Bihar—चुनाव संबंधी कुछ Interesting जानकारियां
बिहार के चुनाव की घोषणा हो गई है दो चरणों में चुनाव होंगे 6 और 11 नवंबर को वोटिंग होगी और 14 नवंबर को रिजल्ट आ जाएंगे. इसके साथ ही चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने बिहार को लेकर बहुत रोचक जानकारियां दी है।
सबसे बड़ी बात कि बिहार में 14,000 ऐसे मतदाता हैं जो 100 साल पूरे कर चुके हैं। 14 लाख नए वोटर्स हैं। नए वोटर्स मतलब फर्स्ट टाइम वोटर्स हैं। यंग लोग हैं जो कुल मतदाता हैं उनकी संख्या 7 करोड़ 43 लाख के करीब है।
इसके अलावा एक और इंटरेस्टिंग फैक्ट है। हम लोग को बड़ी टेंशन रहती है जब हम वोट डालने जाते हैं कि मोबाइल कहां छोड़ें? घर में छोड़ते हैं, कार में छोड़ते हैं, चोरी का खतरा रहता है। लेकिन इस बार आप मोबाइल फोन ले जा सकते हैं और वहीं बूथ पर मोबाइल फोन को जमा करने की फैसिलिटीज मुहैया कराई जाएगी।
हर केंद्र में कोशिश की जाएगी 1200 से ज्यादा वोटर्स ना हो जिससे जितने कम वोटर्स होंगे लंबी-लंबी जो कतारें लग जाती है वो खत्म होंगी और जो मैनपुलेशंस की संभावना रहती है वो भी खत्म होगी क्योंकि भीड़ का फायदा उठाकर बहुत से लोग गड़बड़ी करने की कोशिश करते हैं ।
इसके चुनाव की ड्यूटी करने वाले अधिकारियों और पुलिस तक को ट्रेनिंग दी जा रही है। तमाम तरह की यह जानकारियां इलेक्शन कमिश्नर ने दी है
AIMIM ने मुस्लिम बनाम यादव का दिया नया नारा -फंसेगी RJD

बिहार में हर कोई दल अपने पूरी एड़ी चोटी का जोर प्रचार में लगा रहा है और अब तो चुनाव की तिथि भी सामने आ गई है । और इन सबके बीच एक बड़ी चर्चा चल निकली है कि क्या असउदुद्दीन ओवैसी बिहार में बड़ा खेला करेंगे। ओवैसी की बिहार में जबरदस्त ढंग से एंट्री हुई है। जगह-जगह जाकर वो रैलियां कर रहे हैं। और चर्चाएं गर्म है कि AIMIM की एंट्री से किसको सबसे ज्यादा नुकसान होने वाला है। ये बड़ी चर्चा है जो वहां की जनता कर रही है। खासतौर पर जो मुस्लिम तबका है वो इसमें बहुत ज्यादा इंटरेस्ट दिखा रहा है और सब यही कह रहे हैं कि AIMIM की एंट्री से सबसे ज्यादा नुकसान RJD यानी तेजस्वी यादव को होने वाला है। जी हां उनका जो MY का समीकरण है यानी मुस्लिम यादव का समीकरण है वो पूरी तरह से बिगड़ सकता है। अब कैसे बिगड़ेगा? ओवैसी इस पूरे खेल को ट्विस्ट दे रहे हैं। नया खेला खेल रहे हैं। यहां पर वो जातीय जनगणना की आड़ लेकर के एक बड़ा एक बड़ा बड़ी चिंगारी अल्पसंख्यक समुदाय के बीच में छोड़ दी है। उन्होंने कहना शुरू कर दिया है कि हम सालों साल से RJD को वोट दे रहे हैं। हम लालू यादव को वोट दे रहे हैं। तेजस्वी यादव को हमेशा हमने सपोर्ट किया। लेकिन इसका फायदा क्या हुआ? एक तरफ बिहार में हमारी जनसंख्या 19% के लगभग है। और यादव जो है वो 14 फीसदी के आसपास है। इसके बावजूद अभी तक उन्हें ना तो कभी मुख्यमंत्री पद उनके अल्पसंख्यक समुदाय को मिला ना ही डिप्टी पद कोई मिला और ना ही मंत्री परिषद के मेन पोर्टफोलियोस, मुसलमानों को दिए गए है, तो यह एक एक बता औवेसी बिहार में अल्पसंख्यक के बीच फैलाने में कामयाब हो गए हैं जिसके कारण माना जा रहा है कि बहुत बड़ा तबका तेजस्वी को छोड़कर उन्हें वोट देने वाला है। असुउद्दीन ओवैसी अपनी स्पीच में बार-बार इन बातों को हवा दे रहे हैं कि 19 और 14 का जो आंकड़ा है वो उसको सामने ला रहे हैं और कह रहे हैं कि आपको क्या मिला? आपने इतने सालों तक आरजेडी को वोट किया। आपने कांग्रेस को भी वोट किया। लेकिन आपको मिला क्या? तो ये खेल एक नया शुरू हो गया और सबसे बड़ी बात है सक्सेस भी हो रहा है क्योंकि आम जनता अल्पसंख्यक समुदाय है वो इसके बारे में बात कर रहा है। खुलकर बात कर रहा है कि हम क्यों दें आरजेडी को वोट? तो ओवैसी का बिहार में जो तीर छोड़ा था वो निशाने पर बैठता दिख रहा है।
महागठबंघन में नहीं मिली जगह तो बिगाड़ेंगे MY समीकरण

