Bihar क्या NDA में वर्चस्व की लड़ाई

बिहार में पहले ही चिराग पासवान के चुनाव लड़ने के एलान से बीजेपी नेताओं के साथ jdu की भी नींद उड़ी हुई है क्योंकि दोनों को ही पता है कि सीटों के बंटवारे को लेकर टसल बढ़ सकती है पर अब उससे भी ज्यादा nda के दो सहयोगी दलों यानी जितनराम मांझी और चिराग पासवान के बीच सियासी बवाल पैदा हो गया है और इससे बीजेपी की रही सही नींद भी गायब हो गई है। जी हां जीतन राम मांझी लगातार चिराग पासवान को लेकर उल्ट सीधे बयान दे रहे हैं दरअसल, कुछ दिन पहले जितनराम मांझी ने चिराग पासवान पर तंज कसते हुए कहा था कि जो नेता वास्तव में मजबूत होते हैं, वे ज्यादा बोलते नहीं। उन्होंने चिराग की रैली में आई भीड के बारे में भी कहा कि ये जुटाई हुई भीड़ थी, जिन्हें लाने के लिए गाड़ियां भेजी जाती हैं, जिनमें कुछ लोग केवल नारे लगाने के लिए होते हैं। इस पर चिराग पासवान कुछ नहीं बोले पर जमुई सांसद अरुण भारती ने अपनी पूरा गुस्सा निकाल लिया और बिना नाम लिए बोले कि हमारी सभाओं की सफलता से कुछ लोग हो गए विचलित हो रहे हैं। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच टकराव का कारण बिहार के दलित वोटर्स हैं जो दोनों ही पार्टियां अपने पक्ष में करने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं, पर चिराग पासवान, अमीर और गरीब दलितों को सभी अधिकार दिलाने के पक्ष में हैं और जितनराम मांझी का मानना है कि दलितों में पिछड़ें लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए।

 

क्या मारा छक्का, Congress लालू देखते रह गए

बिहार विधानसभा चुनाव होने में अभी कुछ समय बचा है पर कोई ऐसा दिन नहीं जाता जब बीजेपी और कांग्रेस गठबंझन में कुछ उठापठक नहीं होती है, एक तरफ बीजेपी गठबंधन में चिराग और जितनराम मांझी के बीच तनातनी चल रही है और दूसरी तरफ कांग्रेस और rjd के बीच कांग्रेस की 70 सीटों पर लड़ने की मांग को लेकर तरकार की खबरें आ ही रही थी और अचानक इनके सहयोगी वाम दल की घोषणा ने सबको चौका दिया, जी हां कांग्रेस और rjd को धता बताते हुए भाकपा-माले ने 45 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया , और इसके बाद पार्टी के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने यह बताते हैं कि सीटों के तालमेल और चुनावी एजेंड को लेकर वह महागठबंधन से बातचीत करेंगे। मतलब साफ है कि सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन में जबरदस्त तकरार होने वाली है , अब देखना यही है कि कौन सा दल किस दल को झुकाने में कामयाब हो पाता है, पर जिस तरह से कांग्रेस यहां बड़े आक्रमक रूप से अपना प्रचार प्रसार कर रही है साफ लग रहा है कि आने वाले समय में अपनी पसंद और अपने हिसाब से सीटों का बंटवारा करने में कांग्रेस सफल हो सकती है। और इसके लिए कांग्रेस ना तो rjd के दबाव में आएगी और ना ही वाम दलों के।

क्या Congress में राहुल की बढ़ती ताकत दिखाने की कोशिश

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बयान दिया है कि जाती जनगणना का नए सिरे से सर्वे का फैसला उनकी सरकार का नहीं बल्कि कांग्रेस हाईकमान का है। इस बयान के आने बाद तमाम तरह की चर्चाओं का बयान गर्म है सबसे ब़ड़ा कि कांग्रेस आलाकमान का मतलब सीधा राहुल गांधी हैं और राहुल जाती जनगणना के मुद्दे को लगातार भुनाने में लगे हैं और इसके चलते यही कहा जा रहा है कि राहुल का फैसला कर्नाटक सरकार पर थोंपा जा रहा है जबकि वहां के ज्यादातर नेता इसके पक्ष में नहीं है, इससे यह भी जाहिर हो रही है कि राहुल चुनी हुई सरकारों के कामकाम में सीधा हस्तक्षेप भी करते हैं, दूसरा माना जा रहा है कि इस फैसले को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया नाराज तो हैं पर कुछ बोल नहीं पा रहे पर आने वाले समय में कांग्रेस के अंदर ही विद्रोह के कईं स्वर सामने आ सकते हैं, आपको बता दें कि 2015 में कर्नाटक में जाति जनजगणना करवाया गया था पर उसके आंकड़ों में कईं प्रकार की खामियां सामने आई और सबसे अधिक कर्नाटक की दो सबसे प्रभावशाली जातियां लिंगायत-वोक्कालिगा ने अपनी जनसंख्या को लेकर इस जनगमऩा पर कड़ी आपति दर्ज कराई थी और इसके खिलाफ सरकार के विरद्ध एक तरह से युद्घ की घोषणा कर दी थी, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने यह तो साफ कह दिया कि वो 2015 की रिपोर्ट को खारिज नहीं करेंगे। इसकी खामियां दूर करेंगे। वैसे जानकार मानते हैं नईजनणना की घोषणा से कांग्रेस ने एक तीर से दो शिकार किए हैं, इन दोनों जातियों को तो खुश कर ही दिया साथ ही पार्टी में राहुल गांधी की importance और उनके जनगणना के मुद्दे को और ताकत दे दी।

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