आरक्षण पर ये बयान-उड़ी Congress – शरद पवार की नींद

सुप्रिया सूले ने आरक्षण पर एक नई बहस छेड़ दी है।सुप्रिया सूर्य के हिसाब से आरक्षण पर उन लोगों का ज्यादा अधिकार है जो वकई जरूरतमंद हैं और ऐसा जरूरी नहीं है कि किसी विशेष जाति समुदाय का वर्ग जो संपन्न हो और जिसके पास सुविधा उपलब्ध हो पढ़ा लिखा हो परिवार उसको भी आरक्षण की जरूरत है और उसका उदाहरण उन्होंने अपने अपने से दिया कि उनके बेटे को या उनके बच्चों को आरक्षण की जरूरत नहीं है। इसलिए कि उनके पिताजी पढ़े लिखे थे। वो खुद पढ़े लिखी है और उनके उनके बच्चे जो है वो मुंबई के बेस्ट स्कूल्स में पढ़ते हैं। लेकिन जो आरक्षण की जरूरत है वो किसी ऐसे बच्चों को चंद्रपुर का नाम उन्होंने लिया। मतलब कि एक ऐसे शहर के या छोटे शहर के उन बच्चों को जरूरत है जिनके पास एवन्यूस उपलब्ध नहीं है। अब इसको लेकर के विवाद छिड़ गया है जो आरक्षण के समर्थक हैं। एक बड़ा वर्ग कह रहा है कि उनका संवैधानिक अधिकार है। लेकिन इसमें दो चीजें हैं। एक तो जो शेड्यूल कास्ट शेड्यूल ट्राइब्स को दी जाती है वो। और दूसरा उन लोगों को जो अदर बैकवर्ड क्लासेस के नाम पर आरक्षण दिया जाता है। तो ये दो मसले हैं। लेकिन इसको लेकर के एक बड़ा वर्ग उनके समर्थन में भी खड़ा है जो आरक्षण को रिवजिट करने की बात कह रहा है, वैसे सुप्रिया सूले से माफी तक मांगने की बात कही गई।

KARNATKA -CM की हुई जबरदस्त बेज्जती Congress बैकफुट पर

कर्नाटक में बानू मुस्ताक के दशहरा कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर बड़ा विवाद उठ खड़ा है। कांग्रेस सरकार ने अपनी जिद में उनको शामिल तो करा लिया लेकिन उसकी नाराजगी नजर आई। अब यह मामला हिंदू संगठन विरोध कर रहे थे। विरोध हुआ मामला अदालत तक गया। अदालत से भी कोई रिलीफ नहीं मिला। और जैसा हिंदू संगठनों की या हिंदुओं की शिकायत होती है कि जब उनके इंटरेस्ट की बात आती है तो सुप्रीम कोर्ट जो है या उनके उसकी बात आती है। तो अदालतें जो हैं वो कई-कई बार उनके साथ बाकी धर्म के मसलों जैसा व्यवहार नहीं करती है। ये हमेशा से शिकायत रही है और वो करते रहे। उसका उन्होंने बहुत सारा उदाहरण दिया। जैसे अभी हाल फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश का कमेंट था झारखंड खजुराहो को लेकर के। अह कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने दो मजारों को एएसआई को दुरुस्त करने का आदेश दिया था। इस तरह के विरोधाभासी उदाहरण आते रहते हैं। तो जो भानु मुस्ताक को लेकर के मसला था उस पर सरकार अड़ी रही। बावजूद इसके उसको इसकी परवाह भी नहीं की कि उसका नुकसान हो सकता है और उसका नुकसान उसको होता हुआ दिख रहा है। और जो स्पष्ट तौर पर दिखा कि जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सीतारमैया जो है वह भाषण देने के लिए उठे तो लोग उठकर के जाने लगे। जाने लगे। जब वो लोग उठकर के जाने लगे तो सीतारमैया को इंटरवीन करना पड़ा। उन्होंने जो खड़े हुए थे लोग उनको डांट लगाई और पुलिस वालों को डांटते हुए बोला कि इनमें से किसी को नहीं जाने देना है। किसी को जाने देने की जरूरत नहीं है। तो ये स्पष्ट तौर पर इस बात का इशारा है कि लोगों में उनके इस फैसले को लेकर के नाराजगी है।

