माना जाता है कि यूपी में किसी भी दल को यहां की गद्दी पर बैठना है या लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीट हासिल करनी है तो यूपी के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय का विश्वास हासिल करना बहुत जरूरी है क्योंकि ये सब मिलकर एक बहुत बड़ा वोट बैंक है जो किसी भी दल की हारजीत का फैसला कर देता है और अब इसी वोटबैंक को उड़ाने के लिए यूपी में भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद काफी एक्टिव हो रहे हैं और इससे किसी और की नहीं बलिक समाजवादी पार्टी और कांग्रेस नेताओं की नींदें उड़ रही हैं, चंद्रशेंखर खुलकर पिछड़ों , दलितों और मुस्लिमों को समाज में अपना सम्मान बनाने के लिए एकजुट होकर उनकी पार्टी को विधानसभा चुनाव-2027 में वोट देने के लिए जागरूक कर रहे हैं। वैसे इससे मायावती और बीजेपी को भी चोट लग सकती है पर यह इतनी गहरी नहीं होगी क्योंकि पहले से ही इस वर्ग से जुड़े बहुत से वोटर्स मायावती का साथ छोड़ चुके हैं और जहां तक बीजेपी की बात है, माना जाता है उसका वोट बैंक काफी हद तक फिक्स होता है और मुस्लिम कभी बीजेपी के साथ रहा नहीं ऐसे में दलित या पिछड़ा थोड़ा बहुत इधर-उधर खिसकता है तो बीजेपी को कोई खास नुकसान नहीं होगा। पर दूसरी तरफ कांग्रेस जो इन वोटर्स के दम पर ही यूपी में दोबारा अपने पांव जमाने की कोशिश कर रही है, चंद्रशेखर का यूपी में बहुत ज्यादा एक्टिव होना उनका वोट और सीट दोनों का नुकसान करेगा और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव जो इस वर्ग के अधिकारों के लिए खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं, उन्हें भी भीम पार्टी करार झटका दे सकती है।
किसके बूते पर कांग्रेस UP -Bihar में इतना उछल रही

गजब ही है कांग्रेस के confidence का लोकसभा चुनावों में केवल 99 सीटे जीतने के बाद भी कांग्रेस अभी भी महागठबंधन के सभी दलों से अपने को आगे और सर्वश्रेठ ही समझती है। संसद में कांग्रेस अपना सुर अपनी लाइन चलाना चाहती है पर कई बार दूसरे दल इसके खिलाफ आवाज उठा ही देते हैं, पर कांग्रेस तो बाज नहीं आने वाली अब लग रहा है कि कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग , पूरी तरह से बिहार और यूपी दोनों राज्यों में अपने बलबूते पर चुनाव लड़ने का मन बना रहा है, पर एक्सपर्ट मान रहे हैं कि ऐसा करके ये नेता कांग्रेस के पांव पर कुलहाडी मारने का काम करेंगे। क्योंकि अब कांग्रेस पहले जैसी पार्टी नहीं रही उसे जीत के लिए क्षेत्रीय दलों पर निर्भर रहना ही पड़ेगा, पर कांग्रेस के बड़े तो क्या छोटे नेताओं तक को यह बात समझ में नहीं आ रही और वो खुल कर इन दो राज्यों में अपने बलबूते पर चुनाव लड़ने की खुलेआम बात कर रहे हैं, अभी हाल ही में सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने खुल कर कह दिया कि कब तक हम बैसाखी का सहारा लेते रहेंगे, इस बयान के आने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या इमरान मसूद पार्टी लाइन से अलग राह पर चल निकले हैं क्योंकि अभी तक तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने आगमी विधानसभा चुनाव में गठबंधन जारी रखने के कईं संकेत दे दिए हैं, यह बात अलग है कि कई मंचों पर दोनों दलों के बीच की तल्खियां सामने आ चुकी हैं और शायद इनही से प्रेरित होकर इमरान जैसे नेता अलग लड़ने के मुद्दे को हवा दे रहे हैं और लगातार समाजवादी पार्टी पर हमला भी कर रहे हैं, इमरान साफ कह रहे हैं कि इस