BIHAR नीतीश को तोड़ने तेजस्वी का नया दांव

सभी जातने हैं कि एक समय में चिराग और बिहार के cm नीतीश कुमार के बीच छतीस का आंकड़ा रहता था, पर NDA में शामिल होने के बाद इन रिश्तों में थोडी मिठास आनी शुरू हुई पर यह भी सभी को पता होगा कि यह मिठास दिल से कम राजनीतिक मजबूरी ज्यादा थी, और अब एक बार फिर जब से चिराग बिहार में बहुत ज्यादा एक्टिव हो रहे हैं उनके और नीतीश के रिश्ते गडबड़ाने लगे हैं। बस शायद इसी बात को फायदा तेजस्वी यादव उठाना चाह रहे हैं और वो खुलकर चिराग पासवान के सपोर्ट में , उन्हें प्रसन्न करने के लिए बयान दे रहे हैं, हाल ही में तेजस्वी ने चिराग और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तनातनी भुनाने की भी कोशिश की और चिराग को नीतीश पर भरोसा न करने की सलाह भी दे डाली, और कहा कि चिराग खुलकर अपना विजन रखें, उन्हें पूरा एक्टिव रहना चाहिए और किसी की परवाह नहीं करनी चाहिए। मतलब साफ है कि तेजस्वी ने सीधे इशारा कर दिया कि बिहार में चिराग को किसी से दबने की जरूरत नहीं है, तेजस्वी चिराग पासवान को वह अपना बड़ा भाई मानने की बात भी करते हैं और एक न्यूज चैनल पर दिए एक इंटरब्यू में तेजस्वी यह भी कहते हैं कि चिराग को वो हमेशा शादी करने की सलाह देते हैं। वह चिराग पासवान से मिलते हैं तो सियासी बातें कम होती हैं और पारिवारिक और सामाजिक मुद्दों पर बातें ज्यादा। इस बयान के बाहर आते ही चर्चाएं चल निकली हैं कि क्या तेजस्वी चिराग को अपने पाले में लाने की कवायद में लगे हैं,
BIHAR के 4 नेताओं पर कैसे भारी पड़े PM मोदी

सब राजनीतिक दल जानते हैं कि बिहार में दलित वोट बहुत ज्यादा हैं और किसी भी नेता या पार्टी की हार जीत का बड़ा कारण बन सकते हैं, और यही कारण है दलितों का मसीहा बनने के लिए तेजस्वी तो क्या चिराग तो क्या जीतनराम मांझी तो क्या प्रशांत किशोर सभी लाइन में लगे हैं और हर कोई अपने आप को दलितों का सबसे बड़ा नेता बताने की कोशिश में लगा है, पर हाल ही में बिहार के दलितों पर हुए एक सर्वे ने किसी और को चौकाया होगा या नहीं पर दलितों के नेता बनने की कोशिश करने वाले इन नेताओं की तो जरूर रातों की नींद गायब कर दी होगी, जी हां नेशनल कॉन्फेडरेशन और द कन्वर्जेंट मीडिया ने अपने में बताया कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दलितों के सबसे बड़े नेता हैं , दलितों मतदाताओं में वो सबसे ज्यादा लोकप्रिय पाए गए। सर्वे से नीतीश कुमार को झटका लगा है क्योंकि महादलित में उनकी पकड़ कमजोर पड़ती दिखी , यह सर्वे बिहार के कोसी, मिथिलांचल, सीमांचल, भोजपुर, चंपारण और मगध-पाटलिपुत्र क्षेत्रों में किया गया और 47.51% दलितों ने मोदी के पक्ष में वोट दिए, पर यह सर्वे मोदी के लिए भले सुखदायक हो पर एनडीके के लिए नहीं क्योंकि इसी सर्वे में महागठबंधन को एनडीए से ज्यादा समर्थन मिला आपको बता दें यह सर्वे 10 जून से 4 जुलाई 2025 के बीच हुआ और इसमें 49 विधानसभा सीटों को शामिल किया गया। अब इस सर्वे के आने से एनडीए में जरूर चिंता होनी शुरू हो गई हैं क्योंकि चुनाव करीब है और जनता कांग्रेस -RJD की तरफ भाग रही है।आपको बता दें कि बिहार में अनुसूचित समुदाय की 23 जातियां हैं।
