बिहार में चुनाव से पहले एनडीए को एक तरफ चिराग पासवान की महात्वाकांक्षा और दूसरी तरफ जीतराम मांझी की बढ़ती सीटों की डिमांड ने परेशान कर ही रखा था और अब राजस्थान के कद्दावर नेता हनुमान बेनीवाल के हाल ही में दिए गए एक बयान से बीजेपी आलाकमान तो क्या चाणक्य भी परेशान हो गए होंगे। जी हां  राजस्थान के नागौर सांसद और आरएलपी प्रमुख डॉ. हनुमान बेनीवाल, ने  जाट समाज के आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र सरकार को खुल कर चुनौती दे डाली है और साफ कहा है कि अगर भरतपुर, धौलपुर और डीग जिले के जाट समाज को आरक्षण नहीं मिला, तो  मोदी सरकार की  ईंट से ईंट बजा देंगे। पर मसला यह नहीं है जिस तरह से बेनीवाल ने वसुंघरा राजे सिंधिया की आड़ लेकर केंद्र को इशारों ही इशारों में राजस्थान की गद्दी उन्हें सौंपने का संकेत दिया , उससे बीजेपी में परेशानी है, जी हां बेनीवाल ने कहा कि  मैं दूल्हा बनने को तैयार हूं लेकिन दुल्हन नहीं बनूंगा, मैंने कभी खुद को घर नहीं बैठाया, बल्कि जिससे लड़ा, उसे घर बैठा दिया , वसुंधरा राजे पर करारा तंज कसते हुए बेनीवाल रूके नहीं और कहा कि मैं उस कुर्सी की तलाश में हूं जिस पर बैठते ही लाखों लोगों का भला हो और वो है मुख्यमंत्री की कुर्सी।साफ है कि  बेनीवाल अब जाट आरक्षण के मुद्दे पर एनडीए से  सीधे सत्ता की मांग कर रहे हैं, वैसे आपको बता दें फिलहाल बेनीवास इंडी गठबंधन का हिस्सा है पर लग रहा है कि राजस्थान की कुर्सी पाने के लिए वो एनडीए से भी समझौता कर सकते हैं, जी हां उन्होंने  कांग्रेस को भी आड़ हाथों लेकर सुना दिया कि राजस्थान में बीजेपी कभी सरकार नहीं बनाती  अगर कांग्रेस हमारे साथ तालमेल करके चुनाव लड़ती तो ढंग हम 140 सीटें जीत सकते थे। बेनीवाल ने साफ कर दिया कि  दिल्ली में वो इंडिया अलायंस का हिस्सा हैं,  पर  राजस्थान में उनकी पार्टी बिल्कुल अलग और  स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी। खैर माना जा रहा है यह कहकर उन्होंने एनडीए को भी हिंट फेंक दिया कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री पद का आफर मिलता है तो आगामी चुनाव एनडीए की छत्रछाया में भी लड़ सकते हैं।

Congress क्या जाने वाला है एक और राज्य हाथ से

अंदरूनी कलह से हर दल परेशान ही रहता है, खासकर कांग्रेस में  बढ़ती गुटबाजी कांग्रेस के गिरते ग्राफ की एक बड़ा कारण मानी जा रही है, अब देश में केवल  कर्नाटक, हिमाचल और तेलांगना में ही कांग्रेस की सरकार चल रही है, पर यहां भी कद्दावर नेताओं की आपसी लड़ाई कब सरकार गिरने का कारण बन जाए पता ही नहीं चलेगा, फिलहाल कर्नाटक में ऐसी स्थिति फिर से बननी शुरू हो गई है , चर्चाएं यही थी कि  2023 में सरकार बनाते समय मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच ढाई- ढाई साल का फार्म्युला  तय हुआ था, उसकी को लेकर दोनों के बीच मनमुटाव की खबरें तो अकसर आती हैं पर जिस तरह से शिवकुमार के करीबी विधायक इकबाल हुसैन ने  दावा कर दिया  कि उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है बस  दो से तीन महीने बचे हैं, वहीं इस दावे को और ज्यादा हवा मिल गई जब कर्नाटक के एक और मंत्री के.एन. राजन्ना ने  बयान दे दिया कि  सितंबर के बाद राज्य और देश की राजनीति में बड़े बदलाव होंगे। पर जैसे ही यह बात बाहर निकली खुद सिद्धारमैया के बेटे और कांग्रेस विधान परिषद सदस्य  यतींद्र सिद्धरमैया ने इस बात को  महज अटकलें बताकर खारिज कर दिया।साफ है कि सिद्धारमैया कुर्सी छोड़ने को कतई तैयार नहीं हैं खुद ना कहकर उन्होंने अपने बेटे से बात आगे पहुंचा दी, पर जिस तरह से शिवकुमार गुट उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए ढाई साल के फार्मूले वाली बात फैला रहा है, उससे साफ लग रहा है कि कर्टानक में जल्द ही कोई बवाल होने वाला है और कांग्रेस के लिए अपनी सरकार बनाना टेड़ी खीर बन सकती है.

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