तेजस्वी को आया समझ हिंदुओं को गाली देने से बात नहीं बनेगी

तेजस्वी यादव ने नवरात्र पूजा के शुरू होते ही एक वीडियो 3:30 मिनट का अह जो एक्स हैंडल है उस पर शेयर किया और देवी से प्रार्थना की कि प्रदेश में बेरोजगारी भ्रष्टाचार जंगल राज ये सब खत्म होना चाहिए। सामान्यता जो तेजस्वी की पार्टी है वो हिंदू संवेदनाओं को लेकर के बहुत संवेदनशील नहीं होती है। ज्यादातर रूखी होती है और कई बार अपमानजनक होती है। जैसे उनके ही एक नेता ने रामचरितमानस को लेकर के बयान दिया था। लालू प्रसाद यादव ने खुद बोला था कि कुंभ बकवास है। इस तरह की बात कही और भी इस तरह की बातें करते रहते हैं। उन परिस्थिति में देवी आराधना का वीडियो शेयर करना इस बात का साफ तौर पर संकेत है कि उनको यह बात समझ में आ गई है कि अगर वो हिंदू भावनाओं का इसी तरह से अपमान करते रहेंगे तो लोग उनके साथ खड़े नहीं होंगे और वो लोग नहीं खड़े होंगे जो उनकी जाति बिरादरी के हैं जिस पर वो सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं और जाति के नाम पर सबसे ज्यादा ज्यादा वोट लेने की बात करते हैं। तो कुल मिलाकर के अगर अभी देखा जाए तो बहुत सारे नेता इस तरह की बात करने लगे हैं। और भी बहुत सारे चुनावी जो तीर्थ यात्रा होती है उस पर निकल चुके हैं। लेकिन ये जो तेजस्वी वाला मसला है ये अपने आप में यूनिक है। इसलिए कि इसी तरह की की बात एक मंदिर को लेकर के अखिलेश ने भी की थी। तो अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री। तो कुल मिलाकर के अगर आप इन सबको एक परिप्रेक्ष में देखिएगा तो यही निष्कर्ष निकल रहा है कि इनको भी इस इन सबको इस बात का आभास होने लगा है कि ज्यादा देर तक हिंदुओं को गाली देकर हिंदू देव देवताओं को भला बुरा कह करके आप नहीं सर्वाइव कर सकते हैं पॉलिटिकली और जो लोग ये मानते हैं कि वो अपने आप को बौद् घोषित करके अपने आप को बौद्ध बता करके के वो करेंगे। उनके परिवार के लोग ही उनको सुनने के लिए तैयार है।

क्या America पलटी मारेगा

डोनाल्ड ट्रंप को लेकर के है। एच वन बी वीजा को लेकर के जिसमें भारतीयों को सबसे ज्यादा जिससे नुकसान होने वाला है उस पर जो है वो जो ट्रंप ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन है वो यूटर्न कर सकता है और अभी उसने जो डिसीजन लिया है कि 1000 जो फी थी उसको बढ़ा करके 1 लाख डॉलर कर दी गई थी मतलब जो 88 लाख के आसपास बैठेगी। अब इसमें दो बड़े बदलाव हुए हैं। जब इसको लेकर के बवाल मचना शुरू हुआ पूरे विश्व में तो वाइट हाउस की तरफ से एक क्लेरिफिकेशन आया कि ये सालाना नहीं है। वन टाइम है। पहले ये खबर थी कि ये सालाना देना पड़ेगा और चाहे कंपनी दे चाहे इंडिविजुअल दे। तो इंडिविजुअल के लिए तो ये इंपॉसिबल था और उसमें भारतीयों को बहुत ज्यादा नुकसान था। इसलिए कि भारतीय जो है वो बड़ी समस्या में बड़ी संख्या में एच1 बी वीजा धारक है और ये जो सबसे ज्यादा फर्क पड़ेगा वो मेडिकल प्रोफेशन के लोगों पर पड़ेगा। तो ऐसा कहा जा रहा है कि इनमें बहुत सारे चीजों पर ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन जो है वो छूट दे सकता है भारतीय टैलेंट्स के लिए। उसमें विशेष रूप से मेडिकल प्रोफेशन का है। आईटी को लेकर भी ये मामला चर्चा में है। ये जो एच वन बी वीजा धारक है ये कुल मिलाकर के लगभग 71% जो है वो इंडियंस है। इनमें जो है Infosys, wipro , कॉग्निजेंट, टाटा कंसलटेंसी इन सब कंपनियों में काम करते हैं और लगभग 250 बिलियन का कारोबार है जिस पर फर्क पड़ेगा।

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