Bihar ———नीतीश मजबूर हैं पर BJP के पास बहुत विकल्प
जब से Bihar में मुख्मंत्री नीतीश कुमार ने फ्री बिजली देने की घोषणा की है चर्चाओं का बाजार गर्म है कि अपनी राजनीती के अंतिम पढ़ाव पर पहुंचे नीतीश को क्या ऐसा डर सता रहा है जो उन्हें फ्रीबीज योजना का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। मजबूर इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ये वही नीतीश कुमार हैं जो विधानसभा के भाषण में फ्रीबीज के खिलाफ लंबा चौड़ा भाषण देते हैं और इस योजना के खिलाफ माने जाने वाले मुखर नेता रह चुके हैं। नीतीश कुमार अभी तक विकास और सामाजिक न्याय साथ साथ लेकर चलने की बात करते थे , जाति आधारित राजनीति की पहचान रखते हैं, पर अब अचानक उन्हें बिहार की जनता को लुभाने के लिए मुफ्त की योजनाओं का सहारा क्यों लेना पड़ रहा है, चर्चाएं यही चल रही हैं कि हाल ही में हुए एक सर्वे में जिस तरह से नीतीश की लोकप्रियता काफी कम होने की बात सामने आई थी उससे jdu खेमे में चिंता का माहौल बन गया है। कुछ महीने पहले तक बिहार का माहौल कुछ अलग था खुद jdu नेता खुले में कहते फिरते थे कि नीतीश कुमार को दूसरों की तरह कभी फी्बीज का सहारा लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी और एनडीए गठबंधन विकास और ‘जंगलराज खात्मे पर ही जीत जाएगा, पर अब लगता है बिहार बदल रहा है यह बदलाव बीजेपी के खिलाफ नहीं पर नीतीश कुमार को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने की जो कवायद है उसके खिलाफ लग रहा है क्योंकि एक तरफ तेजस्वी से लेकर प्रशांत किशोर उन्हें मानसिक रूप से अस्वस्थ बनाने पर तुले हैं और दूसरी तरफ चिराग पासवान उनकी गद्दी छीनने के लिए पूरी तरह से तत्पर बैठे हैं और इन सब के बीच बीजेपी के लिए कोई चिंता की बात नहीं है, नीतीश ना सही तो बीजेपी के कईं कद्दावर नेता लाइन में खड़े हैं और अगर वो नहीं तो मोदी भक्त चिराग भी बुरा आप्शन नहीं है।
UP—–अखिलेश ने योगी के खिलाफ क्यों दी महापंचायत करने की धमकी
यूपी में समाजवादी पार्टी बखेड़ा खड़ा करने का कोई ऐसा मौका नहीं छोड़ती जहां उसे योगी सरकार की कोई गलती या चूक नजर आ जाए और कईं बार तो बखाड़े जानबूझकर खड़े करना समाजवादी पार्टी की खास बात बनती जा रही है, अब सहारनपुर एडीएम का समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन का अपमान करने का मामला कितना सही है या कितना गलत यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा पर इस मुद्दे को लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव जरूरत से ज्यादा मुखर बन गए हैं और योगी सरकार को घेरने के लिए बाकायदा मुजफ्फरनगर में महापंचायत बुलाने का ऐलान कर दिया। यही नहीं अखिलेश यादव ने फेसबुक और एक्स पर लिखा कि जो अधिकारी सांसद का सम्मान नहीं करता, वह जनता का सम्मान क्या करेगा? वहीं मुजफ्फरनगर के सपा सांसद हरेंद्र मलिक इकरा के पक्ष में आ गए हैं।और लग रहा है कि समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को हवा दे रही है, आपको बता दें कि इकरा हसन का आरोप है कि सहारनपुर एडीएम ने उनका फोन नहीं उठाया और कई घंटे बाद आकर उन्हें अपमानित किया दफ्तर से बाहर जाने को कहा। फिलहाल पूरे मामले की जांच डीएम सहारनपुर कर रहे हैं। दूसरी तरफ एडीएम ने इन सभी आरोपों को गलत बताया है।
Maharashtra—उद्वव का इशारा क्या होगा कोई बड़ा खेला
महाराष्ट्र में फिर से चर्चाओं को बाजार गर्म है कि पहले उद्वव और राज ठाकरे एक हुए और क्या अब दोनों भाई फिर से एनडीए का हिस्सा बनने जा रहे हैं, यह सब इसलिए गर्मा रहा है कि बहुत दिनों बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुलाकात की।पता चला है कि लगभग 20 मिनट तक चली यह मुलाकात विधान परिषद के अध्यक्ष राम शिंदे के कार्यालय में हुई. अगर वैसे ही यह मुलाकात होती तो इसपर इतना ध्यान नहीं दिया जाता पर इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा में फणडवीस ने बहुत ही हल्के अंदाज में कहा कि उद्धव जी 2029 तक मेरी तो उस तरफ यानी (विपक्ष में आने की कोई संभावना है नहीं। आप इधर आना चाहें, तो रास्ता निकाला जा सकता है। लेकिन उसके लिए कुछ अलग तरीके से सोचना पड़ेगा। वैसे उद्वव ने इस बात का नकार दिया पर इसके बाद भी विधानभवन की सीढ़ियों पर फोटोग्राफी में शामिल होने के लिए पहुंचे उद्धव ठाकरे तो शिवसेना में विभाजन के बाद पहली बार ऐसा अवसर देखा गया जब उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आमने-सामने खडे थे। बस उसके बाद इन घटनाओं और दोनों नेताओं की मुलाकात से लगने लगा है कि क्या कोई नया राजनीतिक समीकरण महाराष्ट्र में बनने वाला है और क्या उद्वव और बीजेपी के बीच पनपी इतनी कटुता के बाद भी दोनों दलों का मिलन हो सकता है।