अबकी बार 400 पार नारे ने करी कईं नेताओं की छुट्टी
इस बार बीजेपी ने काफी कद्दावर, -जाने-माने नेताओं के लोकसभा के टिकट काटे हैं । बीजेपी की ओर से जारी पहली लिस्ट में 33 सांसदों के टिकट कटे हैं, 6 सांसद वो हैं जो पहले ही संसद से इस्तीफा दे चुके हैं क्योंकि उन्होने विधानसभा का चुनाव लड़ा था और अब वो राज्यों में अन्य पदों पर जिम्मेदारियां निभा रहे हैं।
मोदी का नारा 400 पार —कटा कईं नेताओं का टिकट
पर जिन कुछ कद्दावर नेताओं को इस बार लोकसभा का टिकट नहीं मिला उसमें दिल्ली के सांसद रमेश विधूड़ी और भोपाल की सासंद प्रज्ञा ठाकुर का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। इनके टिकट काटने के बीजेपी आलाकमान के फैसले पर ना केवल लोगों को आश्चर्य हो रहा है, बल्कि इनके टिकट कटने से आम जनता के साथ बीजेपी के बहुत से कार्यकर्ता और नेताओं तक में हैरानी हैं। क्योंकि ये दोनों नेता ऐसे हैं जो जीतने का पूरा दमखम रखते हैं, और इनके पीछे हजारों की भीड़ चलती है।
अपने इलाके में काफी लोकप्रिय भी हैं। पर राजनीति गलियारों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि खासतौर पर इन दोनों नेताओं के टिकट काटने के पीछे मोदी की एक खास रणनीति है। और वो रणनीति -मोदी के अबकी बार 400 पार के नारे के आसपास घूम रही है।
मोदी ये अच्छी तरह से जानते हैं कि यदि उनको इस बार लोकसभा चुनाव में 400 का आंकड़ा पार करना है तो सभी वर्ग, जाती, समुदाय और धर्म के वोट उनके लिए मायने रखते हैं, और अबतक जो होता आया है कि मुसिलम वर्ग ने बीजेपी से दूरी बनाकर रखी हुई थी।
पर मोदी की कईं योजनाओं का जिसतरह से सीधा लाभ मुसिलम परिवारों को मिल रहा है और ट्रिपल तलाक का कानून हटने से 2019 के चुनावों में बहुत से मुस्लिम वोट बीजेपी को मिल गए थे, पर बीजेपी के कईं नेताओं के मुसिलम समुदाय के खिलाफ बोले जा रहे भडकाउ बयान से मोदी की करीकराई मेहनत पर पानी फिर सकता है और ये बात मोदी जानते हैं और तभी रमेश बिधुडी और प्रज्ञा ठाकुर की सीट कट गई है। चलिए आपको समझाते हैं।
रमेश बिधूडी का संसद में सांसद दानिश अली का अपमान
पहले बात करते हैं दिल्ली के सासंद रमेश बिधूड़ी की, जिस तरह से संसद में बीएसपी के minority सांसद दानिश अली को रमेश बिधूडी ने उल्टा-सीधा उनके धर्म को लेकर बोला था उससे मुसलमानों के बड़े तबके में काफी रोष देखा गया था और ये गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया जब रमेश बिधूड़ी पर कुछ कारवाई या सख्ती करने की बजाय उनके बयान को भुनाने के लिए उन्हें पिछले साल दिसबंर में राजस्थान के विधानसभा चुनावों में टोंक में गुर्जर समुदाय के वोट हासिल करने के लिए भेजा गया। टोंक में गुर्जर और मुसलमानों की सबसे ज्यादा आबादी है और यह कांग्रेस नेता सचिन पायलेट का गढ माना जाता है।
रमेश बिधूड़ी को यहां वोट बांटने के लिए भेजा गया और वो इसमें काफी सफल भी रहे। , बीजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है. और सचिन पायलट के गढ़ में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा । जहां 2018 के चुनाव में टोंक जिले की 4 सीटों में से 3 सीटों पर (टोंक, निवाई और देवली उनियारा) कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, बीजेपी को केवल एक सीट (मालपुरा ) मिली थी वहीं 2023 में हुए चुनावों में यहां जिले की 4 सीटों में से 2 बीजेपी के खाते में आई.
