बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले होली और रमजान के आने से यहां की राजनीती कुछ ज्यादा ही धार्मिक रंग में रंगी नजर आ रही है, हर दल चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस या लालू की पार्टी इस मौके का फायदा उठाने में पीछे नहीं हट रहे हैं , त्योहारों के बहाने वोट बैंक को लुभाने रके चक्चर में बिहार का सियासी पारा काफी बढ़ गया है। अब हाल फिलहाल में यहां बिहार में दो बड़े धार्मिक आयोजन हो गए एक तरफ गोपालगंज में बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का आहवान कर डाला और दूसरी तरफ आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने बिहार में कई जगहों पर ‘महासत्संग’ का आयोजन कर बिहार सरकार के विकास कार्यों की प्रशंसा कर डाली। बस इसी से कांग्रेस और RJD बुरी तरह भड़की हुई है और दावा कर रही है कि BJP संतों का इस्तेमाल बिहार में वोट बैंक बढ़ाने के लिए कर रही है। RJD के वरिष्ठ नेता मनोज झा ने यह तक कह दिया कि बीजेपी के पास तेजस्वी यादव की बराबरी करने के लिए कोई राजनीतिक तोड़ नहीं इसलिए संतों का सहारा ले रही है। पर मनोझ झा ने यह दावा किया कि बीजेपी अपने इस मकसद में कामयाब नहीं हो पाएगी क्योंकि जब भी बिहार में मतदान होते हैं तो बिहार की जनता हमेशा ही सांप्रदायिक रंग को नकार देती है।
क्या Bihar चुनाव से पहले NDA बिखर जाएगी
बिहार विधानसभा चुनाव होने में अभी कुछ महीने बाकी हैं लेकिन यहां राजनीतिक दलों, नेतागण , दिन तो क्या घंटों में अपनी रणनीती बदल रहे हैं।हाल ही में जहां एनडीए में शामिल होने को तैयार बैठे मुकेश साहनी को अचानक क्या हुआ कि उन्होंने एनडीए को झटका देते हुए अचानक ही घोषणा कर दी कि उनकी पार्टी ना अभी और ना ही आगे एनडीए में शामिल होगी, एनडीए में इसको लेकर मची हलचल अभी खत्म ही हुई थी कि यूपी में योगी सरकार में मंत्री OP राजभर ने अचानक बिहार में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। यही नहीं राजभर ने हाथों हाथ ये भी कह दिया कि यूपी के तरह अगर बिहार में अगर एनडीए उनकी पार्टी के साथ गठबंधन करती है, तो वह एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे । राजभर ने यह कहकर बिहार मे बीजेपी नेताओं की नींद भी उड़ा दी कि उनकी पार्टी बिहार की 156 सीटों पर पिछले काफी समय से काम कर रही है और 29 सीटों पर बूथ लेवल तक उनकी पकड़ काफी मजबूत हो चुकी है। राजभर के इस इस बयान के बाद जाहिर सी बात है कि एनडीए में सियासी पारा हाई हो गया है और इन बयानों से सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है। बीजेपी और jdu दोनों जानते हैं कि बिहार में छोटे छोटे दलों का बहुत महत्व है, क्योंकि यहां जाती के आधार पर वोटिंग होती है और ये दल बहुत से वोट काटने का काम कर जाते हैं। अब देखना यही है कि बीजेपी के चाणक्य कैसे बिहार में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए इन नेताओं को साथ लाते हैं।
