America के लिए अचानक ताइवान क्यों बना Important, India को क्या फायदा
हाल ही में अमेरिका ने अपनी नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटजी यानी NSS घोषित की है। 33 pages के NSS में बहुत सारे पॉइंट्स है जो सामने आए हैं, पर कुछ India के लिए बहुत ज्यादा मायने रखते हैं इसमें भारत के साथ ताइवान को बहुत ज्यादा महत्व दिया गया है , अमेरिका ने कहा है कि अगर चीन- ताइवान के खिलाफ कोई कदम उठाता है तो हम वहां खड़े हैं। तो ऐसा क्या कारण है कि अमेरिका ताइवान को इतनी Importance दे रहा है और इससे इंडिया को क्या फायदा होगा । तमाम बातों पर हमने चर्चा की Former Major General P K Sehigal से
Ques— अमेरिका खुलेतौर पर कह रहा है कि अगर चीन ने ताइवान के खिलाफ कुछ किया तो हम ताइवान के साथ खड़े हैं , सबसे पहले अमेरिका के इस Stand से इंडिया को क्या फायदा होगा
Ans— इंडिया को उतना ही खतरा चाइना से हैं जितना ताइवान को हैं। चाइना की दादागिरी हिंदुस्तान के लिए भी नुकसान है और ताइवान के लिए भी नुकसानदायक है और साउथ चाइना सी , ईस्ट चाइना सी पर चीन का दबदबा ग्लोबल ट्रेड के लिए नुकसानदायक है और अगर चाइना और अमेरिका भिड़ जाते हैं तो हिंदुस्तान के खतरा काफी कम हो जाएगा और हिंदुस्तान को समय मिल जाएगा अपने को और मजबूत करने , चाइना ने अगर हिंदुस्तान के खिलाफ कुछ कारवाई करनी है उसकी विंडो ऑफ़ ओपोरर्चुनिटी क्लोज होती जाएगी जैसे जैसे टाइम होगा हिंदुस्तान आत्मनिर्भर बनता जाएगा। भारत मेक इन इंडिया के माध्यम से आहिस्ते अपने डिफेंस को बहुत स्ट्रांग कर रहा है। साथ ही साथ बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर इम्रूव कर रहा है। अभी 125 बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स है उनको एट वन टाइम इनोगेट किया गया है। इससे चाइना काफी ज्यादा चिंतित है और साफ तौर पे जानता है कि अगर उसने हिंदुस्तान के खिलाफ कोई भी कारवाई करनी है तो उसको जल्दी करनी पड़ेगी।

Ques—अब ताइवान की बात करें तो अमेरिका उसे इतनी Importance क्यों दे रहा है, अपनी नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटजी में बाकायदा जिक्र किया है कि अगर चाइना कुछ करता है तो हम उसके साथ खड़े हैं , तो अमेरिका के लिए ताइवान इतना Important कब से हो गया है?
Ans—ताइवान आज दुनिया का सबसे बड़ा टेक्निकल टेक्नोलॉजी हब है। 90% जो एडवांस चिप्स है , जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए वो ताइवान में बनते हैं 10% बाकी सारी दुनिया में बनते हैं। जिसमें जापान भी साउथ कोरिया में चाइना भी और अमेरिका , ये चिप्स वो है जो आपके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के में इस्तेमाल होते हैं आपके Electronics में इस्तेमाल होते हैं , कमर्शियलिक्स और आपके जितने भी वेपन सिस्टम्स हैं , खास करके ये मिसाइल्स है जितने भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लेस चीजें हैं इसके इसके अलावा ताइवान बहुत ही स्ट्रेटेजिकली इंपॉर्टेंट लोकेशन पर है जहां ईस्ट चाइना सी है, तो ईस्ट चाइना सी में कम से कम 2.5 ट्रिलियन डॉल का ट्रेड वहां से गुजरता है , ताइवान स्टेट्स के बीच में से तो अगर चाइना यहां कब्जा कर लेता है तो ये जो ट्रेड है वो एशियन के लिए जापान के लिए साउथ कोरिया के
लिए और हिंदुस्तान के लिए कुछ हद तक अमेरिका वगैरह के उनकी लाइफ लाइन है। बहुत बड़े पैमाने पर चाइना का इसके ऊपर कब्जा हो जाएगा। फिर ताइवान जो है वो पार्ट हैं , फर्स्ट चेन ऑफ़ आइलैंड्स। फर्स्ट चेन ऑफ़ आइलैंड जो है वो है फिलीपींस है, ताइवान है और जापान है।.तो फर्स्ट चेन ऑफ़ आइलैंड यानी जापान की कोशिश है, ताइवान की कोशिश है कि चाइनीस नेवी को इससे आगे मत बढ़ने दिया जाए ताकि वो अपने पावर को प्रोजेक्ट ना कर सके, फर्स्ट चेन ऑफ़ आइलैंड जो है ये एक किस्म से आर्क बनती है जिसके अंदर चाइना की नेवी को रोका हुआ है। चाइना की नेवी का साइज तो हो गया जबरदस्त पर वो इस आयरन चेन को पार नहीं कर पा रहे। और इस अगर आईना चेन का जापान के ऊपर कब्जा कर लेते हैं या ताइवान के ऊपर कब्जा करते हैं, फिलीपींस के ऊपर कब्जा करते हैं तो ये चेन कमजोर हो जाएगी। और जिससे चाइना की नेवी जो है विन विन पोज़शीन में आ जाएगी, जो अमेरिका को बर्दाश नहीं , ऐसी अलग अलग देशों की कुल तीन चेन हैं और चीन इनके पार करके ही अमेरिका को चुनौती दे सकता है।

