क्या RJD पूरी 243 पर लड़ रही विधानसभा चुनाव?

बिहार चुनाव को लेकर के बहुत इंटरेस्टिंग डेवलपमेंट्स निकल कर के आ रहे हैं। उन डेवलपमेंट्स में यह कि एक तो अभी राहुल गांधी और तेजस्वी की यात्रा हुई है। लेकिन उसके बाद तेजस्वी यादव अकेले एक यात्रा निकालने वाले हैं। वो है बिहार अधिकार यात्रा। अब उसमें वो बिहारियों के अधिकारियों की बात करेंगे। लेकिन इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें कांग्रेस को इससे अलग रखा गया है और अभी जहानाबाद के एक रैली में बावजूद इसके कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने तेजस्वी को निमंत्रण दिया लेकिन तेजस्वी नहीं पहुंचे। इसको लेकर के और जब तेजस्वी यात्रा कर रहे हैं तो यह भी खबर निकल कर के आई कि आरजेडी जो है वो पूरे 243 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ सकती है।

Congress 70 सीटों की मांग red मुकरी

इसलिए कि कांग्रेस जो है 70 सीटों का दावा करने लगी है। पिछली बार वो 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 17 जीत करके आई थ जिसमें से दो छोड़कर के चले गए। लेकिन तेजस्वी यादव या राष्ट्रीय जनता दल किसी भी कीमत पर 50 सीट से ज्यादा कांग्रेस को देने के लिए नहीं तैयार है और दूसरी तरफ कांग्रेस की मांग में केवल 70 सीट है बल्कि उप मुख्यमंत्री पद की चाहत भी है। इस सब में महत्वपूर्ण बात ये है कि राहुल गांधी से लगातार पूछे जाने के बाद उन्होंने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में महागठबंधन के स्वीकार नहीं किया। यह भी एक बड़ा कारण है जिस जिसकी वजह से आरजेडी और कांग्रेस के संबंधों में थोड़ी सी दूरी आई है। लेकिन ये हर चुनाव के पहले होता है और सब में होता है। एनडीए की अपनी समस्या है। इनकी अपनी समस्या है। तो ये एक दूसरा मसला है।

PM घुसपैठियों SERIOUS

प्रधानमंत्री का घुसपैठियों को लेकर के बहुत ही सीरियस हैं। आसाम गए थे प्रधानमंत्री पिछले दिनों तब उन्होंने घुसपैठियों की बात की। पश्चिम बंगाल जाते हैं तब वह घुसपैठियों की बात करते हैं। 15 अगस्त को उन्होंने लाल किले से घुसपैठियों को बाहर करने की बात की थी और इसके लिए एक एक मैकेनिज्म तैयार करना है। इसके लिए एक योजना बना करके उस पर काम करने की बात उन्होंने कही थी और उस पर काम हो रहा है। बहुत जल्दी उसकी घोषणा भी हो सकती है।प्रधानमंत्री ने बिहार के सीमांचल में कि है घुसपैठियो की बात । बिहार में का जो सीमांचल वाला इलाका है वो पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश दोनों से जुड़ा हुआ है और सीमांचल के जो चार जिले हैं वो अपने आप में महत्वपूर्ण है। तो पूर्वांचल में सीमांचल में इस तरह की घटनाएं बहुत होती हैं। जब घुसपैठिए जो है वो आते हैं। उसमें चार जिले हैं जो वहां के किशनगंज, पूर्णिया, और दो जिले जहां पर सबसे ज्यादा घुस बैठिए हैं और आधार से भी बहुत सारी चीजें कही जा रही थी कि ऐसा हो रहा है। अब इन सब को लेकर के प्रधानमंत्री बहुत सक्रिय हैं। बहुत एक्टिव है। बहुत एग्रेसिव है और उन्होंने सीमांचल में ही जाकर के यह बात कही। तो कुल मिलाकर के यह जो घुसपैठियों वाला मुद्दा है यह महत्वपूर्ण है जिसको लेकर के भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी का पूरा नेतृत्व बहुत अग्रेसिवली प्लान कर रहा है।