बार यूपी में 80 में से 17 सीटों का फॉर्मूला नहीं चलेगा। हम भिखारी नहीं हैं जो गठबंधन की भीख मांगें। हमारा मकसद कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा करना है। दूसरी तरफ बिहार में भी कांग्रेस के कईं नेता अपनी पसंद की 70 सीटों पर लड़ने का खुल कर ऐलान कर चुके हैं, जबकि rjd उऩ्हें 50 सीटे देना चाहती है , वैसे बंद कमरे में बैठकर राहुल और तेजस्वी सीटों पर बंटवारा होने पर सहमति की बात करते हैं पर सार्वजनिक मंचों पर बिहार तो क्या यूपी में भी कांग्रेस के कई नेता खुलेआम अलग रहकर चुनाव लड़ने की वकालत कर रहे हैं।
Congress पर बुरी तरह सो उल्टे पड़ेंगे ये Question
राहुल पूछ रहे हैं कि भारत के कितने जहाज मार गिराए गए, कितने राफेल मारे गए अब इसमें राफेल को लेकर के जो प्रश्न किया जा रहा है उसके पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण है कि राफेल पर राहुल गांधी को अदालत में झाड़ पड़ी थी और अदालत ने उस मामले
में राहुल गांधी के सारे आरोपों के बावजूद जिसमें उन्होंने चौकीदार चोर का नारा दिया था वो सुप्रीम कोर्ट से उनको डांट पड़ी थी और ह्यूमिलिएट हुए थे और पूरा का पूरा उनका नैरेटिव 2019 के चुनाव में फेल हो गया था तो अब वो राफेल को राफेल के गिरे
होने की खबर को प्रूफ करके साबित करके ये बताने की कोशिश करेंगे कि मैं जब मैंने यह बात कही थी तो मैं सही था और राफेल की डील खराब है एक तो ये साबित करने की राहुल कोशिश कर रहे हैं दूसरा जो महत्वपूर्ण मसला है कि तीन चुनाव कांग्रेस हार चुकी है बुरी तरह से हार चुकी है ये तीसरा चुनाव तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब प्रधानमंत्री बने हैं और बहुत मजबूती के साथ काम कर रहे हैं बावजूद इसके कि ये विरोध में हैं इन्होंने वक्फ जैसे कानून को सरकार ने पास करा लिया अब वो अदालत में है अदालत में भी बहुत उसको सख्ती के साथ सरकार उसको डील कर रही है तो यह किसी भी तरह से इस प्रयास में है कि सरकार को ह्यूमिलिएट करें बीजेपी को ह्यूमिलिएट करें बीजेपी को क्वेश्चन करें अब उसमें अगर देश का भी अपमान होता है तो उससे फर्क
नहीं पड़ता है लेकिन सरकार मतलब चुनाव जीतना चाहिए चुनाव जीतने की कोशिश में यह सारी की सारी कवायद है यह बात यह भी कही जा सकती है कि बीजेपी भी चुनाव जीतने के लिए कुछ करती है लेकिन बीजेपी क्या चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस पर इस तरह के आरोप लगाती है या देशद्रोह मतलब देश के साथ कॉम्प्रोमाइज करने की बात करती है, माना जा रहा है राहुल गांधी और कांग्रेस पर यह सब बूम रैंक करने वाला है जैसे 2019 के लोकसभा चुनाव में चौकीदार चोर वाला जुमला बूम रैंक किया था जिस तरह से पूरा का पूरा इको सिस्टम लगा हुआ है और इस बार एस जयशंकर उनके टारगेट पर हैं निश्चित तौर पर कांग्रेस का अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का एक और कदम यह साफ तौर पर नजर आ रहा है और कांग्रेस इस मामले में बुरी तरह से फंस गई है जिस तरह की राजनीति या जिस तरह की योजनाओं पर राहुल गांधी काम करते हैं और उनके लोगों को उनके प्रवक्ताओं को उसका वो एज इट इज फॉलो करना पड़ता है वो निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए चुनाव में मुश्किल डालेगा इस तरह की राजनीति से कांग्रेस चुनाव नहीं जीत सकती है कांग्रेस इसको 10 बार एक्सपेरिमेंट कर ले दो बार एक्सपेरिमेंट कर चुकी है और आठ बार एक्सपेरिमेंट कर ले कांग्रेस इसमें औंधे मुंह गिरेगी ।