Ques —क्या ट्रंप ने बहुत Planning करके अपनी NSS में ताइवान को Importance दी है
Ans—इसमें किसी का कोई शक नहीं क्योंकि अगर ताइवान को अगर चाइना कैप्चर कर लेता है ,तो चाइना जो है दुनिया का सबसे बड़ा टेक्नोलॉजी हब बन जाएगा। बहुत ही चीजों में चाइना आगे दुनिया का काम बन चुका है। इसके अलावा लार्जेस्ट फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स जो है वो ताइवान के पास है। लगभग सिक्स 600 बिलियन डॉलर्स और चाइना के 1.4 1. ट्रिलियन डॉलर रिजर्व तो अगर चाइना ताइवान पर कबजा कर लेता हैं तो चाइना की इकॉनमी जो है अमेरिकन इकॉनमी के नजदीक पहुंच जाएगी। सो इकोनमिक पावर बन जाएगा। चाइना टेक्नोलॉजिकल पावर बन जाएगा जो अमेरिका के लिए नुकसान देगा।

Ques—जब भी कुछ बात होती है बड़े-बड़े देशों की बात होती है। ताइवान के बारे में लोग इतना नहीं शायद जानते हैं। इतने ज्यादा फॉरेन रिजर्व जो ताइवान के पास है उसके पीछे कारण क्या है?
Ans—ताइवान जो है पूरी दुनिया को टेक्नोलॉजी सप्लाई करता है। खास करके चिप्स और खास करके एडवांस चिप्स के अलावा जो दूसरे नॉर्मल नॉर्मल चिप्स भी है 70% दुनिया को सप्लाई चिप्स का ताइवान के माध्यम से हो रही है। और 90% जो एडवांस चिप्स है जो क्रिटिकल है आर्टिफिशियल इंटेलिज्म के लिए वो भी ताइवान बेचता है। तो इससे ताइवान की बड़ी आमदनी हुई है। खास करके 1979 के बाद में और अभी चाइना ताइवान के पास अप्रोक्समेटली 600 बिलियन डॉल है जबकि इंडिया के पास 690 के करीब है और पाकिस्तान के पास केवल 14 बिलियन डॉलर्स है

Ques—क्या अमेरिका शुरू से ताइवान को Support कर रहा है
Ans—चाइना की कोशिश कई सालों से है कि वह ताइवान के ऊपर कब्जा करे ले। वो शुरू से ही कहता है कि ताइवान जो है चाइना का हिस्सा है और इसके ऊपर हम कब्जा करते रहेंगे। अभी जिंनपिंग ने अपनी फौज को कहा है हमको कि 2027 तक अपने आप को हर प्रकार से तैयार करो चाइना ताइवान के ऊपर कब्जा करने के लिए और ताइवान को इंटीग्रेट करने के लिए। पर ताइवान के पास बहुत जबरदस्त मिलिट्री क्षमता है और बड़े पैमाने पर बजिंग और शघाई के मिलियंस ऑफ़ लोगों को नुकसान हो सकता है। ऐसे में चाइना जो है एक तरफ से उनको ऑक्यूपाई करना चाहता है। दूसरी तर से वो घबराता भी है कि बहुत बड़ा डैमेज हो सकता है साथ ही साथ जो प्रीवियस अमेरिकन एडमिनिस्ट्रेशन थे, बाइडन उन्होने भी कहा था कि कभी भी कि अगर चाइना हमला करता है ताइवान के ऊपर तो अमेरिका साथ है, ये भी कहा था कि अगर सब पीसफुली हो जाता है तो उनको कोई नहीं लेकिन अगर चाइना ने मिनिटा किया तो अमेरिका इंटरवन करेगा और ताइवान के डिफेंस के लिए तैयार होगा और ताइवान के डिफेंस के लिए तैयार होगा। जहां तक ट्रंप का ताल्लुक है उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटजी जो इशू की है जो 33 पेज का डॉक्यूमेंट उसमें साफ तौर पे कहा है कि अमेरिका जो है हर प्रकार से चाइना को डेट करेगा अगर चाइना ने ताइवान के ऊपर कुछ कर नहीं। साथ ही साथ चाइना अभी अपने डिफेंस के लिए 2.45 परसेंट ऑफ जीडीपी इस्तेमाल करता है। ट्रंप कह रहे है उनको 5% भेजा और जो उनके वहां के प्रेसिडेंट है उन्होंने ट्रंप को प्रॉमिस किया कि 2020 तक वो 5% ले जाएंगे। साथ ही साथ ये नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटजी में ट्रंप ने कहा है कि वो 1 बिलियन डॉल का इमीडिएट मिलिट्री ताइवान को देंगे ताकि ताइवान के लेवल्स और मजबूत हो सके। और ताइवान ने खुद किया है फैसला किया कि वो 40 बिलियन डॉल और इस्तेमाल करेगा। ताइवान डेमोक्रेसी है चाइना ऑटोमेसी है। दूसरा उनका अपना फ्लैग है उनकी अपनी कंट्री है। और 70% जो ताइवान के लोग हैं वो हैम तो है लेकिन वो जो भाषा बोलते हैं वो चाइना से अलग है। अलग है। ओनली 14 टू 15% है जो हैम चाइनीस है। बाकी कुछ लोग हैं जो लोकल थे। उस एरिया के एब्रोज्स। सो बड़े पैमाने पर उन्होंने डेमोक्रेसी को एन्जॉय किया है। अपना फ्लैग है, अपनी करेंसी है। सब कुछ उनका अपना है। एंड उन्होंने साफ तौर पर कहा है वो किसी भी हालत में किसी भी हालत में चाइना के साथ नहीं जुड़ना चाहते।

