पश्चिम बंगाल में वक्फ पर बने कानून पर शुरू हुई हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है, मामला मुर्शिदाबाद से शुरू हुआ था हिंदुओं के घर अटैक किए गए उन दो लोगों की हत्या हुई उसके बाद पुलिस फायरिंग में एक दंगाई मारा गया उसके बाद वो मामला मुर्शिदाबाद से निकल कर के मालदा धुलियान 24 दक्षिण परगना के अलावा कोलकाता के भी बहुत सारे इलाकों तक पहुंच गया है लेकिन ऐसा लग रहा है कि ममता बनर्जी सरकार जो है वह अपीजमेंट की अपनी जो राजनीति है उस चक्कर में अभी भी दंगाइयों पर कोई भी कदम लेने पर हिचक रही है या उसमें पीछे रह रही है और बार-बार समझाने की कोशिश कर रही है जो मुस्लिम संगठन है मुस्लिम नेता हैं उनके साथ बातचीत करने की कोशिश कर रही है लेकिन जो विक्टिम्स है उनके साथ ना कोई सिंपैथी दिखा रही है ना उनके प्रोटेक्शन के लिए कोई काम कर रही है।

 

Police जोड़ रही दंगाईयों के सामने हाथ शर्मनाक

इस कारण वहां की अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा और कोलकाता हाई कोर्ट ने यह कहा कि वो इस मामले में चुप नहीं बैठ सकते हैं और केंद्रीय सुरक्षा बल को वहां पर डिप्लॉयमेंट का आदेश हुआ है और डिप्लॉय किए किए गए हैं उसमें भी जो प्रदेश की पुलिस है वह सहयोग नहीं कर रही है डीजीपी जो है वह दंगाइयों से हाथ जोड़ के दंगा ना करने की अपील कर रहे हैं उनकी ट्रेनिंग कहां की हुई है किस तरह से उन्होंने दंगा निपटने की ट्रेनिंग ली है क्या हाथ जोड़ के दंगा दंगाइयों से निपटा जाता है ,बहुत सारे ऐसे वीडियो सर्कुलेट हुए हो रहे हैं जहां पर मुस्लिम नेता जो है तथाकथित उनके ठेकेदार वो पुलिस वालों को भी धमकाते हुए नजर आ रहे हैं कि हम निकालेंगे ये हमारा हम जुलूस निकालेंगे हम इसका विरोध प्रदर्शन करेंगे ये हमारा फंडामेंटल राइट है । वैसे जब यह बिल पास हुआ उसके बाद जिस तरह से ममता बनर्जी ने यह कहा एक जैन समुदाय के कार्यक्रम में गई थी तो उन्होंने बोला कि हम इसको पश्चिम बंगाल में लागू नहीं करेंगे अब इसके दो मायने हैं पहला मायने ये कि पश्चिम बंगाल की सरकार केंद्र सरकार के बनाए कानून को डिफाई करेगी, नहीं लागू करेगी जो कॉन्स्टिट्यूशनली पॉसिबल नहीं है दूसरा फैक्टर यह है कि आप जो मुस्लिम विरोध करने वाले हैं उनको आप प्रोत्साहित कर रहे हो कि हम तो आपके साथ हैं आप जो चाहे वो करें और वैसा ही हुआ , मुर्शिदाबाद जहां पर लगभग 66% के आसपास मुसलमान है उसमें एक इलाके से मुसलमानों को खदेड़ा गया और वो नदी पार करके मालदा पहुंचे हुए हैं मालदा में भी वो एक जगह शेल्टर लिए हुए हैं।

