PM की मां को गाली मुद्दा गरमाया

एनडीए ने बिहार बंद का आयोजन किया था और बिहार बंद का आयोजन इस बात को लेकर के किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को भागलपुर के एक कार्यक्रम में गाली दी गई और वो गाली देने वाले जो लोग कार्यकर्ता थे वो कांग्रेसी कार्यकर्ता थे और ये मंच से उन- उनकी मां को गाली दी गई और इसको लेकर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक भावनात्मक बात कही अपील की थी बिहार जाकर के लेकिन ये जो बंद का आयोजन है यह बंद का आयोजन आरोप प्रत्यारोप पर सिमट गया है। इस बात को लेकर के कि इस मामले को खत्म किया जाए और इस मामले को कहीं एक जगह रोक करके और इस मामले से छुटकारा मिला जाए। लेकिन उसके उलट इस पूरे मामले में एक जो नैरेटिव बन रहा है वो कि किसकी कमीज ज्यादा गंदी है जो एक पुराना डिटर्जेंट का ऐड आता था कि मेरी कमीज से साफ उसकी कमीज है उसका उल्टा किसकी कमीज गंदी है और किसने कितनी गालियां किन नेताओं को दी।
गाली देने सब माहिर कोई भी पीछे नहीं

अब उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी बयानों से लेकर के सब का बयान दिया जा रहा है। उसमें जो कांग्रेस के प्रवक्ता हैं, चाहे रागिनी नायक हो, चाहे सुप्रिया श्रीनेत हो, चाहे चाहे पवन खेड़ा हो, चाहे अभय दुबे हों या भाजपा के प्रेम शुक्ला या और कोई नेता हो, प्रवक्ता हो सब के उनको कोट किया जा रहा है। लेकिन कुल मिलाकर के जो सामान्य परसेप्शन है वो भारत भारतीय जनता पार्टी के बारे में जो ये है कि वो उनको जब प्रवोक किया जाता है तो वो गुस्से में जवाब देते हैं। लेकिन अनप्रवोग्ड जो गाली देने का या अनप्रवोक बात करने का हो चाहे वो रागिनी नायक का अपने साथ डिबेट कर रहे हो कर रहे बीजेपी के प्रवक्ता को के बाप को गाली देना कि तेरा बाप होगा चपरासी सुप्रिया श्रीनेत्र का संबित पात्रा को नाली का कीड़ा जैसे शब्द का उपयोग करना या सुरेंद्र राजपूत का प्रेम शुक्ला के मां के बारे में अभद्र टिप्पणी करना और फिर प्रेम शुक्ला का सुरेंद्र राजपूत की मां के बारे में अभद टिप्पणी करना। ये ये लंबे समय से चल रहा है।
Congress की इस प्रवक्ता ने शुरू किया गाली गालौज का सिलसिला

इसकी शुरुआत जो है वो अगर माना जाए तो ये शुरुआत ये इस विधा की इस विधा की शुरुआत तब से हुई जब सुप्रिया श्रीनेत्र जो है वो कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते हुए चैनल पर आने आना शुरू किया और उनकी जो स्ट्रेटजी थी वो इंटिमीडेट करने की स्ट्रेटजी वो सामने वाले को इंटिमिडेट करके अपनी बात करती थी और इतना अनइजी कर देती थी कि सामने वाले के चेन ऑफ थॉट्स टूट जाएं और अपनी बात वो कर पाए। कुछ दिन शुरू में तो इस तरह की चीजें लगी कि वह उनका अग्रेसिवनेस बहुत उनका अग्रेसिव अप्रोच वह कांग्रेस को फायदा देगा लेकिन वो धीरे-धीरे वो बूम रैंक करने लगा और ये जो पूरी की पूरी स्ट्रेटजी है वो बूम रैंक कर रही है। जहां पर भी जिस जगह पर भी अपशब्द का प्रयोग किया गया उसका नुकसान सबको हुआ। चाहे बीजेपी के नेता ने किया हो, चाहे कांग्रेस के नेता ने किया हो, समाजवादी पार्टी के नेता ने किया हो, समाजवादी पार्टी के एक मनोज यादव करके प्रवक्ता आते थे। वो भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते थे और व्यक्तिगत हमला करते थे। उनको बुलाना बंद कर दिया। अभी एक और दो लोग सोशल मीडिया पर रोना रो रहे हैं। वो हैं आरजेडी के तीन प्रवक्ता अह कंचना यादव, प्रियंका भारती और एक मैडम पासवान है। ये भी रोना रो रहे हैं कि इनके बाद इनको बीजेपी ने चैनल्स पर आने के लिए मना कर दिया। लेकिन ये लोग भी अभद्र भाषा के लिए जाने जाते हैं। लेकिन कुल मिलाकर के ये जो बिहार का बंद हुआ है इसमें एक तो ये कि ये पूरा गाली गलौज का मसला बन रहा है। इसमें एक और चीज निकल कर के आ रही है वो ये कि अभी आप सोशल मीडिया पर जाकर के देखने की कोशिश कीजिएगा। तो बहुत सारी जगहों पर कांग्रेस और आरजेडी के कार्यकर्ता बीजेपी का झंडा लेकर के और मारपीट करते हुए नजर आ रहे हैं और उसको ट्वीट बना करके आरजेडी के प्रवक्ता लगातार ट्वीट कर रहे हैं। ये एक नई स्ट्रेटजी आया है मिसइफेशन वाली। ये मिसइफार्मेशन से चुनाव जीतने की रणनीति 2024 में सफल थी। उसको ही बेहतर ढंग से इस्तेमाल करने की कोशिश एक बार फिर की जा रही है। 2025 के विधानसभा चुनाव में बिहार में क्या होगा, कैसे होगा वो तो आने वाला समय बताएगा।
Rahul की यात्रा कहीं गाली प्राकरण की भेंट ना चढ़ जाए

लेकिन ये जो गाली वाला प्रकरण है ये गाली वाला प्रकरण रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अह इसमें अगर एक इसको चुनावी दृष्टि से देखें तो जो राहुल गांधी का पूरा का पूरा ये जो यात्रा निकाली गई थी वोट बचाव को मतलब वोटर्स को लेकर के जो वोट भ्रष्टाचार को लेकर के वो एक बार फिर साइड लाइन हो गया उस पूरे मुहिम को अब रिप्लेस कर दिया है गाली वाले उसमें अब इसमें अभी कोई यह जज नहीं कर सकता कि इसका चुनावी फायदा किसको होगा चुनावी नुकसान किसको होगा सोशल मीडिया पर दोनों अपने पक्ष पक्ष में अपने अपने आप बचाने की कोशिश कर रहे हैं और दूसरे की गाली को बड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं और इसमें कोई पाक साफ नहीं है। सब तरफ से बातें हो रही है। बीजेपी के लोगों ने भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है। कांग्रेस के लोगों ने भी समाजवादी पार्टी और आरजेडी तो किया ही है। अब यह देखना होगा कि इसको चुनाव में कैसे लिया जाता है। लेकिन बिहार में जो बिहार बंद का आयोजन था वो भी इसी की भेंट चढ़ गया।
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