क्या टूट जाएगी सरकार-Congress से बहुत नाराज झारखंड़ CM 

बिहार में झारखंड के मुख्यमंत्री की नाराजगी जो महागठबंधन के में जो समझौते में उनकी भूमिका होने वाली थी उसको पूरी तरह से नकार दिए जाने के बाद  उसकी झलक उसका प्रभाव झारखंड में भी दिख सकता है। इसलिए कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राहुल गांधी से काफी नाराज दिख रहे हैं। और उसके पीछे कारण यह है कि राहुल गांधी को जो भूमिका निभाई निभानी चाहिए थी इस गठबंधन के समीकरण को दुरुस्त करने में उस गठबंधन समीकरण को दुरुस्त करने की भूमिका में ना वो केवल चूक गए बल्कि अपने सहयोगियों को कुछ दिलवाने में भी नाकामयाब रहे। अब ऐसे तो राहुल गांधी अपने लिए ही कुछ कांग्रेस के लिए ही कुछ बेहतर नहीं पाए और जो राष्ट्रीय जनता दल ने उनको दिया उस पर उसको लेना उनकी मजबूरी हो गई। लेकिन कुल मिलाकर के जो बातचीत होती है और एक एक बड़े नेता के तौर पर भूमिका होती है। उस भूमिका में राहुल गांधी खरे नहीं उतर पाए और उस खरे ना उतरने के पीछे जो हैबहुत सारे कारण हैं। समय पर अनुपस्थित रहना पूरी व्यवस्था के लिए। उसके अलावा बातचीत को सही दिशा में ना ले जाना अपनी सामर्थ से ज्यादा की मांग करना उसके अलावा फ्लेक्सिबिलिटी की कमी ये और अहंकार तो हमेशा रहता ही है। तो अगर इन सबको देखा जाए तो यही चीजें थी जिसने महागठबंधन का जो समीकरण था उसको रोका। उसके अलावा यह जो और एलई है उस पर नाराजगी हुई है। अब झारखंड में कांग्रेस की पूरी तरह से निर्भरता जो है वो झारखंड मुक्ति मोर्चा पर है। अगर वहां पर भी इस तरह की नाराजगी दिखेगी। इस तरह की नाराजगी नजर आएगी तो कांग्रेस के  चुनावी भविष्य के लिए खतरनाक है। बिहार में वैसे ही उनको बड़ा झटका लगने वाला है। लेकिन झारखंड में आगे अभी जल्दी ही अह जब भी स्थितियां ऐसी होंगी जब चुनाव वाली परिस्थिति आएगी या चुनाव वाली परिस्थिति नहीं भी आती है तो कुछ ऐसी भूमिका हो सकती है जिसमें सहयोग की जरूरत होगी और उस समय शायद उम्मीद जो करती है कांग्रेस वो पूरा ना हो पाए इसलिए कि हेमंत सोरेन की बहुत ज्यादा नाराजगी है राहुल गांधी पर।

सलमान खान का एक बयान जो बन गया बलूच लोगों के लिेए संजीवनी

पाकिस्तान में उनके जो इंटरनल डिस्टरबेंसेस है वो लंबे समय से चल रहे हैं। वहां कई बार पख्तून ख्वा में चल रह है। विरोध वहां बलूचिस्तान में चल रहा है वहां सिंध में चल रहा है। लेकिन ये खबरें पुरानी है। नई बात ये है कि सलमान खान जो सामान्यत राजनीतिक बातें नहीं करते हैं एंटरटेनर हैं उन्होंने बलूचिस्तान को लेकर के सऊदी अरबिया में जिस तरह की बया बात की है जिस तरह का बयान दिया वो निश्चित तौर पर ना केवल मिडिल ईस्ट में पाकिस्तान में बल्कि भारत में भी बहुत सारे लोगों के उसने कान खड़े कर दिए बलूचिस्तान को सलमान खान ने एक अलग देश के रूप में रेफर किया अपनी छोटी सी बातचीत के दौरान और उस बातचीत का जो क्लिप है वो वायरल हो गया है। अब वायरल हो के वो सारे जगहों पर जा रहा है और ये बात जो है बलूचिस्तान के लोगों के लिए बहुत मुफीद है। बहुत उनके लिए मददगार है। बलूचिस्तान का इतिहास सबको मालूम है। जिन्ना ने बलूचिस्तान को छीन लिया था। बलूचिस्तान की को एक अलग देश के रूप में मान्यता नहीं होने दी थी और उसके बाद से ही बलूचिस्तान अपने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ता है। लगभग 260 70 दिन तक बलूचिस्तान जो है वो 47 के बाद एक अलग देश के रूप में रहा। उसके बाद से वो लगातार अपनी लड़ाई लड़ रहा है और अब जिस तरह के हालात पाकिस्तान में है उसमें ऐसा लग रहा है कि बलूचिस्तान को जल्द ही कामयाबी मिल जाएगी। उन परिस्थितियों में सलमान खान का एक बयान जो है वह संजीवनी की तरफ से बलूच लोगों को काम करेगा और वो इसको उसी दृष्टि से देख रहे हैं और ये बयान सऊदी अरब में दिया जाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है और ऐसा लगता है कि ये एक जो बयान आया है सलमान खान का ये इसके राजनीतिक जो नेतार्थ हैं बल बलूचिस्तान के लिए वो निश्चित तौर पर उनको मदद करने वाले हैं।

कर्टाटक क्या RSS पर बैन लगाने में Congress कामयाब होगी 

कर्नाटक में लंबे समय से इस तरह की बात चल रही है। जैसे जो कर्नाटक सरकार में मंत्री हैं और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सुपुत्र प्रियांक खड़गे जो हैं उन्होंने rss  को प्रतिबंधित करने की मांग की है कि Rss  पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। Rss  के कार्यक्रमों में भागीदारी लोगों की नहीं होनी चाहिए। लोगों को उसमें जो सरकारी जमीन या सरकारी क्षेत्र हैं वहां पर rss  को किसी तरह का कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसको लेकर के जो कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं सीतारमैया उन्होंने चीफ सेक्रेटरी शालिनी रजनीश को कहा था कि इसको इसका जो तमिलनाडु मॉडल है उसको देखें कि उसको किस तरह से यहां पर इंप्लीमेंट किया जाता जा सकता है। अब इसको इसको लेकर के बहुत सारे मसले उठ रहे थे कि अ क्या ये लागू हो सकता है कि नहीं हो सकता है? उसके बाद जो 2 नवंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक रैली जो है जिसको बोलते हैं वो आयोजित होनी थी प्रियंक खडगे की ही कॉन्स्टिट्यूएंसी में चित्तपुर में। अब चित्तपुर में जो आयोजित होनी है तो उसको लेकर के परमिशन नहीं मिली। तहसीलदार ने परमिशन नहीं दी। ये कहते हुए कि वहां से दो और संगठन है जो अपना मार्च निकालना चाहते हैं। इसलिए इनको परमिशन नहीं दी जाएगी। लेकिन ये मामला अदालत में चला गया। अदालत ने परमिशन दी लेकिन फिर उसके बाद इसमें एक बड़ी अदालत ने हाई कोर्ट ने उनको बोला कि आप 24 तारीख तक इसमें ऑफिशियल को अपनी रिपोर्ट सबमिट करने को कहा गया है। हालांकि जो प्रियंक खडगे हैं वो लगातार सफाई देने की कोशिश कर रहे हैं कि वो इस मामले में कोई इंटरफेयर नहीं करेंगे। लेकिन वो राजनीतिक बयानबाजीसंघ के खिलाफ करते रहे हैं। अब 24 तारीख को इस मामले में अधिकारियों को अपना जो है अपनी रिपोर्ट सबमिट करनी है कि आरएसएस को अलऊ किया जाए। हाई कोर्ट में ये करना है। आरएसएस को इस मार्च के लिए अलऊ किया जाए या ना किया जाए। लेकिन जिस तरह से आरएसएस के खिलाफ कैंपेन चल रहा है कर्नाटक में और तमिलनाडु में दो प्रदेशों में हालांकि कर्नाटक में संघ बहुत मजबूत है। उनकी शाखाएं बहुत मजबूत है। लोग मजबूत हैं और वहां बीजेपी की सरकार कई बार रह चुकी है। उन परिस्थितियों में निश्चित तौर पर यह बड़ा मुश्किल होने वाला है कि संघ के कार्यक्रमों को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए। इसलिए कि बहुत सारे और ऐसे संगठन है जो सरकारी सरकारी जमीन पर अपने कार्यक्रम आयोजित करते रहे। परमिशन लेने की बात अलग हो सकती है कि आप पहले परमिशन लीजिए तो वो कीजिए। लेकिन यह जो संघ के खिलाफ एक कैंपेन चल रहा है, वह कैंपेन निश्चित तौर पर उसमे राहुल गांधी का अपना एक से तो हो ही होता ही है हमेशा राहुल गांधी खुद  संघ के खिलाफ बोलते रहते हैं। लेकिन कुल मिलाकर के ऐसा ना हो कि ये जो है कांग्रेस के लिए चुनाव में मुश्किल पैदा कर दे।

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