The Chairperson, UPA, Smt. Sonia Gandhi coming out from the polling booth after casting her vote for the Vice-Presidential election, in New Delhi on August 10, 2007. The Minister of State (Independent Charge) for Women & Child Development, Smt. Renuka Chowdhury and the Minister of State for Personnel, Public Grievances & Pensions and Parliamentary Affairs, Shri Suresh Pachouri are also seen.

सोनिया गांधी UPA की दो जीत का क्रेडिट दिया फिर से से हुई Active

बिहार चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस को असफलता मिली या कांग्रेस का जो हाल हुआ उसके बाद ऐसा लगता है कि सोनिया गांधी अलायंस को लेकर कर खुद सक्रिय होंगी। अभी हाल फिलहाल में जब सोनिया गांधी का जन्मदिन था उसको उनको बधाई देने हुए लोगपहुंचे थे तो सोनिया गांधी के पास ममता बनर्जी का भी बधाई संदेश आया तो बातों ही बातों में सोनिया गांधी ने ममता बनर्जी का दिल टटोला अलायंस को लेकर , क्या कांग्रेस को और तृणमूल कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए और इस प्रक्रिया में उन्होंने यह बात शुरू कि अगर कांग्रेस को वहां पर 35 40 सीटों के आसपास भी तृणमूल कांग्रेस देने के लिए तैयार होती है तो यह अलायंस के लिए अच्छा होगा और भारतीय जनता पार्टी को वहां कड़ी चुनौती दी जा सकती है। हालांकि अह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी अकेले दम पर चुनाव लड़ती और जीतती रही हैं। बहुत मजबूती के साथ चुनाव जीतती रही हैं। लेकिन इस बार एसआईआर के बाद से उनकी स्थिति मे थोड़ा सा बदलाव हुआ है और वो बहुत अनपॉपुलर भी हुई हैं। उन परिस्थितियों में अगर ममता बनर्जी कोई कंप्रोमाइज करती हैं या सीट शेयरिंग करती हैं जिसको लेकर के सोनिया गांधी ने खुद इनिशिएटिव लिया है। तो यह अपने आप में एक बदलाव वाली स्थिति होगी और ममता बनर्जी के साथ सोनिया गांधी ने जिस तरह की बात की है सोनिया गांधी को मैच्योर पॉलिटिशियन के रूप में देखा जाता है और UPA दो की जीत के लिए उनको उनको क्रेडिट दिया जाता है तो ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ सोनिया गांधी बात करेंगी और चुनाव की तैयारियों पर आगे आएंगी।

 

UP में गायब वोटर्स BJP के लिए बड़ी चिंता

उत्तर प्रदेश में जिस तरह से वोट जो एसआईआर की प्रक्रिया है उस एसआईआर प्रक्रिया में वोट्स जो गायब बताए जा रहे हैं, लगभग 3 करोड़ , उसको लेकर के भारतीय जनता पार्टी चिंतित हो गई है और तब से यह मामला ज़्यादा गंभीर हुआ है जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बोला कि लगभग 4 करोड़ वोटर्स जो लापता बताए जा रहे हैं ये कम हैं। ऐसा अनुमान है कि जितनी जनसंख्या है उसके 65% मतदाता होने चाहिए । इसको लेकर के योगी आदित्यनाथ ने चिंता जताई है और पार्टी वर्कर्स को और सबको बोला है कि वह एक्टिवली घूम-घूम करके गांवघर तक पहुंच के उन लोगों से बात करें। उन लोगों से इस मामले में जानने की कोशिश करें कि कौन लोगों का किन लोगों का मतदान रह गया। किन लोगों का नाम छूट रहा है। इसलिए कि यह सारे इसमें से ज्यादातर 90% मतदाता वो भाजपा के हैं। पहले ये कयास लगा जा रहे थे कि ये जो 4 करोड़ लोग मिसिंग हैं, इनमें से बड़ी संख्या में घुसपैठिए होंगे जो जिनका नाम दोबारा होगा अमृत होंगे। लेकिन जिस तरह से कॉलोनी का कॉलोनी जो है इसमें से नदारत हैं। वो बहुत सारी तो लखनऊ की कॉलोनीज लापता है। गाजियाबाद में बहुत सारा इस तरह का वो है। तो इसको लेकर के सक्रिय किया गया है और जो नए अध्यक्ष हैं उनको भी इस मामले में कार्यभार ग्रहण करते के साथ ही सक्रिय किया गया है। उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ इस मामले में बातचीत करके इसको आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। तो ये एक बीजेपी के लिए चिंता का विषय है और अगर इतनी बड़ी संख्या में मतदाता जाते हैं तो निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए मुश्किल होगा।

झारखंड में BJP क्या खेला करने वाली

बहुत दिनों से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और भारतीयजनता पार्टी के नेताओं के बीच एक अजब तरह का तालमेल दिख रहा है। जब शिवू सरोन शिवू सोरेन की डेथ हुई थींगाराम अस्पताल दिल्ली में तो प्रधानमंत्री मिलने गए थे। उनके अंतिम संस्कार में राजनाथ सिंह झारखंड पहुंचे थे। उसके अलावा एक आध और मसला है जैसे जो डीजीपी के एक्सटेंशन को लेकर के दोनों सरकारों के बीच विवाद चल रहा था। उस विवाद में डीजीपी ने फाइनली रिजाइन कर दिया तो यह सब के बाद और ऐसा कहा जा रहा है कि वो उस उस जेएमएम और भारतीय जनता पार्टी के आपसी सहमति के बाद उन्होंने रिजाइन किया इसलिए कि एक डेडलॉक बना हुआ था दोनों लोग अपने स्टैंड पर अड़े हुए थे। मतलब दोनों लोग मतलब केंद्र सरकार और झारखंड सरकार। अब इस तरह का एक तालमेल बन रहा है जहां पर कि झारखंड मुक्ति मोर्चा एनडीए खेमे में आ जाएगा और अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के लिए झारखंड में मुश्किल वाली स्थिति होगी। हालांकि ये स्थिति दोनों राजनीतिक दलों के लिए खतरनाक है। इसलिए कि फिर वो मुख्यमंत्री की लड़ाई बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा या झारखंड मुक्ति मोर्चा का मुख्यमंत्री होगा अगले चुनाव में यह लड़ाई शुरू हो जाएगी। तो क्या इस पर कोई सहमति बनती है या सहमति नहीं बनती है? लेकिन वहां के जो गवर्नर हैं झारखंड के गवर्नर संतोष गंगवार वो लगातार इस कोशिश में हैं कि किसी तरह से झारखंड मुक्ति मोर्चा जो है वो एनडीए के खेमे में आ जाए और अगर वो एनडीए के खेमे में आ जाता है या एनडीए के खेमे में आ जाते हैं तो उसको एक बड़ी विजय के रूप में देखा जाएगा और उस पूरे रीजन में पूर्वी उत्तर भारत में लगभग बड़ी बड़े क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी या एनडीए शासन में होगी।

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