Haryana -राहुल और प्रियंका ने क्यों बनाई दूरी

हरियाणा कांग्रेस में अजब गजब हाल ही है, लगता है यहां कांग्रेस का नेतृत्व पूरी तरह से बिखर गया है और कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए नेता तक नहीं मिल रहे हैं। जैसा की हरियाणा में निकाय चुनाव हो रहे हैं और सभी का रिजल्ट एकसाथ 12 मार्च को आएगा, पर देखा यही जा रहा है कि कांग्रेस के कईं नेताओं ने निकाय चुनाव को गंभीरता से नहीं लिया। चुनाव वोटिंग से पहले ही कांग्रेस की एक पार्षद का विदेश जाना चर्चा का विषय बना हुआ है। यही नहीं यह बात भी सामने आ रही है कि चुनाव के दिन उनकी ओर से न कोई बूथ पर था और न ही कोई पर्ची बनाने वाला बूथ के बाहर मिला। दूसरी तरफ यह भी देखा गया कि कांग्रेस गुड़गांव और मानेसर में भी कतई गंभीर नहीं थी। मानेसर में उसने केवल मेयर पद के लिए प्रत्याशी को उतारा। यहां 20 वॉर्डों से पार्षद प्रत्याशी नहीं उतारे गए। आपसी कलह के चलते सभी सीटों पर पार्टी के लिए चुनाव लड़ने वाले नेता ही नहीं मिले। गुरुग्राम के 36 में से केवल 31 ही प्रत्याशी पार्षद पद के लिए मिले। दूसरी तरफ प्रचार में भी कांग्रेस बीजेपी के मुकाबले पिछड़ी रही, यहां तक की मेयर और पार्षद का चुनाव लड़ रहे नेताओं के प्रचार में भी कांग्रेस का कोई नेता नहीं पहुंचा। बीजेपी के दो केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद , पूर्व सांसद, विधायक सहित तमाम नेताओं ने जमकर प्रचार किया पर कांग्रेस के लिए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हूड्डा ने केवल घोषणा पत्र जारी किया और उनके सांसद बेटे ने चुनाव से पहले एक दिन जनसभाएं कर दी। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने इस चुनाव से दूरी क्यों बनाई यही चर्चा का विषय बना हुआ है. कि क्या चुनाव से पहले ही मान ली हार।
दो लड़कों की जोडी सबसे पहले तोडेगी विपक्षी गठबंधन

कईं राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में एक बार फिर विपक्षी गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं , जी हां केरल, पश्चिम बंगाल, और पंजाब ये तीनों राज्य तो ऐसे हैं ही जहां गठबंधन में शामिल दल पूरी तरह से एक दूसरे के खिलाफ लड़ने की तैयारी में अभी से जुट गए हैं , बंगाल में जहां विधानसभा चुनाव 2026 की शुरुआत में होने हैं वहीं केरल में चुनाव भी इसी साल होना है और पंजाब में 2027 की शुरुआत में चुनाव होने हैं। अब बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने की कोई संभावना नहीं दिखती है वहीं केरल में कांग्रेस वाम दलों के साथ नहीं होगी और आप शासित पंजाब में तो कांग्रेस और आप के बीच साथ लड़ने का सवाल ही नहीं पैदा होता । वहीं यूपी, की बात करें तो अभी कोई नहीं जानता ही कि यहां भी दो लड़कों की जोड़ी मिलकर लड़ती है या अकेले, अब दो लड़को से सब समझ जाते हैं कि यहां राहुल और अखिलेश की बात हो रही है तो साफ दिख रहा है कि इंडि गठबंधन पूरी तरह से बिखरने के कगार पर पहुंच गया है। लेकिन इन सब के बीच थोडी positive बात संसद में सहयोगी दलों के बीच तालमेल को लेकर देखी जाती है , जैसा कि पिछले दो सत्रों के दौरान देखा गया है कि सरकार के खिलाफ विपक्ष में एकता बन ही जाती है।
नीतीश ने चलाया तीर निशाना एक साथ 20 लाख युवा

बिहार में जल्द चुनाव हैं और पिछले काफी समय से डाउन चल रहे नीतीश कुमार आजकर बहुत ज्यादा एक्टिव दिख रहे हैं और एक एक करके बहुत सी नीतीयां ऐसी घोषित कर रहे हैं जिससे चुनाव से पहले बिहार की जनता को पूरी तरह शीशे में उतार लिया जाए, वैसे बिहार में यूथ पावर बहुत ज्यादा है और यह हर पार्टी जानती है कि युवाओं को बस में कर लिया समझो चुनाव जीत लिया, बस नीतिश भी युवाओं को खुश करने के कुछ ना कुछ घोषणा कर रहे हैं, और अब नीतीश ने एक साथ बिहार के 20 लाख युवाओं को खुश करने की योजना बना ली है जी हां पता चला है कि नीतीश सरकार ने राज्य में 8000 नए ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने की घोषणा की है जिसका मकसद ना केवल युवाओं को आधुनिक तकनीक की training देना है पर साथ ही उन्हें बिहार के अलावा देश-विदेशों में भी employment के बेहतर अवसर देना है। इन सेंटर में सरकार 20 लाख से अधिक युवाओं को बाजार की मांग के अनुसार training देगी। नीतीश मंझे हुए खिलाडी हैं इसलिए ना केवस जनता को लुभाने वाली योजनाओं पर काम कर रहे हैं लेकिन साथ ही अपने बेटे को राजनीती में अपने से ज्यादा एक्टिव कर रहे हैं , साफ है कि उम्र और हेल्थ का तकाजा देकर अगर चुनाव जीतने के बाद एनडीए उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी तो उन्होंने इसके लिए अभी से तैयारी कर ली है, आप समझ ही गए होंगे हम क्या कहना चाहते हैं।