रमेश बिधूड़ी जो खुद गुर्जर समुदाय से आते हैं और अपने भडकाउ बयान से चर्चा में थे . ऐसे में गुर्जर बहुल इलाके में उसी समुदाय के नेता यानी रमेश बिधुडी को जिम्मेदारी देने का बीजेपी का दांव सही साबित हुआ.देखा जाए तो रमेश विधूड़ी काफी हद तक टोक जिले में polariasation करने में कामयाब रहे ।
पर इससे रमेश बिधूड़ी से गुस्सा हुए मुसलमानों का गुस्सा बीजेपी से भी होना स्वाभाविक था और मोदी से भी। मोदी ने इसी बात को समझते हुए रमेश बिधूड़ी का टिकट काट कर मुसलमानों को संदेश देने की कोशिश की है कि मोदी सबका साथ और सबका विकास और सबका विश्वास चाहते हैं।
मोदी जानते हैं कि अब लोकसभा चुनावों की बात हो रही है और उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है और इसकी चलते रमेश बिधूडी को कुर्बान किया गया है। आपको बता दें कि रमेश बिधूड़ी 2014 से दक्षिणी दिल्ली सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
हिजाब और चाकू रखने के बयान ने टिकट कटवाया प्रज्ञा ठाकुर का
अब बात करते हैं अब भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर की। यह भी समय समय पर ने भी मुसलिमों के खिलाफ अपने दिए गए कईं बयानों के कारण चर्चा में रही हैं और मुस्लिम समुदाय की कड़ी आलोचना का भी शिकार हुई है। इनके खिलाफ कारवाई करने के लिए बहुत बार बीजेपी आलाकमान को बोला गया पर कुछ नहीं हुआ, लेकिन अब एकदम से इनका टिकट काट कर संदेश दिया गया कि अल्पसंख्यक के खिलाफ बयानबाजी को पार्टी बर्दाश नहीं करेगी।
आपको बता दें कि अपने कर्नाटक दौरे के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ अपमानजनक भाषण देने के संबंध में भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। अल्पसंख्यसों पर जोरदार हमला बोलते हुए प्रज्ञा सिंह ने कहा था कि हिंदुओं के मान-सम्मान नष्ट करने वालों को सबके देने का अधिकार है ।
एक हिंदू नेता की मौत पर प्रज्ञा बहुत भड़की हुई थी और उन्होंने कहा था कि हिंदूओं को हमेशा ही घरों में नुकीले हथियार रखने चाहिए क्योंकि जो माहौल है उससे पता नहीं कब उसकी जरूरत पड़ जाए। लव जिहाद पर तंज कसते हुए भी उन्होनें बहुत खरी-खोटी सुनाई थी और कहा था कि जब मुसलमानों को कुछ नहीं मिलता तो वे लव जिहाद करते हैं, यह उनकी कला रही है कि वो प्यार करके फंसाते हैं और उनके प्यार में भी जिहाद होता है।
जबकि हमारे प्रेम का मतलब होता है प्यार करना। यही नहीं हाल ही में उन्होंने हिजाब को लेकर भी एक टिप्पणी की थी जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ था। प्रज्ञा ठाकुर एक लोकप्रिय नेता हैं , एक साध्वी भी हैं इसलिए उनके खिलाफ किसी भी कारवाई से बीजेपी बचती आई है लेकिन अब जब सवाल लोकसभा और मोदी का है तो बीजेपी किसी के खिलाफ भी कड़ी से कड़ी कारवाई कर सकती है।
नाली, शौचालय साफ करने का बयान ने भी प्रज्ञा का टिकट काटने में अहम भूमिका निभाई
जैसा कि सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को पूरी तरह से साफ सुधरा बनाने का बीड़ा उठाया है और उन्होंने इसी मकसद से दो अक्टूबर 2014 को देश भर में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी.।
माना जा रहा है प्रज्ञा के नाली शौचालय साफ ना करने के बयान से मोदी का सफाई अभियान का मकसद विरोधाभास पैदा कर रहा था और इस बारे में चर्चा भी हो रही थी कि मोदी सफाई चाहते हैं और उनकी ही एक सांसद इस तरह का बयान दे रही है।
उस समय पार्टी ने कई नेताओं ने इस बयान पर उनके खिलाफ कारवाई की मांग की थी क्योंकि उस समय नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के कई बड़े नेता सड़कों पर झाड़ू लगाते, कूड़ा उठाते देखे जा रहे थे , पर कई कारणों के चलेत प्रज्ञा पर कारवाई नहीं हुई पर यह जरूर हुआ कि उन्हें साइड लाइन करना शुरू कर दिया गया और खुद मोदी ने उनसे पूरी तरह से दूरी बना ली थी, माना जा रहा है कि प्रज्ञा का यह बयान भी उनके टिकट काटने का एक बड़ा कारण बना।
अपने बड़बोलेपन के कारण प्रवेश वर्मा का भी टिकट कटा
वैसे लगातार तीन लोकसभा चुनाव 2009, 2014 और 2019 में जीतने के बाद और एक लोकप्रिय नेता होने के बाद भी प्रवेश वर्मा का टिकट काटा गया है। प्रवेश वर्मा पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के पुत्र है और बाहरी दिल्ली में उनकी अच्छी खासी पैठ है पर अपने बड़बोले बयानों के कारण वो भी अकसर चर्चा में रहते हैं, उनका टिकट काटकर यह संदेश दिया गया है कि पार्टी नेताओं को अपने दायरे में रहकर ही बयानबाजी करनी चाहिए, किसी बयान से पार्टी की गरिमा खराब हो वो बर्दाश नहीं होगा
