Bihar -क्या मुस्लिम वोटर्स बिगाड़ेंगे लालू का खेल

 

हाल ही में ऑल इंडिया मजलिस इत्तहादुल मुस्लिमीन के बिहार के  अध्यक्ष अख्तरु ईमान ने एक चिट्ठी लिखकर महागठबंधन में शामिलहोने की बात कही थी तो इसके मतलब जो माइनॉरिटी वोट्स है वो उसमें बिखराव ना हो क्योंकि पिछले चुनाव की अगर बात करें तो एआईएमआईएम जो है वो 20 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। लगभग डेढ़ पौने दो% के आसपास उनको वोट मिला था। लेकिन सीमांचल में उन्होंने बहुत अच्छा परफॉर्मेंस किया था। 20 सीट लड़ के वो पांच सीट जीती थी। कुल मिलाकर के इससे मतलब निकालना चाहिए कि जो सीमांचल वाला मुस्लिम मेजॉरिटी डिस्ट्रिक्ट है जहां पर मुस्लिम वोटर्स का कंसंट्रेशन है वहां पर ओवैसी की पार्टी की चलेगी और इस बार भी वो मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगे। पर महागठबंधन में कांग्रेस इसके सबसे ज्यादा विरोध में थी इसलिए यह पैक्ट नहीं हो पाया।

 

Bihar में नया नारा 17 फीसदी हैं फिर मुस्लिम नेता क्यों नहीं

इसके अलावा एक और जो बिहार में चल गया है जो महागठबंधन का खेल बिगाड़ने में जो बड़ी भूमिका निभा रहा है वो ये कि 13% वाला राज करेगा या 16 या 17% वाला , मतलब बिहार में मुस्लिम यादव गठबंधन जो है वो 13- 14% यादव और 16 17% मुसलमान के साथ हैं तो नारा यही है कि 17 फीसदी वोट होने के बाद भी हमारा नेता क्यों नहीं। मुसलमान नेता चाहिए और यह मुसलमान नेता का नारा कौन दे रहा है? मुसलमान नेता का नारा असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस इत्तहादुल मुस्लिमीन दे रही है। वो कि हमारे लोग हमारा नेता हम पिछलागु क्यों बने? दूसरी तरफ अह यादव जो वोटर हैं वो जो सर्वेश निकल कर के आ रहे हैं उस सर्वे के हिसाब से जिस तरह से हिंदू धर्म के बारे में आरजेडी के नेता बोलते रहे हैं। एक बड़ा वर्ग यादवों में वो नाराज है लालू यादव परिवार के साथ। भ्रष्टाचार एक अलग मसला है। उस पर शायद उतने लोग नाराज ना हो। लेकिन ये हिंदू धर्म वाला बड़ा मसला है और लगभग 40% यादव वोटर्स जो हैं वो उनसे अलग हैं। 60% यादव वोटर्स का ही समर्थन बहुत सारे सर्वेज जो निकल कर के आए उसमें उनको मिलता हुआ दिख रहा है। अब उसमें अगर बड़ी सेंधमारी एमआईएम कर देता है तो महागठबंधन को नुकसान होगा ।

अब वोट का डिवीजन होगा और वोट का डिवीजन कुछ जगहों पर वर्टिकल होगा और वो सीधे तौर पर महागठबंधन को नुकसान पहुंचाएगा। इसलिए कि एनडीए को मुसलमान बहुत कम वोट करता है और वहीं पर वोट करता है जहां जनता दल यू अपने मुस्लिम कैंडिडेट्स को उतारती है। उसके अलावा उनको मुस्लिम वोट कहीं नहीं मिलता है। जिस तरह से एआईएमआईएम का दावा है, उनकी रणनीति है कि वो इस बार ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लड़ेगी। हालांकि वो कह रहे हैं कि वो 243 सारी 243 सीटों पर लड़ेंगे। लेकिन शायद पूरी 243 सीटों पर नहीं लड़ेंगे। लेकिन पिछली बार की तुलना में पिछले चुनाव की तुलना में इस बार वो ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं। मतलब ये कि लगभग 100 सीटों पर कम से कम वो इस बार चुनाव लड़ेंगे और इन 100 सीटों पर वो सीधे तौर पर केवल और केवल महागठबंधन को नुकसान पहुंचाएंगे।