पिछले चुनावों में औवेसी की सीमांचल में बहुत ज्यादा पकड़ रही है, सीमांचल में चार जिले आते हैं। पूर्णिया है, किशनगंज, कटिहार और अररिया है। ओवैसी यानी aimim पिछले Election में पांच सीटे जीती थी और यहां पर मुस्लिम समुदाय बहुत ज्यादा है और यहां से ओवैसी पांच सीटें जीते थे। पिछली बार ये बात अलग है कि उसमें से चार विधायक आरजेडी में चले गए थे।इस बार देखा यही गया कि ओवैसी ने कई बार कोशिश करी बिहार में तेजस्वी यादव से हाथ मिलाने की। जी हां, उन्होंने कई बार ऑफर भेजे, लेटर लिखे कि हमें भी महागठबंधन में शामिल कीजिए और सीटों की डिमांड ज्यादा नहीं की थी। वो छह सीटें मांग रहे थे। लेकिन बावजूद इसके महागठबंधन में ओवैसी को कोई जगह नहीं मिली। उन्हें शामिल नहीं किया गया। और जो चर्चाएं हैं कि इसके पीछे तेजस्वी यादव जो है बहुत ही स्ट्रांग थे। उनका मानना था कि ओवैसी को अगर वो शामिल करते हैं महागठबंधन में तो आरजेडी का जो MY यानी मुस्लिम यादव फार्मूला जो हिट है बिहार में जिसके कारण RJD को इतने वोट मिल जाते हैं वो कहीं हाथ से नहीं निकल जाएं , दूसरा ओवैसी को बीजेपी की बी टीम माना जाता है। इसको लेकर भी कहीं ना कहीं डर बना रहता है नेताओं में कि ये जीतने के बाद साथ छोड़कर ना चला चले जाए। उसको लेकर तेजस्वी यादव बहुत ही ज्यादा सख्त रवैयाउन्होंने अपनाया था। शुरू में ही उन्होंने मना कर दिया था कि वो ओवैसी को महागठबंधन में शामिल नहीं करेंगे।
बिहार की जनता भी तेजस्वी से नाराज

