अब अखिलेश का किला होगा धाराशायी—- बीजेपी की अचूक रणनीती
आजकल चर्चा है कि मोदी से लेकर योगी तक यूपी में अपनी पकड़ मजबूत करने और यहां अपने मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के वोटर्स को लुभाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। इसका ताजा उदाहारण देखने को मिल रहा है भारतीय जनता पार्टी के संगठन में नए नए लोगों की भर्ती। जी हां पता चला है कि बीजेपी अपने संगठन का रंग रूप बदल अखिलेश यादव के पीडीए यानी पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक वाली राजनीति की काट में जुटी हुई है। बीजेपी आलाकमान का मानना है कि लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने इसी फार्मूले के जरिए बीजेपी से बहुत सी सीटें झटक ली थी , और इसलिए अब बीजेपी अपने नए संगठन में एससी और ओबीसी को बहुत ज्यादा importance दे रही है। और हाल ही में जब मंडल अध्यक्ष चुनाव हुए तो उसमें 60 फीसदी एससी और ओबीसी के नेता हैं। इसके साथ साथ बीजेपी ने ज्यादा से ज्यादा महिला वोटर्स को अभी से अपने पाले में करने के लिए हर जिले में महिलाओं को पूरा प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है। यही नहीं बीजेपी ने महिलाओं और दलितों को चुनाव के लिए आयु सीमा में भी छूट दे दी है। इन सब से भाजपा की रणनीति पूरी साफ तौर पर सामने आ गई है और बीजेपी की यही रणनीती विपक्ष की चिंता बढ़ा रही है खासतौर पर आने वाले समय में बीजेपी इसके जरिए अखिलेश की नींदे तो उड़ा देगी। आपको बता दें कि भाजपा संगठन चुनाव अक्टूबर में शुरू हुए थे। कुल 1.62 लाख बूथ कमिटियों का चुनाव हो चुका है। वहीं, 1918 मंडल अध्यक्षों का चुनाव भी हो गया है। अब जिलाध्यक्ष की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अगले महीने तक प्रदेश कार्यकारिणी का चुनाव होने की उम्मीद है।
Maharashtra कोई बड़ा खेला होने वाला-एक उघोगपति का हाथ
उद्वव ठाकरे की पार्टी – यूबीटी के मुखपत्र सामना मे देवेंद्र फडणवीस की तारीफ क्या हुई महाराष्ट्र में जबरदस्त चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि क्या बिखरी हुई ठाकरे पार्टी एक हो रही है और एनडीए का हिस्सा बन रही है क्योंकि अभी तक जिस सामना अखबार में मोदी और देवेंद्र फडणवीस की निंदा में कुछ ना कुछ छपता रहता था अचानक उसमें अभिनंदन देवाभाऊ’ का छपना सबके लिए ही आश्चर्य बन गया है। अभी कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के साथ आने को लेकर भी चर्चा चल निकली थी जब उद्धव की पत्नी रश्मि ठाकरे ने राज ठाकरे से मुलाकात की थी। और अब सामना में महाराष्ट्र के सीएम की तारीफ से लगने लगा है कि आने वाले समय में ठाकरे के टूटे धड़ उद्वव और राज क्या एक होकर एनडीए का हिस्सा बनने वाले हैं चर्चा यह भी है कि पर्दे के पीछे एक प्रमुख उद्योगपति यह सब खेला करवा रहे हैं और राजनीतिक परिवार की दो अलग-अलग पार्टियों को एकजुट करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। दूसरी तरफ पवार फैमिली के भी एकजुटता के समीकरण बनते दिख रहे हैं हाल ही में जहां अजित पवार की मां ने खुद ही पूरे परिवार के एकजुट होने से जुड़ा बयान दिया, वहीं प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शरद पवार क हमारे लिए देवता जैसे हैं। इसके बाद सुप्रिया सुले ने भी कह दिया की परिवार के तौर पर कोई संघर्ष नहीं है बस विचारधारा की चुनौती है । अब देखना यही है कि अगर ऐसा होती है तो एकनाथ शिंदे का क्या होगा और दूसरी तरफ पवार फैमिली की एकजुटता से बीजेपी को फायदा होगा या फिर कांग्रेस को।