अभी हाल ही में राहुल गांधी के पार्लियामेंट सैशन के दौरान जर्मनी के दौरे पर जाने ने काफी तूल पकड़ा था ,इस पर बीजेपी के कई नेताओं ने ऑब्जेक्शन उठाए और कहा है कि जब भी ऐसा होता है, संसद चल रही होती है, नेता विपक्ष बाहर चले जाते हैं। तो इसके जवाब में प्रियंका गांधी का यह कहना था कि जब प्रधानमंत्री जो है आधा अपना काम विदेश में रहते करते हैं और विदेश घूमते रहते हैं तो नेता प्रतिपक्ष बाहर क्यों नहीं जा सकते हैं, अब यहां सवाल यही है कि जब देश के pm मोदी बाहर जाते हैं तो देश की तरक्की, नई तकनीक, investment लेकर वापस आते हैं और जब राहुल गांधी जब बाहर जाते हैं तो वो क्या करते हैं ये किसी से छुपा नहीं है और इसी बात पर हमने बात की है Former Major General P.K Sehigal से
Ques—पीएम मोदी ने जॉर्डन इथोपिया और ओमान का दौरा किया तो वहां से क्या क्या ला रहे हैं और भारत के हित में जैसा प्रियंका गांधी ने कि नेता पीएम भी अपना आधा काम विदेशों में करते हैं तो अगर नेता प्रतिपक्ष जा रहे हैं तो क्या
Ans—मोदी जी की इस यात्रा से देश को बहुत कुछ मिल रहा है। जहां तक ओमान का ताल्लुक है, ओमान जो है स्टेट ऑफ़ हार्मोंस जहां से तकरीबन 30 से 40% दुनिया का एनर्जी उसको डोमिनेट करता है और वहां से एक अल्टरनेटिव कनेक्टिविटी चैनल बन बन रहा है जो हिंदुस्तान के लिए बहुत भदायक होगा। इट गिव इंडिया कनेक्टिविटी टू सेंट्रल एशिया एंड यूरोप। अगर आपका चाबहार पोर्ट बंद हो जाता है तो और या उसके ऊपर अमेरिकन सेंशन से काम कम हो जाता है। साथ ओमान हिंदुस्तान को पेट्रोलियम , ऑयल गैस देता है , साथ ही ओमान के जो पोर्ट्स है, इसमें हिंदुस्तान को हर प्रकार से वहां पर अपने नेवल शिप्स को भी इजाजत दी हुई है उसके माध्यम से हिंदुस्तान कड़ी नजर रख सकता है चाइना एक्टिविटी के ऊपर गोदार पार्ट के ऊपर, कम ही लोग जानते होंगे की गोदार पोर्ट कभी ओमान का हिस्सा था और ओमान ने हिंदुस्तान को गोदार ऑफर किया था लेकिन उसको नफॉर्चुनेटली प्राइम मिनिस्टर नेहरू ने रिजेक्ट कर दिया था ये कहकर कि हमारे कंटीन्यूअस बॉर्डरर्स नहीं है तो बेशक आप पाकिस्तान को दे दीजिए जिससे आज हिंदुस्तान को बहुत जबरदस्त नुकसान हो रहा है , वो पोर्ट अब पाकिस्तान का हिस्सा है इसलिए चाइना का मेजर पोर्ट बन चुका ।अब चाइना जो है कह रहा है कि उसे वो कमर्शियल पर्पस के लिए इस्मतेमाल करेगा। वास्तव में इंटेंशन है चाइना का इवेंचुअली टू कन्वर्ट मल्टीपर्पस पोर्ट मिलिट्री एस वेल एस कमर्शियल के लिए, जो हिंदुस्तान के लिए काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है लेकिन ओमान ने अपने पोर्ट्स हिंदुस्तान को इजाजत दे दी है इंक्लूडिंग फॉर यूज़ ऑफ़ आवर वॉरशिप्स तो उसके माध्यम से हम कड़ी नजर रख सकते हैं चाइनीज़ एक्टिविटी पर। हमारा दो ट्रेड है अभी लिमिटेड है , हम चाहते हैं आगे बढ़े। फिर हम चाहते हैं कि इसके साथ सिक्योरिटी की बातचीत हो है , टेररिज्म की बातचीत हो है। ओमान का रवैया जो है बिल्कुल हिंदुस्तान के साथ है कि टेररिज्म ऑफ़ ऑल फॉर्म्स की कोई गुंजाइश नहीं है। फिर जहां तक जॉर्डन का ताल्लुक है, जॉर्डन के साथ हिंदुस्तान के 75 इयर्स ऑफ़ डिप्लोमेटिक रिलेशंस है और जॉर्डन बड़े पैमाने पर हिंदुस्तान को फर्टिलाइज़र्स देता है। जो हमारे एग्रीकल्चर के लिए, Farmers के लिए बहुत ही लाभदायक है। उनसे हम फास्फोरस खरीदते हैं, फास्फेट्स खरीदते हैं और कुछ और मिनरल्स वगैरह खरीदते हैं। एंड इन एक्सचेंज हम उनको कुछ प्रोजेक्ट देते हैं। लेकिन once again जो ट्रेड है वो इमंबैलेंस है जॉर्डन के फेवर में। हिंदुस्तान चाहता है कि ये ट्रेड जो है और बढ़े और बैलेंस ट्रेड हो, और अगर याद हो तो 1971 वन वॉर में पाकिस्तान ने थर्ड दिसंबर को स्ट्राइक किया था हमारे 12 फ्रंटाइन एयर फील्ड्स के ऊपर। जोधपुर के ऊपर अटैक हुआ था जॉर्डेनियन स्टार फाइटर्स है। यानी उस समय जॉर्डन जो है पाकिस्तान के पक्ष में था। आज जॉर्डन कंप्लीटली हिंदुस्तान के पक्ष में है। ये सब मोदी जी की पालिसी का ही नतीजा है। फिर जॉर्डन का विचार जो है कश्मीर को लेकर हिंदुस्तान की तरफ तरफ ही है। अब ओमान- जॉर्डन दोनों ही हिंदुस्तान को फर्स्ट रिसोंडर की तरह देखता है और हिंदुस्तान की मैरिटाइम सिक्योरिटी के लिए बहुत ही इंपॉर्टेंट है।इथोपिया जाना भी ट्रेड इंडिया के लिए फायदेमंद रहेगा, साथ ही ट्रेड के अलावा अगर याद होगा जब हिंदुस्तान में g 20 मीट हुआ था तो हिंदुस्तान के कोशिश के बाद में अफ्रीकन यूनियन को G20 का मेंबर बनाया गया है। अफ्रीकन यूनियन का हेड क्वार्टर है इथोपिया के अंदर और इथोपिया के अंदर जिबूती भी है जहां चाइना का एक नेवल बेस भी है। हिंदुस्तान के ताल्लुकात इथोपिया के साथ बहुत इंप्रूव हो रहे हैं। ट्रेड के माध्यम से टेररिज्म के माध्यम से ऑफ़ उनके पास मिनरल्स बड़े हैं। हिंदुस्तान वो चाहता है कि वह मेन ले और टर्न हम उनको पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स बेच रहे हैं। फिर कई प्रकार के हिंदुस्तान के पास जो भी डिफेंस रिलेशनशिप है उनकी कनेक्टिविटी की बड़ी प्रॉब्लम्स है। हिंदुस्तान उनको हर प्रकार की कनेक्टिविटी बढ़ाना चाहता है। उनके लिए उनके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाना चाहता है। मेडिकल बढ़ाना चाहता है। हेल्थ केयर बढ़ाना चाहता है। एजुकेशन में बढ़ाना चाहता है। और ये चाइना जो है चाइना उनको डेट में डुबो रहा है। हिंदुस्तान कह रहा है कि विनविन सिचुएशन होगा दोनों देशों का। गिव एंड टेक वाली बात हो गई कि आप भी दीजिए और हम भी देंगे। बट चाइना जो है डेप्थ लेकिन हिंदुस्तान की जबरदस्त कोशिश है कि अफ्रीकन स्टेट्स जो है उनको चाइना से वीन अवे