क्या दिल्ली में मोदी से ज्यादा योगी की चुनाव प्रचार में मांग
सबको पता है कि पीएम मोदी बहुत ज्यादा ही बिजी रहते हैं और लगातार विदेश दौरों के कारण ऐसा देखा गया है कि वह कईं बार राज्यों में हो रहे चुनाव प्रचार में इतनी रैलियां नहीं कर पाते जितनी पहले करते थे और शायद यही कारण है कि बीजेपी ने इसका तोड़ निकाल ली है और चुनाव प्रचार लिस्ट में मोदी नहीं उपलब्घ तो कोई बात नहीं उनके बदले योगी की डिमांड सबसे ज्यादा उपर रहती है। अब दिल्ली चुनाव की बात करें तो लग रहा है कि चुनाव प्रचार में बीजेपी, कांग्रेस और आप से कहीं पीछे रह गई है, तभी अब बीजेपी ने दिल्ली में ताबातोड़ रैलियां रख डाली हैं लेकिन सबसे ज्यादा आश्चर्य यही है कि जहां पीएम मोदी की दिल्ली में सिर्फ 3 रैलियां है तो योगी आदित्यानाथ की पूरी 14 रैलियां रखी गई हैं। और इसमें कोई दो राय नहीं है कि आम जनता योगी को सुनना बहुत पसंद करती है और राज्य में जहां भी चुनाव होते हैं अहर वहां मोदी नहीं जा पा रहे तो योगी को बूलाया जाता है। वैसे दिल्ली में चुनाव प्रचार के लिए मोदी , योगी के साथ साथ अमित शाह ,हिमंता विस्वासर्मी, स्म़ृति ईरानी के नाम की भी बहुत डिमांड है।
महाराष्ट्र की गरमाई राजनीती में कुछ ठहराव कैसे आ गया

एकनाथ शिंदे सेना के एक बयान से महाराषट्र की गरमाई राजनीती में कुछ ठहराव आया है, जी हां पिछले कुछ समय से साफ देखा जा रहा है कि महायुति में खटपट चल रही है और एकनाथ शिंदे , फडणवीस सरकार से नाराज चल रहे हैं पर एकनाथ शिंदे के इस बयान से कि वह दिल्ली में बीजेपी को सपोर्ट करेगी साफ लग रहा है कि एकनाथ शिंदे जानते हैं कि इस समय एनडीए यानी बीजेपी से पंगा लेने का कोई फायदा नहीं है और इससे बाहर उनका कोई भविष्य भी नहीं है, इसी बात को ध्यान रखकर शिंदे बड़ी चतुराई से अपने पत्ते फैंक रहे हैं और उन्होंने कहा है कि शिवसेना ने यह फैसला दिल्ल में बीजेपी के वोट ना कटें इसलिए लिया है। मोदी सरकार को खुश करने के लिए शिंदे ने यह भी कह डाला कि दिल्ली को भ्रष्टाचार मुक्त, कुशल सरकार की आवश्यकता है और वह भाजपा ही दे सकती है। वैसे शिवसेना हर बार दिल्ली चुनाव में उतरती है यह बात अलग है कि उसे बहुत कम वोट मिलते हैं पर जाहिर सी बात है कि ये वोट बीजेपी के ही कटते हैं। अब शिंदे ने नड्डा को एक पत्र लिखकर कहा है कि
उन्होंने शिवसेना दिल्ली इकाई को भाजपा की प्रदेश इकाई के साथ जुड़ने और चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लेने का निर्देश दिए गए हैं और दोनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। यहा पर शिंदे ने बीजेपी को खुश करने के लिए यह तक कहा कि बाल ठाकरे कि इस विरासत को अपनाते हुए पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में nda की सक्रिय सदस्य है।
दिल्ली की इस सीट पर क्यों हुआ मुकाबला कड़ा

दिल्ली की मटियाला सीट अचानक ही यहां पर मुकाबला काफी दिलचस्प माना जा रहा है क्योंकि यहां पर आम आदमी पार्टी के साथ बीजेपी ने भी अपने पुराने उम्मीदवारों को बदल कर नए नेताओं पर दांव खेला है और इससे जाहिर है कि नेताओं के चाहने वाले काफी लोग गुस्से में हैं और अगर ये लोग अपना वोट कहीं और डालते हैं तो जाहिर तौर पर यहां कांग्रेस को फायदा मिल सकता है। सबसे ज्यादा चर्चा आम आदमी पार्टी के नेता गुलाब सिंह की हो रही है पिछली बार वो इस सीट पर विजय थे पर इस बार उनको टिकट नहीं मिला और खबरें यही मिली हैं कि इलाके में ना केवल सड़कों की काफी खराब हालत है बल्कि लोग बढ़ते ट्रैफिक , जाम की समस्या से भी जूझ रहे हैं , गर्मी में यहां कई अपार्टमेंट में पानी की किल्लत भी रहती है।और लोकल नेताओं के लिए काफी नाराजगी है और ऐसे में आप कोई रिस्क नहीं लेना चाहती और एक नया चेहरा यहां से उतार दिया है।आपको बता दें कि 2008 में गठित यह सीट सबसे पहले कांग्रेस के सुमेश शौकीन जीते थे। 2013 में यहां बीजेपी राजेश गहलौत ने बाजी मारी और तब से दो बार यहां आप के ही गुलाब सिंह विधायक बन रहे हैं। यहां पर आप ने कांग्रेस छोड़कर आए सोमेश शौकीन को टिकट दिया है वहीं बीजेपी ने भी राजेश गहलोत की जगह संदीप सहरावत को चुना है और कांग्रेस के उम्मीदवार रघुविंदर शौकीन है।