किस Congress नेता का हाथ भारत -पाकिस्तान का मैच करवाने में

भारत पाकिस्तान का मैच भारत पाकिस्तान का मैच को लेकर के लगातार विरोध हो रहा था और विरोध का हाल ऐसा था कि यंग जनरेशन से लेकर के ओल्डर जनरेशन तक इस बात को लेकर के नाराज था कि ऑपरेशन जिस तरह से पहलगांव की घटना घटी थी उसके बाद से भारत को पाकिस्तान के साथ कोई मैच नहीं खेलना चाहिए था। लेकिन फिर भी भारत ने मैच खेला इसको लेकर के बहुत नाराजगी थी और जो जनता के मन में नाराजगी है जनता के मन में तकलीफ थी उस तकलीफ को विपक्ष बहुत बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर रहा था वो लगातार उनके सेंटीमेंट को अप कर रहा था और जिसको लेकर के लगातार सरकार को और सरकार के जितने भी अंग हैं इस मामले को हालांकि ये निर्णय बीसीसीआई का था। BCCI इसको इस पर डिसीजन लेती है। लेकिन ऐसा नहीं हो सकता है कि अगर सरकार चाहे तो बीसीसीआई पर प्रवेल नहीं कर सकती है। जब आईसीसी पर प्रवेल नहीं कर सकती है। जबकि ज्यादातर पदाधिकारी उनहीं भारतीय हैं। अब इसमें और भी मसला है। लेकिन एक जो महत्वपूर्ण बात है जिसको सब जिस पर चर्चा हो रही है कि जो राजीव शुक्ला है राजीव शुक्ला ने किसी तरह से सरकार को कन्विंस कर लिया कि ठीक है इसको होने देना चाहिए नहीं तो नुकसान होगा क्योंकि ओलंपिक एसोसिएशन जो कि ओलंपिक होस्ट करने की भारत बात कर रहा है लेकिन ये ये सब कहने की बातें हैं इसको लेकर के बहुत नाराजगी है इस नाराजगी को किसी तरह से साइड ट्रैक करने की कोशिश की गई। जब भारतीय टीम के कप्तान ने जीत के बाद पाकिस्तानियों से हाथ नहीं मिलाया और अपना ड्रेसिंग रूम जो उनका ड्रेसिंग रूम होता है वहां पर उसको बंद करके रखा। किसी पाकिस्तानी को अंदर नहीं आने दिया। ये सारी चीजें हो रही हैं। लेकिन सबके बावजूद इसको इस विषय को लेकर के सरकार के प्रति लोगों का गुस्सा फूटा। लोगों की नाराजगी थी। अब नाराजगी कब तक रहेगी? उसको कैसे मैनेज कर पाएगी? लेकिन ये बड़ी नाराजगी है। अब विपक्ष उसको क्या राजनीतिक पॉलिटिकल उसके तरह से इस्तेमाल कर पाएगा नहीं कर पाएगा ये बाद का विषय है। लेकिन पहली बार मतलब कोई इस तरह का मसला था जिस पर भाजपा के कट्टर समर्थक भी भाजपा को खरीखोटी सुनाते हुए नजर आए जो कि भाजपा के राजनीतिक जो वो है उस दृष्टि से अच्छा नहीं है इसलिए कि भाजपा की पूरी की पूरी राजनीति जो है वो इसी पर आधारित है। वो एंप्लॉयमेंट और बाकी सारी चीजें दूसरे उस पर आती हैं। लेकिन जो नेशनल इंटरेस्ट या पाकिस्तान से अनक्प्रोमाइजिंग जो अप्रोच एटीट्यूड है वो भाजपा की ब्रांड इक्विटी थी और वही सबसे बड़ा वोट कैचर था।

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