बिहार की राजनीती में आजकल मुकेश साहनी का नाम छोटी तो क्या बड़ी पार्टियों के लिए भी बहुत ज्यादा important हो गया है, कारण मुकेश साहनी पिछले कुछ समय से बिहार में एक मजबूत कद्दावर नेता बनकर उभरे हैं ।  उनका अपना एक बड़ा मल्लाह  और  निषादों वोट बैक है और वो खुद दावा करते हैं कि बिहार में  उनकी आबादी 14 फीसदी है। इसलिए माना जा रहा है कि बिहार चुनाव में सरकार बनाने में मुकेश साहनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। और यही कारण है कि बिहार की राजनीती के दोनों गठबंधन यानी बीजेपी-jdu और congress -rjd के लिए मुकेश साहनी बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं।  अभी तक एनडीए उन्हें अपने साथ लाने की कोशिश कर रहा है ,क्योंकि राजनीतिक  गलियारों में हाल ही में यह बात दोबारा चर्चा में आने लगी थी कि  मुकेश सहनी तेजस्वी का साथ छोड़ सकते हैं और NDA में चले जाएंगे लेकिन इन तमाम  अटकलों पर ब्रेक लग गया जब मुकेश साहनी ने साफ तौर पर कह दिया कि  वो इस बार लालू का साथ देंगे एनडीए में वापस नहीं जाएंगे। यह बात अलग है कि मुकेश साहनी का  उपमुख्यमंत्री बनने का सपना लालू-कांग्रेस के राज में तो पूरा नहीं हो सकता क्योंकि दोनों ही दलों में अभी तक मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पदों के लिए हौड़ मची हुई है , हां अगर एनडीए को उनकी जरूरत पड़ी तो चाणक्य जरूर उन्हें यह पद देने का लालच देकर दोबारा एनडीए का हिस्सा बना सकते हैं।

बिहार की राजनीती क्यों भांती है पुलिस अधिकारियों को

 बिहार की राजनीती पर नजर डालें तो एक तरफ राजनीतिक  दलों के परिवारों का यहां की राजनीति में दबदबा बना रहता है और दूसरी तरफ  बिहारी  राजनीति पुलिसकर्मियों को भी बहुत लुभाती है। हाल फिलहाल में यहां   रेलवे महानिरीक्षक पद से इस्तीफा  देकर IPS Mohammad Nurul Hoda  वीआईपी पार्टी में शामिल हो गए ,  होदा 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी  हैं। वैसे इससे पहले भी पुलिस अधिकारियों की एक लंबी लिस्ट हैं जिन्होंने पुलिस सर्विस छोड़कर राजनीति में हाथ अजमाने के लिए विभिनन दलों का हाथ थाम लिया है। जैसे कि 2024 में शिवदीप वामनराव लांडे ने आईजी पद से त्यागपत्र देकर अपनी  हिंद सेना का गठन किया। , तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक पद से रिटायर हुए करुणा सागर ने 2020 के चुनाव में rjd ज्वाइन कर ली थी।  पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने  2024 को आसा का गठन किया। jdu सरकार में  शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने भी डीजी पद से रिटायर होने के बाद नीतिश का हाथ थाम लिया था। इससे पहले  पटना के एसएसपी रहे डॉ. अजय कुमार ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। बिहार पुलिस में महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय और  पूर्व डीजीपी डीपी ओझा भी राजनीति में आए पर सफलता नहीं मिली। इसके अलावा  निखिल कुमार, ललित विजय  पुलिस अधिकारियों ने खाकी छोड़कर  राजनीति की राह पकड़ ली है।

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