किया जाए और हिंदुस्तान को इसमें काफी बड़ी सक्सेसफुल मिली है। चाइना के डीप पॉकेट्स हैं। उनकी इकॉनमी जो है तकरीबन 18 ट्रिलियन डॉलर्स है। हमारी अभी 4 ट्रिलियन डॉलर हुई है। सो चाइना पैसा इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन उस पैसे से उन लोगों को हमेशा हमेशा के लिए debt ट्रैप कर रहा है। हिंदुस्तान कुछ नहीं कर रहा और हिंदुस्तान साफ तौर पे चाहता है कि वहां पे जुबूती में फ्रेंच बेस भी है, अमेरिकन बेस भी है, चाइनीज़ बेस भी है। और चाइनीज़ का जो नेवल बेस है, वास्तव में एक किस्मत से मिलिट्री पर्पस है। और हिंदुस्तान चाहता है कि हिंदुस्तान जिभूती हिंदुस्तान को भी एक बेस ऑफर करना चाहता है। लेकिन हिंदुस्तान बेस नहीं चाहता पॉसिबली क्योंकि हमारे अच्छे ताल्लुकात है फ्रांस के साथ में, अमेरिका के साथ में लॉजिस्टिकली हम उनके बेसिस का फायदा उठा सकते हैं।

Ques— पहले इन देशों के साथ इंपोर्ट बहुत ज्यादा था। तो क्या पीएम मोदी की ये कोशिश है इन देशों के साथ इंपोर्ट के साथ एक्सपोर्ट को भी बढ़ावा मिले।
Ans— ये जबरदस्त कोशिश है , चाहे ओमान हो चाहे जॉर्डन हो उनसे साथ हम Export को भी बढ़ावा दें। जॉर्डन के साथ भी हम FTA साइन करने जा रहे हैं। ओमान के साथ भी करने जा रहे हैं। इसी माफिया हम इथोपिया के साथ भी करना चाहते हैं। और हम चाहते हैं कि हर कंट्री में हमारा जो ट्रेड है टू वे ट्रेड है ट्रेड है। उसमें कम से कम बड़ी जबरदस्त उछाल आए, बढ़ोतरी हो और 2030 तक हम चाहते हैं दुगना से तिगना ट्रेड हो और ये यकीनन होगा इन तमाम कंट्रीज को हिंदुस्तान से बहुत जबरदस्त आवश्यकता है और हिंदुस्तान ये तमाम चीजें आज बेच सकता है। इलेक्ट्रॉनिक्स में बेच सकता है। हेल्थ केयर बेच सकता है। फार्मासटिकल बेच सकता है। हिंदुस्तान इन चीज़ में जॉइंट है। फिर ऑटोमोटिव में ऑटोमोटिव में बेच सकता है। फिर इंडस्ट्रियल गुड्स जो है इंडस्ट्रियल मशीनरी वगैरह हिंदुस्तान बेच सकता हैं। हम इन देशों के साथ वैसा ही व्यापार करने जा रहे हैं जैसा ऑस्ट्रेलिया के साथ किया है या हमने यूके के साथ किया है। न्यूजीलैंड के साथ किया है और कई और देशों के साथ हम करने की कोशिश कर रहे हैं, साथ ही इन दौरों के पीछे pm एक और मकसद है , हिंदुस्तान चाहता है कि यूएन सिक्योरिटी काउंसिल का परमानेंट मेंबरशिप बने। चाइना वहां पर लगातार वीटो कर रहा है। लेकिन अगर जनरल असेंबली से 90% स्टेट्स जो है कंट्रीज जो है वो हिंदुस्तान को वोट करें तो यूएन सिक्योरिटी काउंसिल को उस बात को मानना पड़ेगा। वीटो लागू नहीं होगा। फिर चाइना का वीटो लागू नहीं होगा और मोदी की कोशिश वही है, अगर आज वोटिंग हो जाए तो मेरे मुताबिक 95 -96% जो कंट्रीज है हिंदुस्तान के पक्ष में वोट डाल देंगी। तो जो इतनी यात्राएं मोदी जी कर रहे हैं, उसके पीछे बहुत कारण हैं।

