचुनाव भी हो रहे हैं और उसी क्रम में पश्चिम बंगाल की छह सीटों पर चुनाव हो रहे हैं जिसमें से वर्तमान समय में पांच सीटें तृणमूल कांग्रेस की के पास थी और विधानसभा की और सीट  भारतीय जनता पार्टी के पास। लेकिन पूरे के पूरे जो चुनाव हो रहे हैं उनमें से बीजेपी चाणक्य अमित शाह का फोकस पश्चिम बंगाल में बहुत ज्यादा है। इन उपचचुनाव के साथ-साथ वह लगातार 2026 में भारतीय जनता पार्टी को यहां से जिताने की बात कर रहे हैं और उन्होंने वेस्ट बंगाल की  कमान संभाल रखी है।

हिंदू दुर्व्यवहार – कोयले  स्मगलिंग पशु-मानव तस्करी मुद्दें हैं अहम

जिस तरह से अमित शाह  एक के बाद एक चाहे वह लैंड पोर्ट योजना है या कोई  और वह लगातर इस तरह की योजनाओं की घोषणा कर रहे हैं साथ ही  या रैलियां कर रहे हैं,  बैठकें कर रहे हैं, जिससे लगता है कि अमित शाह बंगाल में बड़ा खेला करने की पूरी तैयारी कर रहे हैं।  हमारे गृहमंत्री को वैसे भी  चुनाव प्रबंधन के लिए जाना जाता है वह यहां बहुत सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।

अपने भाषणों में अमित शाह बार बार दोहरा रहे हैं कि 2026 के चुनाव जीताइए और फिर देखिए पशिचम बंगाल में जो भी कुछ गलत हो रहा है उस पर कैसे अंकुश लगता है। बंगाल में होने वाले हिंदुओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले हों या कोयले की  स्मगलिंग का मामला, चाहे वो पशु तस्करी हो या  मानव तस्करी अमित शाह बार बार इन मुद्दों पर बोलकर बंगाल की जनता के दिल तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। वह लोगो को गारंटी दे रहे हैं कि बीजेपी सरकार आई तो इन सब पर  पूरी तरह से रोक लग जाएगी।

बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए कड़ा रवैया

बांग्लादेश से जु़ड़े मुद्दों पर भी अमित शाह खुल कर बोल रहे हैं। उनका कहना है कि वहां से  बहुत सारे लोग इलाज कराने आते हैं वह लीगल तरीके से आए,  उनको पूरी  सुविधाएं भारत सरकार देगी। इसके लिए नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है, पर अमित शाह ने साफ शब्दों में लेकिन चोरी छुपे आने वाले घुसपैठियों के लिए साफ कह दिया कि उनकी सरकार ऐसे किसी भी वय्कित को भारत नहीं आने देगी। अब इसमें महत्त्वपूर्ण बात जो समझने वाली यही है कि अमित शाह को कुशल चुनाव प्रबंधन और  जातीय समीकरण पर काम करने के लिए जाना जाता है।लेकिन पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां पर जाति के नाम पर समीकरण नहीं बनता है ,वहां पर एक ही समीकरण है वह बंगाली और नॉन बंगाली या मुस्लिम और हिंदू । यह भी  समीकरण भी बहुत ज्यादा नहीं बनता इसलिए कि ज्यादातर जो पश्चिम बंगाल की जनता है वो डिवीजन  को नहीं मानती है ।

हिंदुत्व की बात हिंदुत्व की राजनीति पर पूरा फोकस

यहां  लंबे समय तक कांग्रेस, लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस है और  तीनों ही मुस्लिम अपीज मेंट की बात करते हैं पर वह इसको लगातार नकारते रहे लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी जो पहले कभी पश्चिम बंगाल में  एक दो सीट से ज्यादा नहीं जीत पाती लेकिन 2019 के चुनाव में 18 सीट जीती और इस बार के चुनाव में भी 12 सीट जीत के आई है तो लग रहा है कि बीजेपी का वोट बैक और बेस यहां बढ़ रहा है।  और भारतीय जनता पार्टी का जो बेस है वह ज्यादातर वही बेस है जो हिंदुत्व की बात करता है जो हिंदुत्व की राजनीति करता है । पशिचम बंगाल में अमित शाह अब यही काम करते हुए दिख रहे हैं जब वो  कह रहे हैं और लगातार 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी  कहते आए हैं कि बीजेपी पश्चिम बंगाल में  एनआरसी लागू करेंगी और घुसपैठियों को पूरी तरह से रोका जाएगा। पर इसके लिए अमित शाह जहां भी जा रहे हैं ,इसी बात पर जोर दे रहे हैं कि यह सब करने के लिए पशिचम बंगाल में बीजेपी की सरकार जरूरी है।

ममता दीदी को अपीजमेंट के नाम पर घेर रहे हैं

अभी तो कुल मिलाकर के छह सीटों पर ही चुनाव होना और यहां पर प्रचार करते समय अमित शाह का फोकस ममता दीदी को  अपीजमेंट के नाम पर घेरना है। वह बता रहे हैं कि एक समुदाय को खुश करने के लिए  संदेशखली जैसा भयानक कांड होता है,  किस तरह से अपीजमेंट के नाम पर हिंदू महिलाओं को शोषण करने वाले शाहजहां को बचाया जाता है छिपाया जाता है। और किस तरह से ममता सरकार आरजी मेडिकल कालेज में अपने चहेते  प्रिंसिपल को बचाने की कोशिश करती हैं।

महिला मुख्यमंत्री है, पर संवेदनहीनता का आरोप

अमित शाह यह भी बता रहे हैं कि बंगाल में जो मुसिमल बीजेपी की सरकार चाहते हैं उन्हें ममता दीदी  किस तरह से बेज्जत करवा रही हैं, यहां पर वह बीजेपी की मुस्लिम कार्यकर्ता की बात भी करते हैं जिसके  कपड़े उतार करके उसकी परेड कराई जाती है, कसूर सिर्फ इतना है कि वह  बीजेपी के समर्थन में चुनाव प्रचार कर रही थी यह तमाम  घटनाएं एक के बाद एक न के केवल बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष सुभेंद अधिकारी बल्कि अमित शाह भी इन मामलों को  एक के बाद एक उठा रहे हैं और यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि यह ये सब हो रहा है जबकि सरकार में एक महिला मुख्यमंत्री है,  जो इन सब मामलों पर कहीं से भी संवेदनशील नहीं नजर आ रही बल्कि संवेदनहीनता दिखती है

ममता के खिलाफ पार्टी के अंदर-बाहर नाराजगी को भुना रही BJP

अमित शाह यह भी बता रहे हैं कि खुद सरकार के नेता ममता दीदी की कार्यप्रणाली से नाराज हैं, उन्होंने  राज्यसभा के एमपी का  विरोध कर  त्याग पत्र करने का मामला भी उठाया । भारतीय जनता पार्टी तो विरोध कर रही है पर बंगाल में सरकार के अंदर से विरोध हो रहा है और यह चीजें अब धीरे-धीरे सामने आनी शुरू हो गई हैं जिसका बीजेपी पूरा फायदा उठाना चाहती है। सरकार को शायद यह लग रहा हो कि जो विरोध प्रदर्शन सड़कों पर हो रहा था वो  डराकर करके धमका करके शांत करा लिया जाएगा पर ऐसा है नहीं । अंदर-अंदर अब भी बहुत नाराजगी है और अगर आज चुनाव वहां पर होता है तो निश्चित तौर पर ममता बनर्जी को बहुत बुरी हार का सामना करना पड़ेगा और 2026 बहुत ज्यादा दूर नहीं है डेढ़ साल से कम का समय है उस डेढ़ साल से कम के समय में ममता बनर्जी क्या कर पाती हैं अपने प्रदेश में ममता बनर्जी के खिलाफ लोगों में पार्टी के अंदर से नाराजगी है ,  यह भी कहा जा रहा है कि उनके भतीजे अभिषेक बैनर्जी के साथ भी उनके साथ अच्छे तालमेल नहीं है और बीजेपी इन्हीं सब बातों को भुना कर बंगाल की कुर्सी पर काबिज होना चाहती है। और लग रहा है कि डेढ़ साल से ज्यादा के समय में अमित शाह ने लगता है पश्चिम बंगाल की कमान अपने हाथ में ले ली है। अभी से उनकी   जो तैयारियां हैं उससे यही लग रहा है कि पश्चिम बंगाल में अमित शाह इस बार पूरी मजबूती के साथ खुद चुनाव की जिम्मेदारी सँभालेंगे।

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