लेकिन शामिल नहीं करने का नतीजा उनको भुगतना पड़ेगा। और यह पता चल रहा है यह फीडबैक आ रही है कि वहां की जनता वहां का अल्पसंख्यक समुदाय खुलकर तेजस्वी यादव से प्रश्न कर रहा है कि आपने ओवैसी को महागठबंधन में शामिल नहीं किया। अब इसका परिणाम आपको भुगतना पड़ेगा क्योंकि हम तो इस बार एक मुस्लिम नेता एक अल्पसंख्यक नेता को वोट देंगे और आगे चलकर हम भी चाहते हैं कि हमारे में से कोई बिहार का सीएम बने क्योंकि हमारी जनसंख्या इतनी ज्यादा है हम आपको वोट देते हैं।
Bihar चुनाव में अल्पसंख्यक वोटर्स क्यों Important

मुस्लिम समुदाय बिहार में बहुत ज्यादा अहमियत क्यों रखता है बिहार के चुनावों में हर कोई क्यों भागता है अल्पसंख्यक वोटरों के लिए। चाहे वो आरजेडी हो, चाहे वो jdu हो, चाहे वो कांग्रेस हो वो। बीजेपी भी कोशिश करती है कि उसकी कोशिश कामयाब नहीं होती। तो इसके पीछे कारण है कि बिहार में 243 जिसमें चुनाव लड़ा जाएगा। 87 ऐसी सीटें हैं जहां पर 20 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी रहती है। तो किसी की हार और जीत का यह बड़ा कारण बन जाते हैं। इसके अलावा 47 सीटें ऐसी हैं जहां 15 से 20 फीसदी मुस्लिम समुदाय रहता है। और यही कारण है वहां पर अल्पसंख्यकों की काफी पूंछ है। आरजेडी भी पूछती है। कांग्रेस पूरी कोशिश कर रही है कि मुस्लिम समुदाय को अपने पक्ष में लाया जाए। लेकिन जो ऊंट किस करवट बैठता है यह तो टाइम बताएगा लेकिन हां जो फीडबैक मिल रहा है उससे लग रहा है कि ओवैसी कुछ ना कुछ यहां पे खेला कर सकते हैं। खासतौर पर आरजेडी के लिए और तेजस्वी यादव के लिए बड़ा संकट है।
क्या BJP को MY समीकरण बिगड़ने से मिलेगा फायदा

एक चर्चा भी चल रहा है कि इससे एनडीए को फायदा होने वाला है। क्यों होने वाला है? इसके पीछे रीज़न साफ़ है। पहले जो वोट बैंक थोड़े बहुत मुस्लिम समुदाय नीतीश कुमार के साथ जुड़े थे। जब से वह एनडीए का हिस्सा बने हैं। जब से उन्होंने वफ वोट पर अपनी सहमति दी है तो वो जो मुस्लिम अल्पसंख्यक वोटर्स नीतीश के साथ थे वो दूर चले गए हैं। अब दूर जाने का नुकसान नीतीश को होगा। लेकिन आरजेडी को भी इसका फायदा नहीं मिलने वाला है। कांग्रेस को भी कहते हैं इसका फायदा नहीं मिलने वाला है क्योंकि वह ओवैसी के पाली में जा सकते हैं यह नेता और ओवैसी ने बहुत जो खेल खेला है जो मुस्लिम वर्सेस यादव का नारा दिया है बिहार में काफी वो लोकप्रिय हो गया।
क्या BJP को मिल सकता है बिहार की मुस्लिम महिलाओं का वोट
कहीं-कहीं बात यह भी हो रही है कि जो मुस्लिम महिलाएं हैं क्या वह अपना वोट कहीं ना कहीं एनडीए को दे सकती हैं? एनडीए मतलब क्या वो बीजेपी को दे सकती हैं? जेडीयू को दे सकती है क्योंकि जो मुस्लिम महिलाओं के लिए मोदी सरकार की स्कीम्स हैं चाहे वो तलाक तलाक तलाक का खात्मा हो या आवास योजना है उससे बहुत फायदा हुआ तो हो सकता है कि इसी कारण कि हो मुस्लिम महिलाओं का बड़ा तबका एनडीए को वोट दे सकता है।
