राहुल गांधी और पप्पू यादव के मिलन में कौन बना विलेन
बिहार के कद्दावर नेता पप्पू यादव , कांगेस नेता राहुल गांधी के भक्त हैं यह बात किसी से छुपी नहीं है क्योंकि पप्पू यादव समय समय पर राहुल की तारीफों में पुल बांधते रहते हैं, पर बिहार पहुंचे राहुल गांधी से बेचारे पप्पू यादव मिल ही नहीं पाए, पप्पू यादव ने इसके लिए पूरा जोर लगाया था, कि वह खुद बिहार में राहुल का स्वागत करेंगे। इसके लिए होटल के कमरे से लेकर बैनर से पोस्टर और नारेबाजी के लिए लड़कों तक का इंतजाम किया था। मगर पप्पू यादव का सपना पूरा नहीं हो पाया। दरअसल पप्पू यादव को पता था कि राहुल गांधी थोड़ी देर के लिए ही सही मौर्या होटल में रिफ्रेश होने के लिए आएंगे, लिहाजा उन्होंने पूरी तैयारी की थी। मगर, राहुल के आने से कुछ ही देर पहले वो वहां से निकल गए। पता चला है कि पप्पू यादव के पास किसी ने मैसेज भेजवाया की राहुल से मुलाकात संभव नहीं है, इसलिए वहां रहना बेकार है। फिर गर्दनीबाग में धरनास्थल से जैसी राहुल गांधी निकले, उसके तुरंत बाद पप्पू यादव वहां पहुंच गए और फिर तो चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि राहुल और पप्पू यादव के बीच टाइमिंग का ‘संयोग और प्रयोग’ किसके इशारे पर हुआ है और कौन नहीं चाहता कि राहुल और पप्पू यादव मिलें। राहुल गांधी के साथ पप्पू यादव की ‘सेटिंग’ को कौन बिगाड़ रहा है और इस मिलन का असली ‘विलेन’ कौन है अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हुआ है पर इससे बिहार की राजनीती में हलचल हो गई है।
राहुल गांधी दे रहे सचिन को वफादारी का इनाम

राजस्थान के कद्दावर नेता सचिन पायलट राहुल की टीम के वो सिपाही हैं जो अभी तक राहुल के साथ हैं जबकि राहुल की यंग टीम के ज्यातिराजे सिंघिया, जितिन प्रसाद, मिलिंद देवड़ा और आर पी एन सिंह सभी राहुल को यानी कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं , और अब चर्चाओं का बाजार गर्म है कि सचिन पायलेट को कठिन से कठिन समय में भी कांग्रेस के साथ रहने का इनाम मिल सकता है जी हां छन छन कर खबरें आ रही हैं कि सचिन को कांग्रेस का संगठन महासचिव बनाया जा सकता है यानी कि वो केसी वेणुगोपाल का स्थान ले सकते हैं। ।सोशल मीडिया पर लगातार दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद सचिन को संगठन महासचिव बनाने की खबरें चल रही हैं और अगर ऐसा हो जाता है तो सचिन का राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने का सपना तो पूरा नहीं हो सका पर यह पद उन्हें उंचाईयों तक पहुचाएगा जिसके वो हकदार भी हैं । याद करें वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव जब राजस्थान में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। तब कांग्रेस ने पायलट को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर राजस्थान भेजा था। सचिन ने 5 साल तक सड़क से लेकर सदन तक खूब काम किया, संघर्ष किया और परिणाम रहा कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बड़ी पार्टी बनकर उभरी। वैसे कांग्रेस के चर्चित नेता सचिन पायलट की फैन फोलोविंग जबरदस्त है और राजस्थान ही नहीं देश के अन्य राज्यों में भी लोग उनकों सुनना -देखना चाहते हैं।
क्या एकनाथ शिंदे की शिवसेना में पड़ी फूट-nda से होगी बाहर

महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार बनने के बाद भी लगतार जमकर राजनीती चल रही है कहा जा रहा है कि सरकार बनने के बाद से ही महाराष्ट्र के दोनों उप मुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे बीजेपी कमांडों यानी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कुछ फैसलों से नाराज नजर आ रहे हैं। और इन सब के बीच शिवसेना सांसद संजय राउत के एक बयान से महाराषट्र की राजनीती और ज्यादा गर्मा गई है। संजय राउत ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि शिंदे गुट में ही एक नया नेतृत्व सामने आने वाला है। संजय राउत ने बीजेपी और शिंदे के बीच दूरियां पैदा करने की अपनी रणनीती जारी रखते हुए कहा कि बीजेपी आलाकमान जल्द ही शिंदे को हटाने की योजना तैयार कर रही है और शिंदे इसी बात से परेशान होकर बार-बार सतारा में अपने गृह नगर दारे चले जाते हैं। आपको बता दें कि शिंदे गुट के सीनियर नेता उदय सामंत को 20 विधायकों का समर्थन हासिल है। और उन्होनें इस बात को लेकर बड़ा दावा किया था। माना जाता है कि इस जब एकनाथ शिंदे जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने सीएम पद के लिए अपनी दबाव की रणनीति बदल दी थी। वैसे एक बात यह भी सामने आ रही है कि उद्वव ठाकरे गुप के कई नेता उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के संपर्क में हैं और जल्द ही उनकी पार्टी में शामिल हो जाएंगे। उदय सामंत ने ही इस बात का दावा किया था तब संजय राउत इस दावे का खंडन किया था, अब वही संजय राउत एकनाथ शिंदे पार्टी के टूटने की बात कर रहे हैं और इसका सूत्राधार उदय सामंत को बता रहे हैं, अब जनता भ्रमित है कि सच क्या है, वैसे यह तो समय ही बताएगा कि कौन सा दल टूटता है , क्या उदव दल टूटेगा या एकनाथ शिंद दल , लेकिन यह तो साफ है कि जो भी दल एक बार फिर टूटेगा महाराष्ट्र में हलचल होगी।
वैसे पिछले कुछ समय से अजित पवार और एकनाथ शिंदे दोनों की ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से नाराज होने की खबरें चल रही हैं दरअसल, कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार ने संरक्षक मंत्रियों की लिस्ट जारी की थी, जिसके तहत कैबिनेट मंत्रियों को जिलों का गार्जियन मिनिस्टर बनाया गया था। एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने अपने लिए रायगढ़ और नासिक जिले की मांग की थी, लेकिन सीएम फडणवीस ने इस मांग को नजरअंदाज कर दिया, जिससे एकनाथ शिंदे नाराज हो गए थे।
