जीत का श्रेय मोदी को देती हैं —- बिहार में तो मोदी मैजिक बरकरार है
एक जमाने में बिहार ही नहीं बल्कि केंद्रीय राजनीति को झकझोर कर रख देने वाले समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र ने इस बार लोक सभा में सबसे कम उम्र वाली सांसद शांभवी चौधरी को जिताया और वो भी रिकॉर्ड मतों के अंतर से ताकि इतिहास रचा जा सके।
शांभवी चौधरी बिहार के दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी अशोक चौधरी की पुत्री हैं जो उनकी जीत का एक बड़ा कारण बताया जाता है। वह अलग बात है कि शांभवी अपनी अभूतपूर्व जीत का श्रेय केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह कहकर देती हैं कि बिहार में तो मोदी मैजिक बरकरार है। मोदी फैक्टर को आप खारिज नही कर सकते।चिराग पासवान की पार्टी लोजपाआर की ओर से समस्तीपुर सीट पर 25 साल की शांभवी चौधरी ने चुनाव लड़ा थ जो वह जीती थीं । यह जीत कोई साधारण नहीं थी, बल्कि उन्होंने एक इतिहास रचा। शांभवी ने न सिर्फ एनडीए, बल्कि प्रदेश के सभी 40 सीटों में मुजफ्फरपुर के बाद सबसे बड़े अंतर से अपनी जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सन्नी हजारी को एक लाख 87 हजार से भी अधिक वोटों से शिकस्त दी। इसके साथ ही उन्होंने लोकसभा में सबसे कम उम्र की महिला सांसद बनने का गौरव हासिल किया।
शांभवी को लोगों ने ‘पापा की परी’ कहकर काफी निंदा की
पर कहते हैं ना कि भरी भरकम जीत अच्छे अच्छों के दिमाग खराब कर देती है। खासतौर पर राजनीति में जहां जीत के अंतराल से कहीं अधिक तरजीह अनुभव को दी जाती है।ऐसा ही कुछ शांभवी के साथ भी हुआ जब उन्होंने एक विवादास्पद बयान जारी कर दिया कि समस्तीपुर को लोग तब जान पाए जब उन्होंने संसद में यहां के मुद्दे उठाए। बस फिर क्या था मीडिया और सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी दलों के नेताओं ने उन्हें आड़े हाथों ले लिया जिससे शांभवी बुरी तरह फंस गई और अपनी फजीहत करा बैठीं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोग शांभवी को लोग ‘पापा की परी’ कहकर तंज कसने लगे।
समस्तीपुर बिहार के नक्शे में कहां है ——इस बयान पर घिरी
शांभवी चौधरी ने समस्तीपुर के बारे में कहा था की समस्तीपुर बिहार के नक्शे में कहां है यह लोगों को उन्होंने ही बताया। बस उसके बाद से शांभवी को जबरदस्त निंदा का सामना करना पड़ा
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने जमकर तंज कसा
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने शांभवी चौधरी का नाम लिए बिना कह दिया था कि समस्तीपुर को विद्यापति और जननायक कर्पूरी ठाकुर की धरती के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा, ‘अगर मैं बोलूं कि मेरे जन्म लेने के बाद मेरे जन्मस्थल मोकामा को सबने जाना तो यह दुखद बात है।’ उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने से उस क्षेत्र का सम्मान बढ़ता है। वैसे नीरज को बिहार की राजनीति में अधिक चौधरी का प्रतिद्वंद्वी माना जाता है।
समस्तीपुर ने ललित नारायण मिश्र और कर्पूरी ठाकुर जैसे राजनीतिक पुरोधाओं को जन्म दिया
समस्तीपुर जिले का एक अपना ऐतिहासिक महत्व है। एक समय में समाजवादियों और क्रांतिकारियों का गढ़ माने जाने वाले समस्तीपुर ने ललित नारायण मिश्र और कर्पूरी ठाकुर जैसे राजनीतिक पुरोधाओं को जन्म दिया जिन्होंने इस इलाके का नाम रोशन किया।
शांभवी काफी पढ़ी लिखी हैं पढ़ाई उन्हें राजनीती की बारीकियां समझने में मदद करेगी
पर अब शांभवी सभली लगती हैं और इस तरह की बयानबाजी से बच कर चल रही हैं, शांभवी काफी पढ़ी लिखी हैं और माना जा रहा है कि उनकी पढ़ाई उन्हें राजनीती की बारीकियां समझने में पूरी मदद करेगी । उन्होनें 2019 में दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज फॉर विमेन से समाजशास्त्र में स्नातक की डिग्री पूरी की और बाद में 2022 में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की।
राजनीति और धार्मिक माहौल में घिरी हैं शांभवी
शांभवी का मायका राजनीति से ओत प्रोत रहा है जबकि ससुराल काफी धार्मिक प्रवृत्ति की कोई है, ऐसे में वे कैसे संतुलन बनाए रखती हैं इस पर उनका कहना है कि भक्ति में बहुत शक्ति होती है। आप जब किसी ऐसे काम में होते हैं, जहां पर लगातार आपको लोगों से मिलना होता है, तो आपके दिमाग और मन में स्थिरता होना जरूरी है। इसलिए मैं मानती हूं कि जब हम भगवान से प्रार्थना करते हैं तब बहुत सुकून मिलता है। उनका विवाह प्रदेश के एक प्रशासनिक अधिकारी सायन कुणाल से हुआ है।