लोगों को डर —नहीं लौट पाएंगे घर जैसा हुआ जम्मू-कश्मीर में

सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात है कि ज्यादातर लोगों का यह कहना है कि क्या वह अब कभी अपने घर लौट पाएंगे ऐसा नहीं हुआ है , इसका उदाहरण है अगर आप जम्मू कश्मीर का हाल देखिए जब जम्मू कश्मीर की मस्जिदों से गालिब चालिब गालिब का नारा दिया गया था और ये दिया गया था कि अपनी बहन बेटियों को अपनी औरतों को छोड़ के यहां से निकल जाओ पंडितों को कॉल करते हुए उसके बाद जब पंडित वहां से भागे तो आज तक वो वापस नहीं जा पाए हैं बावजूद इसके कि 370 हट गया सरकार लगातार कोशिश कर रही है आतंकवाद पर 80 से 90% लगाम लगा दी गई है फिर भी वो नहीं पहुंच पाए हैं इसलिए कि ये सारा कुछ जो है लोकल्स करते हैं जिन लोगों ने पंडितों को भगाया था वो पंडितों के पड़ोसी ही थे उनके जानने वाले उनके घर बैठने वाले लोग थे अभी जो मुर्शिदाबाद में हो रहा है यह भी उनके पड़ोसी ही कर रहे हैं और उनके जानने वाले ही भगा रहे हैं तो यह बाकायदा एक योजनाबद्ध तरीके से एथेनिक क्लीजिंग का इतिहास भारत में रहा है और इसको बड़ा सेक्शन ये दे रहा है कि ये जो जिन्ना
का कॉल था ये उसी तरह का ही मामला माना जा रहा है ।

यूसुफ पठान दंगों के बीच ले रहे थे चाय का आनंद


मुर्शिदाबाद जिले में दो लोकसभा कांस्टीट्यूज़ पड़ती हैं एक पर यूसुफ पठान है एक पर और साहब है जीते हैं दोनों तृणमूल कांग्रेस के हैं तो यूसुफ पठान तो जब दंगा हो रहा था तो अपनी चाय की तारीफ़ कर रहे थे उनको कोई लेना देना नहीं था इसके भी दो मायने हैं पहला यह कि वह इस दंगे में जो हिंदू पिट रहे थे उसको एंजॉय कर रहे थे दूसरा वो इस बात से बेफिक्र थे कि उनको लोकसभा की सीट मिल गई है अब जनता भाड़ में जाए लेकिन जो दूसरे एमपी थे उनका घर जला दिया गया उनके घर में तोड़फोड़ हुई अब वो मुस्लिम एमपी है तृणमूल कांग्रेस के एमपी हैं तो क्या तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता ही अपने लोगों का घर जला रहे हैं ।

भारत में अस्थिरता फैलाने बांग्लादेश से आए हैं-ममता दीदी की शह पर

यह वो लोग हैं जिनको तृणमूल कांग्रेस से कोई लेना देना नहीं है यह वो लोग हैं जो भारत में अस्थिरता फैलाना चाह रहे हैं ये वो लोग हैं जो बांग्लादेश से आकर के यहां दंगा कर रहे हैं और कुछ तो भाग जाते हैं कुछ इसलिए इनकी गिरफ्तारी भी नहीं हो पाती है । ममता सरकार में मंत्री हैं सिद्दीक उल्लाह चौधरी उन्होंने बोला धमकाते हुए बोला कि हम जब चाहेंगे तब कोलकाता को सीज कर देंगे 50-50 के उसमें जाकर के 2000 1000 हम घेर लेंगे और कोलकाता को ठप कर देंगे और बाद में उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके इस बयान पर उनकी तारीफ हुई है यहां तक कि जो खबरों में आ रहा है सोशल मीडिया पर आ रहा है कि इस मामले में उनको सीएम ऑफिस से भी उनकी पीठ थपथपाई गई।

