कुंभ की तैयारियों को लेकर योगी पर लगातार हमला

14 जनवरी से प्रयाग में कुंभ मेला शुरू हो जाएगा लेकिन कुंभ मेला अब एक राजनीतिक दंगल में बदलता जा रहा है ।अखिलेश यादव कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर के लगातार योगी आदित्यनाथ की सरकार पर निशाना साध रहे हैं । एक के बाद एक कोई न कोई कमी कुंभ मेले में दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। इसको लेकर ट्वीट कर रहे हैं मीडिया से बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ लगातार यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि यह जो कुंभ मेला है यह अपने आप में अनप्रेसिडेंटेड ऑर्गेनाइजेशन होगा और लगभग 40 करोड़ लोग पूरे मेले में मतलब 14 जनवरी को जब पहला मकर संक्रांति का स्नान होता है तब से लेकर के शिवरात्र 26 तारीख तक आएंगे प्रयाग में और संगम पर गंगा यमुना में स्नान करेंगे।
अखिलेश यादव काम पूरा ना होने का राग गा रहे

अखिलेश यादव यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि पावर सप्लाई को लेकर के दिक्कत है जो गंगा पर टेंपरेरी ब्रिज वह अब तक नहीं बने हैं और टॉयलेट्स प्रॉपर नहीं बने हैं। लोगों के आने जाने का रास्ता भी अभी पूरी तरह से नहीं तैयार है।
काम पूरा है-एक लग्जरी टैंट का किराया 60 से 8० हजार रुपए

योगी सरकार इस बात को सिरे से ठुकरा रही है। सरकार का कहना है कि सरकार ने अस्थाई और स्थाई दोनों काम लगभग 90 से 95 फीसदी तक काम पूरा कर लिया है। अस्थाई काम है -जो कुंभ मेले क्षेत्र में स्टील शीट्स की रोड पर बालू डालने का, बिजली का, टॉयलेट का , थाना जो टेंपरेरी डीएम का बनता है। टटेंपरेरी एसपी का टेंट सभी पूरे हो गए हैं। पता चला है कि लग्जरी टेंट है में कुछ टेंट्स तो इतने महंगे हैं जिनका एक दिन का किराया 60 से 8० हजार रुपए है । पर इसके बावजूद अखिलेश लगातार प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं।
2013 में आजम खान को मिली जिम्मेदारी पर हुई 42 लोगों की मौत

वह यह राजनीती शायद इसलिए भी कर रहे हैं कि उनको अपना जो 2013 का अनुभव था और जो कुप्रबंधन हुआ था उससे बौखलाए हैं। उस दौरान पूरे मेले की जिम्मेदारी आजम खान को दी गई थी, वह उसके मेला अधिकारी थे और प्रयाग स्टेशन जो इस समय इलाहाबाद जंक्शन हुआ करता था, वहां पर भगदड़ में 42 लोग मारे गए थे और मेला की तैयारियों की सारी पोल खुल गई थी। स्थितियां यह थी कि बहुत सारी चीजें पूरी ही नहीं हुई थी यहां तक कि अखिलेश यादव की जो सरकार ने मेला के लिए जो फंड सैंक्शन किया था, उसका 99 फीसदी पैसा खर्च ही नहीं हुआ था, और दूसरी तरफ केंद्र सरकार की तरफ से जो पैसा मिला था वो उन्होंने पूरा ख र्चकिया था और उसमें भी बहुत घपले बाजी की बात सामने आई थी। सामान की खरीदारी को लेकर, टेक्निकल एकसपर्ट को लेकर बहुत घपले बाजी हुई थी और उस घपले बाजी पर खूब मामला उठा था । सीएजी ने भी अपनी रिपो र्टमें मेला प्रबंधन को लेकर के घपला और तैयारी को लेकर के मामला उठाया था जिसको लेकर के अखिलेश यादव की काफी आलोचना हुई हुई थी ।
सेकुलर पॉलिटिक्स में अखिलेश ने कुंभ को भी नहीं बख्शा

