कम ही लोग ये जानते होंगे कि घर-आफिसों, माल में लगे छोटे-बड़े एसी यानी एयरकंडीशर इस भयंकर गर्मी में आपको ठंडक देने, राहत देने का तो काम करते हैं पर दूसरी तरफ यही एसी बढ़ती गर्मी, उमस, हीटवेव का एक बड़ा कारण बनते जा रहे हैं। डेढ टन का एक एसी पंखे से लगभग 30 गुना बिजली की खपत करता है और जितनी बिजली की खपत होगी उतना कोयला ज्यादा जलेगा, उतना ही ज्यादा ग्रीनहाउस गैस एमिशन होगा और उतनी ही ज्यादा ग्लोबल वार्मिंग बढ़ेगी।ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के लिये सबसे अधिक जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैस हैं।
क्या हैं ग्रीन हाउस गैसें और क्यों खतरनाक
ग्रीन हाउस गैस वो गैस होती है जो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर यहाँ का तापमान बढ़ाने में कारक बनती हैं। ग्रीन हाउस गैसें, बाहर से मिल रही गर्मी या ऊष्मा को अपने अंदर सोख लेती हैं। इसलिए कह सकते हैं कि एसी का बढता प्रयोग वातावरण में गर्मी बढ़ाने के लिए एक ना टूटने वाले चक्र की तरह काम कर रहा है देश में ग्लोबल वार्मिंग के कारण लगातार गर्मी के दिन बढ़ते जा रहे हैं ।
जबरदस्त गर्मी पड़नी शुरू हो गई है , जान-मान का नुकसान हो रहा है , कईं जगह तापमान 49 degree से उपर चला गया है। जगह -जगह पानी की किल्लत होनी शुरू हो गई है। पिछले दस सालों की बात कर लें तो देश में और खासकर दिल्ली, मंबई, हैदाराबाद, बंगलूरू में हीट वेव लगातार बढ़ रही है, तापमान बढ़ता ही जा रहा है और ये वो महानगर हैं जहां लाखों लोग अपनी जीविका के लिए दूसरे राज्यों से आते हैं और बढ़ती गर्मी का सीधा असर लोगों के रोजगार रहन -सहन, पानी की बढ़ती किल्लत, खेती पर पड़ रहा है। देश में लगातार बढती गर्मी से ना केवल जानें जा रही है बलिक देश को करोडो रूपए का नुकसान भी हो रहा है।
बढ़ते तापमान का ही असर है कि भारत में वर्ष 2019- 2020 में आई बाढ़ और सूखे की मार भी लोगों ने झेली, बहुत जाने गई। ग्लोबल वार्मिंग से भारत को 2.5 यूएस million-dollar का नुकसान भी झेलना पड़ा।
- भारत समेत बढ़ती गर्मी के भयंकर परिणान विश्व के कईं देश भुगत रहे हैं
- वर्ष 2019 में 1 डिग्री तापमान बढ़मे से दुनिया का एक टापू ग्वाटेमाला विलुप्त हो चुका है
- क्लामेट यानि वातावऱण में जबरदस्त आए बदलाव के चलते 2014 में समुद्र का जलस्तर बढ़ने से बांग्लादेश में समूद्र किनारे रहने वाले 40000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं।
- 2021 में लंदन और यूरोप के किस तरह गर्मी ने कहर बरपाया वह हम देख चुके हैं ।
- बदलते तापमान ने दुनिया के सबसे ठंडे देश कनेडा में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच दिया है।
- हमारी धरती से आधे से ज्यादा का कार्बन डाइऑक्साइड सोखने वाले ऐमेज़ॉन के जंगल40 परसेंट तक खत्म हो जाएगे और शुरुआत हो चुकी है
- कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ने से हमारी फसलें ख्त्म हों रही हैं और खाने की भयंकर कमी पैदा हो चुकी है।
- मानसून का पैटर्न बदल रहा है जहां बारिश होती थी वहां सूखा पड़ रहा है और जहां सूखा होता था वहां बारिश हो रही है।
- अगर धरती लगातार ऐसे ही ऐसे ही गर्म होती रही तो इसके कईं और भयंकर परिणाम देखने को मिलेंगे
- गैसों का उत्सर्जन अगर इसी प्रकार चलता रहा तो 21वीं शताब्दी में पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है और होंगे भयंकर परिणाम दुनिया के कई हिस्सों में बिछी बर्फ की चादरें पिघल जाएँगी, समुद्र का जल स्तर कई फीट ऊपर तक बढ़ जाएगा। समुद्र के इस बर्ताव से दुनिया के कई हिस्से जलमग्न हो जाएँगे, भारी तबाही मचेगी। यह तबाही किसी विश्वयुद्ध या किसी ‘ऐस्टेराॅइड’ के पृथ्वी से टकराने के बाद होने वाली तबाही से भी बढ़कर होगी।
- अभी हमारी धरती का ओवरऑल टेंपरेचर 15 डिग्री है और 1.1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ चुका है , माना जा रहा है 2027 तक ये 2 डिग्री तक और बढ़ जाएगा। इसी तरह कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती रही तो 3 डिग्री 4 डिग्री कहां जाकर रुकेगी कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन यदि तापमान 3 डिग्री बढ़ गया तो पौधे तो मर ही जाएंगे साथ ही ग्राउंड वाटर जहरीला हो जाएगा
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ग्लेशियर पिघल जाएंगे
- मीठे पानी की नदियां सूखने लग जाएंगी पीने के पानी की बहुत कमी हो जाएगी।
- समुद्र का जल स्तर बढ़ने से समुद्र के तटीय इलाके डूब जाएंगे , कई बड़े खहरों के साथ मुंबई और न्यूयॉर्क जैसे शहर भी डूब जाएगें
- हवाई जहाज तक जलने की नौबत आ जाएगी
- ग्लोबल वार्मिंग को रोकने और पर्यावरण को बचाने के लिए सिर्फ और सिर्फ जागरूकता जरूरी है।
- गर्मी से बचने के लिए एसी के विकल्प ढू़ंढ़ने ही होंगे
- तालाबों को दोबारा जीवित करना होगा
- घरों में ईको फेंडली सामान का ज्यादा इस्तेमाल हो
- कमरे हवादार बनाए जाएं, छतों तो ज्यादा से ज्यादा छायादार बनाया जाए
- कूल हाउस बनाने पर विचार हो, घर को सफेद रंग से रंगने पर तापमान में 2-4 डिग्री का फर्क आ जाता हैकोशिश करें कि घरों में ज्यादा कारों या और वाहनों का इस्तेमाल ना हो।
- जितने ज्यादा पेड़ उगाए जाएं वातावरण के लिए बेहतर है।
आंकड़े बताते हैं कि अगर हर व्यक्ति एक पेड़ लगाएं और उसको फलने फूलने तक उसकी सेवा करें तो पूरी दुनिया में 7 बिलियन से ज्यादा पेड़ फल— फूल सकेंगे और यह पेड़ इस प्रकति को हमारे पर्यावरण को बचाने में बहुत कारगर सिद्ध होंगे। तो समय आ गया है धरती को जलने से बजाना है, अपने आप को बचाना है तो हमें अपनी पृथ्वी को सही मायनों में ‘ग्रीन’ बनाना होगा। विश्व के देशों को मिलकर पॉलिसीज बनानी होंगी । अपनी-अपनी नहीं सबकी चिंता और पर्यावरण की चिंता करने का वक्त आ चुका है । क्लाइमेट चेंज अब हमें यह शब्द बोलना छोड़कर क्लाइमेट क्राइसिस बोलना शुरू कर देना चाहिए और इससे बचने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए