BJP के चाणक्य को झूठा साबित करने की कोशिश हुई नाकामयाब
संसद में बीजेपी के चाणक्य , अमित शाह जिस तरह से विपक्ष के हर एक सवाल का बेतोड जवाब दे रहे हैं , आंकड़ों के साथ , आत्मविश्वास के साथ और सबसे चाणक्य हर सवाल को एक हल्के-फुल्के, मंजकिया अंदाज में पेश करके विपक्ष को बोलने के लिए, गुस्सा करने के लिए कोई मौका ही नहीं दे रहे हैं और शायद यही कारण है कि सोशल मीडिया पर इस बार सबसे ज्यादा अमित शाह की लोकसभा और राज्यसभा में दी जाने वाले बयान वायरल हो रहे हैं , लोग उऩ्हें देखना, सुनना पसंद कर रहे हैं, पर अमित शाह के इस अंदाज , इस रणनीती को भेदने के लिए विपक्ष और खासतौर पर कांग्रेस पूरा जोर लगा रहे हैं, कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी से लेकर मल्लिकानर्जुन खरगे, जयराम रमेश अमित शाह को अपने उल्टे-सीधे प्रशनों से घेरने का पूरा प्रयास कर रहे हैं पर अभी तक किसी को सफलता नहीं मिल पाई और अब कांग्रेस के एक और अनुभवी और दिग्गज नेता और अब लगता है कि पूर्व गृहमंत्री ने पी. चिदंबरम ने गृह मंत्री अमित शाह को घेरने के लिए संसद के अंदर नहीं बल्कि बाहर से घेरने के लिए कमान अपने हाथ में ले ली है और अमित शाह के एक बयान को झूठ का पुलिंदा बताते हुए अमित शाह ने झूठा साबित करने की कोशिश में लग गए हैं।
दरअसल माजरा यह है कि राज्यसभा में अमित शाह ने कांग्रेस के शासनकाल और चिदंबरम पर करारा वार करते हुए कहा था कि चिदंबरम के गृह मंत्री रहते अफजल गुरु को फांसी नहीं दी जा सकी। इस पर पी चिदंबरम बुरी तरह भड़के हुए हैं और अमित शाह को झूठा साबित करने की कवायद शुरू कर दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि चाणक्य तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। चिदंबरम कहते हैं कि दोष साबित होने के बाद और सजा सुनाए जाने के बाद अफजल गुरु की पत्नी ने भारत के राष्ट्रपति से दया याचिका की थी। खैर असलियत सबको पता है कि चिदंबरम 2008 से 31 जुलाई, 2012 तक गृहमंत्री थे और अफजल को 9 फरवरी, 2013 को फांसी दी गई। तो अब अमित शाह ने झूठ कैसे बोला ये अजब-गजब ही है।
इससे पहले भी चाणक्य ने राहुल गांधी की ओर से चीन को जमीन दिए जाने आरोप पर मजाकिया अंदाज में वो करारा जवाब दिया जिससे विपक्ष हंसा भी और परेशान भी हुआ। अमित शाह ने 1962 के युद्ध में अक्साई चीन का 38 हजार वर्ग किलोमीटर हिस्सा चीन को देने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जिक्र किया हुए कहा कि नेहरू ने खुद संसद में कहा था कि वहां घास का एक तिनका भी नहीं उगता है, उस जगह का क्या करूं.। चाणक्य रूके नहीं और अपने सिर पर हाथ फेरते हुए कहा कि नेहरू जी का सिर मेरा जैसा था, बाल नहीं थे और इसी कारण उस समय एक सांसद महावीर प्रसाद त्यागी जी ने टिप्पणी कर दी थी कि आपके सिर पर भी एक बाल नहीं वो भी चीन को भेज दें क्या.। इस तरह के कईं वीडियों काफी वायरल हो रहे हैं जिनमें अमित शाह अपनी रोबिली, गुस्सैल छवि के विपरीत मजकिया अंदाज में विपक्ष की क्लास ले रहे हैं।
मोदी से ज्यादा अमित शाह से डरते नेता बना लिया एक Record

यह तो देखा गया है कि बीजेपी के तमाम नेता हों या कार्यकर्ता सभी मोदी से ज्यादा अमित शाह से डरते हैं, क्योंकि मोदी तो फिर भी नरमी बरत जाते हैं पर अमित शाह का कड़क स्वाभाव सबको डराता है , संसद तक में अमित शाह जब बोलते हैं तो किसी की ज्यादा हिम्मत नहीं हो पाती है उऩपर टीका टिप्पणी करने की। यही नहीं खुद मोदी तक भी अमित शाह की चाणक्य नीती के कायल हैं , और यह चर्चा भी चलती है कि अमित शाह के बिना मोदी का गुजारा नहीं। हाल ही में मोदी ने अमित शाह की जमकर तारीफ करी और ये भी बताया कि देश में आजादी के बाद अमित शाह सबसे लंबे समय काम करने वाले गृहमंत्री बन गए हैं। आपको बता दें कि अमित शाह को मोदी के दूसरे कार्यकाल में 30 मई को गृहमंत्री बनाया गया था और मंगलवार को उनके गृहमंत्री के रूप में 2258 दिन पूरे हो गए। अमित शाह से पहले वाजपेयी की सरकार में लालकृष्ण आडवाणी 1998 से 2004 के बीच 2256 दिन गृहमंत्री रहे थे। वहीं लालकृष्ण आडवाणी के पहले यह रिकार्ड गोविंद बल्लभ पंत के नाम था। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में गोविंद बल्लभ पंत 1955 से 1961 तक छह साल 56 दिनों तक गृहमंत्री रहे थे।अमित शाह की उपलबधियों में अनुच्छेद 370 को खत्म करना, नक्सलवाद को खत्म करने के कगार तक पहुंचाना, पूर्वोत्तर भारत में ज्यादातर अलगाववादी गुटों को मुख्य धारा में जोड़कर शांति स्थापित करना शामिल है।