मीनाक्षी लेखी का टिकट कटना एक आश्चर्य
पर नई दिल्ली क्षेत्र से मीनाक्षी लेखी के टिकट कटने की कोई बड़ी वजह सामने नहीं आ पाई है। यह बात अलग है कि पिछली बार पार्टी मीनाक्षी को टिकट देने के बिल्कुल मूड में नहीं थी पर जब उन्होनें कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर मोदी के खिलाफ टिप्पणी करने पर सुप्रीम कोर्ट में केस डाला और राहुल को माफी मांगनी पड़ी तो पार्टी में मीनाक्षी लेखी का कद अचानक बढ़ गया और उन्हें टिकट दिया गया।
माना यही जा रहा है कि अपने क्षेत्र में मीनाक्षी के काम से ज्यादा लोग खुश नहीं थे और दूसरी तरफ पार्टी को वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसूरी स्वराज को भी लड़वाना था और उसके लिए नई दिल्ली से बेहतर कोई सीट नहीं हो सकती थी क्योंकि बांसुरी सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और इस इलाके में उनका बोलबाला है और एक वकील यानी मीनाक्षी लेखी से सीट लेकर एक दूसरे वकील को लड़ने के लिए दे दी गई।
डा हर्षवर्धन ने आहत होकर राजनीति छोड़ी बीजेपी को झटका
मोदी 400 का आंकड़ा पार करने के लिए बहुत ही संभल संभल कर कदम रख रहे हैं और इसी कारण कईं कद्दावर नेताओं के टिकट काटे भी गए हैं लेकिन दिल्ली के बहुत चर्चित नेता डा हर्षवर्धन का टिकट काटना पार्टी को भारी पड़ सकता है ।
हर्षवर्धन का राजनीति छोड़ना बीजेपी के लिए बड़ा झटका है क्योंकि राजनीति और जनता के बीच डाक्टर साहिब की छवि एक भले और ईमानदार नेता की है।
उनके टिकट कटने से अनसे जुड़े कार्यकर्ताओं को तो मायूसी हुई है साथ ही जनता को भी अचछा नहीं लगा, यही नहीं बीजेपी की घोर दुश्मन विपक्षी पार्टी आप की नेता आतिक्षी तक ने हर्षवर्धन का टिकट काटने पर बीजेपी को घेरा हैं और कहा है पार्टी को ईमानदार लोग चाहिए ही नहीं।
टिकट कटने से डा हर्षवर्धन ने सक्रिय राजनीति से संयास लेने की घोषणा करके पार्टी को बड़ा झटका दे दिया है माना जा रहा है कि डा हर्षवर्धन चांदनी चौक सीट से अपना टिकट कटने से बहुत ज्यादा आहत महसूस कर रहे हैं, पर क्योंकि वह एक भले इंसान हैं तो उन्होने अपने इस दर्द को बहुत ही शालीनता से बयान किया और सोशल मीडिया पर लिखा की क़ृषणानगर का ईएनटी क्लीनिक उनका इंतजार कर रहा है।
सब जानते हैं डा हर्षवर्धन एक डाक्टर हैं और उन्होंने यह कहकर बात को ज्यादा तूल नहीं दिया कि वो अब राजनीति छोड़कर अपनी प्रेक्टिस करना चाहते हैं।
पशिचम बंगाल से भोजपुरी सिंगर ने भी दिया बीजेपी को झटका
मोदी की 400 पार करने की मुहिम को दूसर झटका पशिचम बंगाल से भी लगा है जब वहां के प्रसिद्ग भोजपुरी सिंगर पवन सिंह ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया।
पवन को बीजेपी ने आसनसोल से चुनाव लडने के लिए टिकट दिया था, यहां से टीएमसी से बीजेपी से इस पार्टी में गए शत्रुघन सिंहा चुनाव लड़ रहे हैं और उनके टक्कर और लोगों के बीच में लोकप्रिय चेहरे के कारण ही पवन सिंह को यहां से उतारा गया था पर टिकट मिलने के 48 घंटे के अंदर ही उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया और इसके लिए उनहोने कोई कारण नहीं बताया। ये बीजेपी को बड़ा झटका है क्योंकि सब जानते हैं कि पशिचम बंगाल में ममता दीदी से सीधी टक्कर हैं और बीजेपी के लिए यहां एक एक सीट बहुत मायने रखती हैं क्योंकि हर सीट पर लड़ाई टक्कर की होगी।
जिस तरह से बंगाल में चुनावों में गडबडी होना आम बात हो गई है ऐसे में बीजेपी कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती और हर सीट पर वही उम्मीदवार उतारना चाहती है जो उस इलाके में दबदबा रखता हो और टीएमसी पर भारी पड़े।
देखना यही है कि मोदी अपने 400 पार के नारे को हकीकत में बदलने के लिए बंगाल में क्या खेला करवाते हैं , लेकिन एक खेला तो बंगाल में हो गया है। यहां के हाई कोर्ट के जज अभीजित ने इस्तीफा देकर ममता के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए मोदी का दामन थाम लिया है, वहीं उनके एक और विधायक तापस ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया और माना जा रहा है वो बीजेपी में जा सकते हैं। देखना यही है कि मोदी आगामी लोकसभा चुनाव में 400 सीट लाकर एक बार फिर विपक्ष को पटखनी देने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं
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