Haryana की गलती दोहरा रहे Rahul Gandhi

लगता है झारखंड में हालात कुछ हरियाणा जैसे ही बनते जा रहे हैं जहां कांग्रेस आलाकमान और खासकर राहुल गांधी कईं दिग्गज आदिवासी नेताओं को इग्नोर कर रहे हैं , ये वैसा ही है जैसे राहुल गांधी ने हरियाणा की कद्दावर नेता कुमारी शैलजा को जाने-अनजाने इग्नोर करते हुए हुड्डा को अहमियत दे डाली और हरियाणा की जीती जिताई बाजी हार गए। दरअसल हाल ही में राहुल गांधी ने पार्टी संगठन को मजबूत करने और रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में झारखंड के प्रमुख आदिवासी नेताओं, विधायकों और सांसदों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। पर इस बैठक में झारखंड के कईं प्रभावशाली आदिवासी गायब थे , पता चला इसमें प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव और प्रदीप बलमुचू जैसे नेताओं को शामिल नहीं किया गया। इस उपेक्षा से साफ हुआ कि झारखंड में पार्टी के अंदर हरियाणा की तरह नेताओं में जबरदस्त गुटबाजी है। चर्चाएं यह भी चल रही हैं कि गुटबाजी के चलते पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इन नेताओं की अनदेखी की थी। माना जा रहा है कि झारखंड कांग्रेस में ओबीसी नेताओं को बढ़ावा देने के लिए यह सब कुछ किया जा रहा है। इस समय प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश और विधायक दल के नेता प्रदीप यादव, दोनों ही ओबीसी समुदाय से हैं, कांग्रेस की आदिवासी नेताओं को इग्नोर करने की रणनीती उनके पारंपरिक वोट बैंक को नाराज कर सकती है, क्योंकि आदिवासी, ईसाई और मुस्लिम समुदाय के लोग कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े हैं। पर इससे भी अधिक परेशानी यह है कि खुद ओबीसी नेताओं में भी तल्लखियां बढ़ रही हैं और वो कईं विधायकों ने राहुल के सामने नेतृतव बदलने की भी मांग उठा दी। यही नहीं विधायक ने राहुल गांधी को यह भी बता दिया कि मंत्री उनकी शिकायते ही नहीं सुनते । बैठक में राहुल गांधी ने मंत्रियों को सख्त हिदायत देकर एक परिवार की तरह काम करने के आदेश तो दिए पर क्या राहुल का यह आदेश हरियाणा की तरह हवा में ही तैरता नजर ना आए।

 

Up —प्रिंसिपल का गजब ड्रामा-सब हैरान परेशान

देश में यूपी- बिहार दो ऐसे राज्य हैं जहां वो सब हो जाता है जिसकी कल्पना करना भी मुशिकल हो जाता है, अभी हाल ही में बिहार में हाथों में बेडियां पहने एक कैदी को वहां के मंत्री की ओर से मंच पर प्रमाणपत्र देने का वीडियो खूब चला, बाद में पता चला कि जेल में ही शिक्षक का कोई एग्जाम दिया , उसमें पास हुआ तो प्रमाणपत्र मिला, पर किसी ने उसकी बेड़ियां उतराने की सुध नहीं ली और चर्चाएं खूब चली कि बिहार है ना सब चलता है और अब यूपी के बुलंदशहर में एक स्कूल के प्रिंसिपल ने वो कारनामा किया कि सब हैरान रह गए, दरअसल यूपी सरकार कईं उन स्कूलों को आपस में जोड़ रही है जहां बच्चे बहुत कम हैं, बेसिक शिक्षा अधिकारी लक्ष्मीकांत पांडे ने बताया कि उनके जिले में कुल 1862 सरकारी स्कूल हैं जिनमें 509 ऐसे हैं, जहां 50 से भी कम विद्यार्थि बढ़ने आते हैं इन्हीं स्कूलों को आधुनिक बनाने के लिए आपस में मर्ज किया जा रहा है, अभी तक 145 विद्यालयों को मर्ज किया जा चुका है और इसी के तहत शकरपुर के स्कूल को मर्ज कर चठेरा गांव के विद्यालय से जोड़ने की कवायद चल रही थी पर सरकार की यह योजना ऊंचागांव ब्लॉक के शकरपुर गांव स्थित स्कूल के प्रिंसिपल अंकित कुमार और उनके एक सहयोगी शिक्षक को रास नहीं आई क्योंकि अगर ऐसा होगा तो उन्हें दूसरी जगह तैनात किया जाएगा, बस उन्होंने गांव के भोले-भाले लोगों को इसके खिलाफ भड़काकर खुद और अपने सहयोगी को बंधक बनावा लिया, अच्छा। खासा ड्रामा करके शिक्षा अधिकारियों तक को गुमराह कर दिया, पुलिस को सूचना मिली तो मौके पर पहुंचकर उन्होंने गांव वालों को समझाया, अब नाटक तो चल ही रहा था जल्द ही असलियत सामने आ गई और बेचारे प्रिंसिपल को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

 

Bihar बाकी सब ठीक – तेजस्वी बस यही एक गलती कर बैठे

तेजस्वी यादव बिहार में कानून व्यवस्था को लेकर ना केवल एनडीए यानी नीतीश सरकार पर हमलावर हो रहे हैं बलिक उन्होंने पत्रकारों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है और उनके लिए गलत भाषा का प्रयोग भी किया और यहीं पर शायद तेजस्वी गलती कर बैठे क्योंकि , बीजेपी नेताओं को उनपर पलटवार करने का एक जबरदस्त हथियार लग गया है, जी हां बीजेपी नेता अब लालू राज में पत्रकारों के सम्मान, सुरक्षा की पोल खोल रहे हैं और बता रहे हैं कि लालू के जंगलराज में कईं पत्रकारों को निशाना बनाया गया और उनकी आवाज दबाने की कोशिश की गई। बीजेपी प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान ने तंज कसते हुए कहा कि हमारी सरकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की सुरक्षा करती है जबकि लालू राज में पत्रकारों की हत्या के अनेकों मामले हैं। गुरू प्रकाश ने बाकयादा नाम लेते हुए कहा कि 1991 में गया के पत्रकार अशोक प्रसाद की हत्या हुई, 1994 में सीतामढ़ी के दिनेश दिनकर की हत्या, 1997 में गोपालगंज में हिंदुस्तान अखबार के कार्यालय पर बम हमला, 1999 में सिवान में दूरदर्शन कार्यालय पर हमला और मधुबनी में वरिष्ठ पत्रकार चंद्रिका राय पर हमला हुआ और ये सब rjd यानी लालू राज में हुए। दरअसल हाल ही में तेजस्वी ने पत्रकारों के सूत्र को मूत्र बता कर उनकर जबरदस्त तंज कसा था और यह भी कहा था कि उनकी पार्टी का समर्थन करने वालों से वह चौथे स्तंभ को बेनकाब करने को कहेंगे।अब देखना यही है कि चुनावी दौर में प्रेस पर किया गया हमला तेजस्वी को कितना नुकसान पहुंचा सकता है। वैसे तेजस्वी के सितारे कुछ ठीक नहीं चल रहे , हाल ही मे RJD की ही एक महिला विधायक ने खुलेआम कहा कि सरकार बनाने के लिए उनसे पैसे की मांग की गई और तेजस्वी यादव के साथ उनके सहयोगियों ने उन्हें बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगाए हैं।

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