USA की एक Report क्या हिलेगी मोदी की गद्दी

अमेरिका से एक रिपोर्ट क्या आई भारतीय राजनीति में जैसे भूचाल आ गया। रिपोर्ट से पता चला है कि अमेरिका भारत के चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने की खातिर फंडिंग कर रहा था। बस तभी से यह बात जोर पकड़ रही है कि अमेरिका से यह यह धन किस पार्टी को आ रहा था। आपको बता दें कि एलन मस्क का सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) लंबे समय से यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट यानी यूएसएड के कार्य की पोल खोलने के लिए जोरशोर से काम काम कर रहा है और दक्षता विभाग ने साफ कहा है कि भारतीय चुनाव में अमेरिका अपने धनबल से दखल देता था। वैसे इतनी रकम किसे दी जाती थी यह तो अभी तक रहस्य बना हुआ है पर तमाम विपक्षी दल इसके लिए बीजेपी को घेर रहे हैं और बीजेपी का कहना है कि इस फंडिंग से निश्चित रूप से सरकार चलाने वाले दल को तो फायदा नहीं हुआ होगा। मगर अब ट्रंप प्रशासन ने भारत समेत और देशों के चुनाव को प्रभावित करने वाली अमेरिकी फंडिंग को रोक दी है पर इसको लेकर देश में सियासत गर्म है और आग में घी डालने को काम किया है प्रधानमंत्री मोदी के सलाहकार संजीव सान्याल ने जिन्होंने यूएसएड को मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बता दिया है उन्होंने पूछा है कि सान्याल ने पूछा कि भारत में खर्च किए गए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर और बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल को मजबूत करने के लिए 29 मिलियन अमेरिकी डॉलर किसे मिले हैं।

बिहार में लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया से बाहर निकलने की तैयारी

बिहार में कांग्रेस ने कृष्ण अल्लावरु को अपना नया प्रभारी क्या बनाया चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि कर्नाटक से बिहार लाए गए अल्लावरू को लाने के पीछे कांग्रेस का एक विशेष मकसद है और मकसद है कि कांग्रेस जैसी अनुभवी और पुरानी पार्टी को बिहार में लालू प्रसाद यादव की छत्र-छाया से निकाल कर एक अलग पार्टी के रूप में स्थापित करना और कोई बड़ी बात नहीं होगी अगर आने वाले समय में कांग्रेस पूरे हक के साथ अपनी मनपसंद 70 विधान सभा सीटों पर चुनाव लड़ने की शर्त के साथ लालू की पार्टी के साथ आगे चले और गठबंधन पर कायम रहे। वैसे बिहार में कांग्रेस और RJD के बीच तल्लिखयां लगातार बढ़ रही हैं और दोनों ही दलों के नेता खुलकर एक दूसरे के खिलाफ बोलने से बाज नहीं आ रहे हैं, RJD नेता तेजस्वी यादव ने तो यह तक कह दिया था कि इंडिया गठबंधन लोकसभा तक ही सीमित था और जरूरी नहीं कि बिहार में कांग्रेस के साथ मिलकर चलें। अब ऐसे में सवाल यही क्या कांग्रेस अभी भी RJD की पीछलग्गू बन कर रहेगी या एक बार बिहार में अपनी पुश्तैनी जमीन पर दौबारा पांव पसारेगी। वैसे देखा यही जा रहा है कि एक बार फिर कांग्रेस बिहार में आक्रमक हुई है और राहुल गांधी के लगातार बिहार में दो दौरे और उसके बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का बिहार जाना इस बात का प्रमाण ही है कि कांग्रेस बिहार में लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया से बाहर निकलने की पूरी तैयारी कर रही है।

राहुल के चहेते सैम पित्रोदा क्यों कह रहे चीन से खतरा नहीं

सैम पित्रोदा का नाम अब देशवासियों के लिए कोई नया नहीं रह गया है जी हां जिस तरह से वो लगातार देश विरोधी बयान देकर सुर्खियां बटोरते रहे हैं लगता है अब उनको इस बात का चस्का लग गया है कि टीवी, अखबारों की हेड लाइंस बनने के लिए उटपटांग , गलत बयाबाजी करें , देश काहित उससे कितना प्रभावित हो रहा है सैम साहिब को उसकी चिंता शायद नहीं रही है, कहते हैं ना publicitiy is good or bad is always good, लगता है सैम उसी फार्मूले पर चल रहे हैं , वैसे आपको बता दें कि सैम साहिब कांग्रेस की विदेशी इकाई के प्रमुख हैं और हाल ही में उन्होंने यह कहकर कि चीन हमारा दुश्मन नहीं, एक नया विवाद खड़ा कर दिया, आपको बता दें कि ’सैम पित्रोदा का कहना है कि चीन से खतरे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। जाहिर सी बात है जब इस तरह का बयान आएगा तो देशभक्त लोगों को बुरा तो लगेगा ही क्योंकि शायद सैम साहिब नहीं जानते पर देश के लोग जानते हैं कि चीन किस तरह से समय समय पर भारत की पीठ पर प्रहार करता है। इस बयान के बाद बीजेपी ने भी कांग्रेस को आड़े हाथो लिया है भाजपा ने साफ कहा कि कांग्रेसियों का चीन के प्रति खास आकर्षण है।

कब तक Damage करेंगे Congress की Image

वैसे जैसा हम आपको बता चुके हैं कि यह पहला मौका नहीं कि सैम पित्रोदा ने इस तरह का बयान देकर कांग्रेस को बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है, इससे पहले भी सैम कईं मुद्दों पर बेतुके बयान देकर कांग्रेस की जग हंसाई करा चुके हैं जैसे कि उन्होनें (संपत्ति का बंटवारा की वकालत की थी, फिर राम मंदिर पर आपत्तिजनक टिप्पणी भी की, इसके बाद उन्होनें 1984 के सिख विरोधी दंगों पर यह तक कह दिया था कि ‘हुआ तो हुआ’, बालाकोट एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाए कर देश की सेना को बेज्जत कर दिया। यही नहीं बाबा साहिब से ज्यादा संविधान बनाने में नेहरू के योगदान को ज्यादा अहम बताकर अपनी ही हंसी उड़ाई, वैसे यह लिस्ट काफी लंबी है, अब देखना यही है राहुल गांधी के प्रिय सैम जो एक बार अपने बयान के कारण निलंबित हो चुके हैं क्या कांग्रेस permanent उनकी विदाई करती है यह सैम पित्रोदा का भार कांग्रेस अपने कंधों पर लादे रखेगी और अपनी image damage करवाती रहेगी

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