BIHAR—बंद में औवेसी कहीं नहीं-क्या मतलब

अब यह जो पूरी जो बिहार बंद का कैंपेन चला वो बिहार बंद कैंपेन सिर्फ इसलिए चला कि वो अपने माइनॉरिटी वोट को बचा लें इसलिए कि यह मैसेज देने की कोशिश की गई जैसे सीआई सीएए के बारे में मैसेज देने की कोशिश की गई कि मुसलमानों को नागरिकता छीन जाएगी। वैसे ही अब यह मैसेज देने की कोशिश की जा रही है कि यह जो वोटर वेरिफिकेशन हो रहा है इससे मुसलमान मतदाताओं का वोटर कार्ड छीन जाएगा। वोटर वोटिंग राइट चला जाएगा। उनके वोटर नाम से हटा दिए जाएंगे। एक ये एक नैरेटिव आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है और इसीलिए बिहार बंद का आयोजन किया गया और उस बिहार बंद के आयोजन में एमआईएम कहीं नहीं नजर आई। तो कुल मिलाकर ये जो पूरा का पूरा मसला है उसमें महागठबंधन इस बात को लेकर के चिंतित है कि अगर इस तरह के जो मतलब एमआईएम जैसे राजनीतिक दल अगर चुनाव में आ गए जिन जिनकी पैठमुस्लिम युवाओं के बीच बहुत मजबूत है तो वो महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकते हैं और पहुंचाएंगे ।

महागठबंधन में नहीं कोई Muslim कद्दावर नेता

   

 

गठबंधन में तीन बड़े दल हैं। मतलब तीन दल है वीआईपी, आरजेडी और कांग्रेस केअलावा जो वीआईपी है ये अपने दम पर ना कांग्रेस के पास अपना कोई मुस्लिम नेता है, ना आरजेडी के पास कोई ऐसा मुस्लिम नेता है, ना वीआईपी के पास कोई इस तरह का मुस्लिम नेता है जो अपने दम पर मुसलमानों को एकजुट कर सके। मुसलमानों को वो एकजुट सिर्फ इसलिए इस तरह से कर पाते हैं बीजेपी के खिलाफ डरा करके कि बीजेपी आएगी तो ऐसा हो जाएगा। बीजेपी आएगी तो ऐसा हो जाएगा। लेकिन लीडरशिप या जो फायदा होता है वह नहीं हो पाता है। फायदा अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो यादव का होता है। और अभी जिस तरह से मुहर्रम के उस पर एक यादव युवा की हत्या हुई है। उसके बाद से यादवों में भी बहुत नाराजगी है और जिस तरह से इस पूरे मामले में लालू प्रसाद यादव तेजस्वी अह इन सब लोगों ने चुप्पी बना करके रखी है। उसका मैसेज बहुत खराब गया है कि आप जो है अपनी कम्युनिटी के जिसका नेता बनने का दावा करते हैं उसके लोगों को भी अपीज़मेंट वाली पॉलिटिक्स में मरवा दीजिएगा। लेकिन मतलब मर जाने पर आप चुप्पी साध के रखिएगा। पॉलिटिकल साइलेंस बना के रखिएगा। ये एक बड़ा जो मैसेज है वो जा रहा है। तो कुल मिलाकर के ये जो स्थिति है वैसी है और अगर ओवैसी जिस तरह से सक्रिय हुए हैं और लग रहा है कि वो लगभग 100 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे वो महागठबंधन का खेल बिहार में बिगाड़ने का काम करेगी।

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