ममता बनर्जी की दया पर जीवित नहीं अब उन्हें ही आंखे दिखाते

एक और मुस्लिम जो प्रोटेस्टर था उसने ये कहा कि वो जमाना लद गया जब हम ममता बनर्जी की दया पर जीवित थे मतलब यह हुआ कि जब बांग्लादेश में आते थे तो ममता बनर्जी की सरकार या वहां के लोकल जो लोग हैं वो उनको फैसिलिटेट करते थे उनका आधार बनाने में उनका आई कार्ड बनाने में उनका पैन बनाने में उनका वोटर आई कार्ड बनाने में तब उनकी निर्भरता थी अब वो इतनी संख्या में हैं कि अब उनकी निर्भरता ममता बनर्जी पर नहीं है उल्टा हो गया है अब ममता बनर्जी की निर्भरता इन लोगों पर हो गई है ये दूसरा फैक्टर हो गया तीसरा फैक्टर ये हो गया कि वहां पर मुस्लिम जो नेतृत्व है या मुस्लिम जो जनसंख्या है उसका कहना है कि अब उन्हें ममता बनर्जी की जरूरत नहीं है अब उनकी अपनी लीडरशिप विद इन द कम्युनिटी है अब वो उसके नेतृत्व में काम करेंगे या चुनाव लड़ेंगे या जो भी करना हो करेंगे तो अब उन्हें ममता बनर्जी की जरूरत नहीं है ममता बनर्जी का का दावा है कि पश्चिम बंगाल में 33% मुसलमान हो गए हैं हालांकि ये 33% मुसलमान हो गए हैं नहीं हो गए हैं ये डाटा ममता बनर्जी का अपना है जो 2011 2000 पुराना जो इसके लास्ट सेंसस है उस सेंसस के हिसाब से पश्चिम बंगाल में 27% मुसलमान है तो क्या 27% मुसलमान या उसको 30% भी मान लीजिए तो क्या 30% मुसलमान 70% हिंदुओं पर पश्चिम बंगाल में हावी हो गए हैं लेकिन जो असली बात यह है अब वहां पर एक राजनीतिक संगठन बना है इंडियन सेकुलर फ्रंट जिसके नेता है नौशाद सिद्दीक इस तरह के नेता या असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता या मुस्लिम लीग जैसे नेता अब इस तरह के लोग वहां नेतृत्व करना चाह रहे हैं मुस्लिम कम्युनिटी का ममता बनर्जी की उनको जरूरत नहीं है,

 

भयावह स्थिति है पश्चिम बंगाल राष्ट्रपति शासन लगाने का फिट केस

मुसलमानों को का प्रतिनिधित्व करने वाला दल है ये कांग्रेस के साथ इसका पिछले चुनाव में समझौता हुआ था लेकिन कुछ समझौता होने की बात चली थी लेकिन कुछ इस तरह का बहुत कुछ बेहतर नहीं कर पाए लेकिन अब जिस तरह की परिस्थितियां हैं उसमें अह ममता बनर्जी को लोगों ने छोड़ दिया है विशेष रूप से मुस्लिम कम्युनिटी ने हिंदुओं को जो बंगाली हिंदू हैं उनको ममता बनर्जी बंगाली सेंटीमेंट के नाम पर मजबूर करती थी या उनको इमोशनल ब्लैकमेल करती थी कि कोई गुजराती आ जाएगा कोई यूपी वाला आ जाएगा कोई बिहार वाला आ जाएगा इसलिए आपको तृणमूल कांग्रेस को वोट करना चाहिए लेकिन तृणमूल कांग्रेस को वोट करने का नतीजा वो देख रहे हैं किस तरह से वो पिट रहे हैं और पुलिस भी उनकी मदद नहीं कर पा रही है तो कुल मिलाकर के बहुत भयावह स्थिति है ।पश्चिम बंगाल राष्ट्रपति शासन लगाने का फिट केस है लेकिन फिर वही बात होगी जैसे ही राष्ट्रपति शासन वहां पर लागू करेगी सरकार वैसे ही सेंटीमेंट फिर ममता बनर्जी की तरफ चला जाएगा और सरकार इसी स्ट्रेटजी के कारण वहां अब तक राष्ट्रपति शासन की बात नहीं कर रही लेकिन कुल मिलाकर के स्थितियां प्रशासन पर अह इसलिए कि संगठन में भी आपसी लड़ाई जुड़ रही है चाहे अभिषेक बनर्जी हो चाहे महवा मोहत्रा और जो लोकसभा में विप है कल्याण बनर्जी उनकी आपस की लड़ाई हो यह सब भी सामने आ रहा है और इन सबको एक साथ डील करना ममता बनर्जी के लिए मुश्किल हो रहा है और ऊपर से मुस्लिम मतदाता उनको धमकाने भी लगे हैं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *