Bihar -क्या दांव खेल गए कोई दल ना जीते पर ये जाती तो जरूर जीतेगी 

बिहार चुनाव में कईं दलों ने टिकटों का इस तरह से बंटवारा किया है कि भूमिहार को भूमिहार से ही कडी टक्कर मिल रही है मतलब हारे कोई भी पार्टी पर जीत तो भूमिहार की ही होगी, मतलब जाती की जीत पक्की कर दी गई है।कहा जा रहा है यह पहला ऐसा चुनाव होगा जहां महागठबंधन तो बना हुआ है लेकिन किसी दल को अभी तक यह पता नहीं चल पाया कि वह कितनी सीटों पर चुनाव लड़ रहा है और ये भी कहा जा रहा है कि  तीन दशक बाद शायद इस चुनाव में यह पहला मौका होगा जहां जिसमें कांग्रेस और RJD  में आपस में ही तलवार खिंची हुई हैं जी हां बिहार में ६ सीटे ऐसी हैं जहां कांग्रेस और RJD के उम्मीदवार आमने सामने हैं और दोनों ही तरफ से कुछ भूमिहार भी हैं। वैसे दूसरी तरफ NDA और महागठबंधन की ओर से कुछ सीटों भूमिहार बाहुबली को ही  एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करके मुकाबला बहुत कड़ा और दिलचस्प कर दिया है। जैसे jdu ने मोकामा विधानसभा सीट से अनंत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया और rjd ने  वीणा देवी को , वहीं हिसुआ सीट से  कांग्रेस ने एक और बाहुबली नेता नीतू देवी BJP ने   अनिल सिंह  को टिकट दिया है जो अनिल सिंह पहले भी विधायक रह चुके हैं और ABVP में काफी एक्टिव रहे।

औवैसी क्यों शरण लेनी पड़ रही हिंदू वोटर्स की 

बिहार चुनाव में अपने अकेले दम पर उतरी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी  AIMIM ने अपने  25 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं लेकिन चर्चाओं का बाजार इसलिए गर्म है कि इसमें से दो उम्मीदवार  गैर-मुस्लिम हैं। अब माना यही जा रहा है औवेसी साहिब का यह कदम  लंबी रणनीति का हिस्सा है, वैसे सबको पता ही है कि औवैसी चाहे अपनी पार्टी , अपने आप को धर्मनिरपेक्ष कहते हों पर  असल में उनकी छवि  धर्म विशेष की ही मानी जाती है,  अब बिहार में चुनाव लड़ना है तो औवैसी जो को पता है कि उनकी इस घर्म विशेष छवि को लेकर यहां दाल नहीं गलने वाली क्योंकि मुस्लिम वोटर्स पूरी तरह से औवैसी को वोट नहीं देने वाले हैं ,कांग्रेस और rjd बड़ी संख्या में वोट काटेगी तो ऐसे में औवेसी ने दो गैर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर हिदू वोटर्स को ना केवल अपने पाले में लाने की कोशिश की है बलिक अपने आप को सामाजिक न्याय वाली, सभी समुदायों को साथ लेकर  लड़ने वाली पार्टी के तौर पर पेश करने की कोशिश की  है।आपको बता दें कि इससे  पहले भी औवैसी तेलंगाना, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में दलित, ओबीसी और हिंदू उम्मीदवारों को टिकट दे चुकी है और अब वह  बिहार में भी इसी राह पर चल रही है और  सिर्फ मुस्लिम बहुल इलाकों में नहीं बलिक पूरे बिहार में  राज्य में अपनी पैठ बनाना चाहती है। आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में aimim  ने  पांच सीटें मुस्लिम  इलाकों  से आई थीं पर इस बार पार्टी   अल्पसंख्यक वोटर्स से  उठाकर उत्तर और दक्षिण बिहार के नए इलाकों में भी चुनाव लड़ रही है। पिछबी बार औवेसी 19 सीटों पर चुनाव लड़े थे और पांच सीटे जीती थी और इस बार उन्होंने  25 उम्मीदवार  मैदान में उतारे हैं।

पैसे दो टिकट लो-पहले RJD  अब Congress पर सवाल 

अभी दो दिन पुरानी ही बात है कि rjd के एक पूर्व विधायक ने बाकायदा लालू यादव के घर के सामने रोते हुए अपने कपड़े तक फाड डाले थे, इसका वीडियो बहुत वायरल हुआ था, विधायक का आरोप था कि उससे टिकट देने के लिए 5 करोड़ रूपए ले लिए टिकट भी नहीं मिला और अब पैसे भी पार्टी ने हड़प लिए , बस  टिकट के लिए पैसों का लेनदेन अब कांग्रेस में भी सामने आ रहा है और काफी कलह मची हुई है, कस्बा विधानसभा के विधायक अफाक आलम को टिकट नहीं मिला और उन्होंने इसके लिए पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए हैं।  पैसों के लेनदेन का आरोप लगाते हुए  उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष  राजेश राम पर एक ऑडियो भी जारी कर दिया जिसमें टिकट के लिए डील की बात हो रही है। बस यह आडियो भी बहुत ज्यादा वायरल हो गया और इसको लेकर ना केवल कांग्रेस में कांग्रेस में बगावत बढ़ रही है बल्कि कांग्रेस के तमाम बढ़े नेताओं को शर्मिंदगी का भी सामना करना पड़ रहा है, अब चाहे इस आडियो की कोई पुष्टि नहीं हुई है पर  राजेश राम कह रहे हैं मेरी तरफ से ओके है। लेकिन, पप्पू यादव बीच में हैं। जिस पर अफाक ने सवाल उठा दिया है कि ये  पप्पू यादव कौन हैं? वहीं बिहार में टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया, कांग्रेस के रिसर्च सेल के अध्यक्ष एवं प्रवक्ता आनंद माधव, खगड़िया सदर विधायक छत्रपति यादव, पूर्व विधायक गजानंद शाही, पूर्व विधायक सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी तथा कईं और नेताओं ने  खुलकर कांग्रेस  प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावारू और विधायक दल के नेता शकील अहमद खान को दलाल बता दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता और रिसर्च विभाग के अध्यक्ष आनंद माधव ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने की घोषणा की है। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र में लिखा है कि वह पार्टी में लगातार 2015 से संघर्षरत हैं।
मीडिया में बड़े पद की नौकरी छोड़कर कांग्रेस में आए थे लेकिन पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ काम करने के बावजूद कुछ व्यक्तियों के अहंकार को संतुष्ट नहीं कर पाए।

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