लेकिन अखिलेश यादव जो एक सेकुलर पॉलिटिक्स करते हैं उन्होंने इस पॉलिटिक्स में कुंभ मेले को भी नहीं बख्शा था और किसी बात की परवाह किए बिना मेले के प्रबंधन की जिम्मेदारी आजम खान को सौंप दी थी। आजमखान पूरा का पूरा प्रबंधन देख रहे थे और जब 42 लोगों की डेथ हुई थी तो अखिलेश ने त्याग पत्र की भी राजनीति की पर जिसको अस्वीकार कर दिया गया था। ऐसे में इस समय अखिलेश यादव तैयारी को लेकर के जो भी प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं , साफ है कि पूरी तरह से राजनीती से प्रेरित हैं जबकि अपने राज में मतलब 2013 में जब उनके पास जिम्मेदारी थी तो मेला के प्रबंधन को लेकर के उन्होंने या उनकी सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया था जिसके लिए उनकी तारीफ हो। औऱ इस समय वह बार-बार बताने की कोशिश कर रहेहैं कि मेला में तैयारी नहीं है ।
योगी पर आरोप लगाने की कोशिश हिंदुओं की अस्था पर सीरियस नहीं

शायद उनको यह लग रहा है कि यह करके वह जनता को अपनी तरफ लुभा लेंगे कि यह सरकार है हिंदुओं की अस्था को इतने सीरियली नहीं लेती। लेकिन जाहिर है अगर यह आरोप किसी ऐसे व्यक्ति की तरफ से आया होता जिसने मेले के लिए बहुत कुछ किया होता तो उसकी बात सुनी जाती , जनता उस नेता यानी अखिलेश को सीरियसली लेती पर अखिलेश का अपना ट्रैक रिकॉर्ड इस तरह का रहा है कि वह हिंदुओं के त्यौहारों को लेकर के हिंदुओं की भावनाओं को ले करके हिंदू फेस्टिवल्स को लेकर के लगातार नेगेटिव बात करते रहते हैं ।
अखिलेश सफल नहीं हो पा रहे नेगेटिव पॉलिटिक्स में

अब क्या नेगेटिव पॉलिटिक्स या नकारात्मक सोच नकारात्मक चीजें ही उनको जनता के बीच उनकी पैठ बनने में मदद करेगी कोशिश यही की जा रही है। अखिलेश की पूरी कोशिश है कि कुंभ के नाम पर ही सरकार को बदनाम किया जाए और उसके बाद एक अल्टरनेट के रूप में उनको अपने आपको वह प्रस्तुत कर सके, लेकिन उसमें वह सफल नहीं हो पा रहे।
2013 के मुकाबले 100 गुना बेहतर कुंभ की तैयारियां

क्योंकि इस बार जिस तरह से कुंभ की तैयारियां हैं या जिस तरह से कुंभ को लेकर के यह सरकार संजीदा है उसका सीधा पता चल रहा है कि कुंभ 2013 के मुकाबले जब अखिलेश यादव की सरकार थी, और अब में 100 गुना बेहतर है। आज से 6 साल पहले अर्ध कुंभ लगा था तो योगी सरकार ने डिलीवर किया था और तह से अब तक इलाहाबाद के इंफ्रास्ट्रक्चर में इतना बदलाव हुआ है जो अकल्पनीय है। सड़कें चौड़ी हुई है, पुल बने हैं ,बहुत सारे जो बॉटल नेक थे वह खत्म हुए हैं और तो और इतने अल्टरनेटिव रास्ते कुंभ के लिए बनाए गए हैं कि भीड़ जो है वह एक जगह पर जमा ना हो पाए। 2 13 में जो सबसे बड़ा आरोप अखिलेश यादव की सरकार पर था वह था कि उचित मात्रा में ना पुलिस फोर्स ना ट्रैफिक के लोग डिप्लॉयड थे और इलाहाबाद जंक्शन पर जो हादसा हुआ उसके पीछे बसंत पंचमी के दिनजो मौनी अमावस्या के दिन जो घटना घटी थी वह इसी कारण था कि प्रबंधन बढ़िया नहीं हो पाया तो अखिलेश यादव जो आरोप लगा रहे हैं ,वह सोशल मीडिया में भी सस्टेन नहीं कर पा रहा है और उस पर अखिलेश यादव की खिल्ली उड़ाई जा रही है । तो इस नेगेटिव कैंपेन सेअखिलेश को कितना फायदा होगा कितना नहीं होगा लेकिन वह शायद इसी को बिल्ट अप करके चुनाव जीतने की तैयारी कर रहे हैं जो संभव होगा नहीं होगा वह तो 27 में ही पता चल पाएगा। लेकिन जनता इसको स्वीकार करती हुई नहीं दिख रही है।
