Bihar —क्यों झुकना पड़ेगा तेजस्वी और Rahul Gandhi को

बिहार चुनाव प्रचार जोरों पर है और इन सब के बीच खबरें छन छन कर आ रही हैं कि बिहार की तीन छोटी पर्टियों को महागठबंधन में साथ लाने और उन्हें लड़ाने के लिए ना केवल RJD बल्कि कांग्रेस को भी झुकना पड़ सकता है। जी हां पता चला है कि इस बार बिहार में सभी वर्गों के वोटर्स को लुभाने के लिए तेजस्वी का दिमाग दौड़ रहा है, झारखंड में सक्रिय झामुमो बिहार में भी कुछ सीटों पर लड़ना चाहती है और वहां उनकी पैठ भी है और इसी कारण वो विपक्षी गठबंधन में आना चाहते हैं और इस बारे में बातचीत भी शुरू हो गई है महागठबंधन में पहले से मौजूद भाकपा-माले, जिसने 2020 में 19 में से 12 सीटें जीती थी इस बार लगभग 30 सीटे मांग रही है और पिछले चुनाव में उसकी परफोर्मेंस को देखते हुए इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। फिर सीपीआई और सीपीएम भी कुछ सीटों पर चुनाव लड़ेगी ही और सबसे पशुपति पारस भी महागठबंधन के लिए खास बने हुए हैं क्योंकि वो दलित वोटर्स खींच सकते हैं और इन दलों को सीटे देने के लिए कांग्रेस को पिछली बार की तरह 70 सीटे नहीं मिल सकती हैं जिसमें उसने सिर्फ 17 सीटे जीती थी, माना जा रहा है कांग्रेस पर 40-50 सीटों पर लड़ने का दवाब बनाया जाएगा, RJD को भी सीटों को लेकर एडजस्टमेंट करना पड़ सकता है। पिछली बार RJD 140 सीटों पर चुनाव लड़ी थी पर इस बार यदि छोटे दलों को साथ रखना है तो कांग्रेस के साथ RJD को भी compromise करना पड़ेगा लेकिन यह तो समय बताएगा कि यह compromise की राजनीती कितनी सफल हो पाती है।

Bihar — चिराग दोहरा रहे 2020 का प्लान BJP परेशान

चिराग पासवान को लेकर बीजेपी तो क्या तेजस्वी भी कुछ परेशान ही चल रहे हैं आखिर उनके मन में क्या है जो एनडीए यानी बीजेपी की सहयोगी होते हुए भी बिहार की तमाम सीटों पर दावेदारी ठोक रहे हैं और यही नहीं नीतीश सरकार की आलोचना भी कर रहे हैं। उनका यह रूख २०२० से पहले की बिहार की रस्थिति को दोहरा रहा है जब चिराग ने खुलकर नीतीश कुमार की निंदा करनी शुरू कर दी थी और साथ साथ खुद को नरेन्द्र मोदी का ‘हनुमान’ बताते हुए JDU के हिस्से की सभी सीटों के साथ 144 सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतार दिए थे।इसी कारण उन्हें एनडीए से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था, पर इस बार चिराग सावधानी से काम ले रहे हैं और चुनाव से पहले अपने पते धीरे-धीरे खोल रहे हैं, मौका मिलते ही वो नीतिश को गले लगा लेते हैं और आजकल चिराग वो मौका भी नहीं खो रहे जहां नीतीश की बुराई करके उन्हें अपने वोटर्स की वाहवाही मिल रही है और नीतीश सरकार से नाराज लोग उनके पाले में आएं। जानकार मान रहे हैं कि चिराग बड़ा दांव खेल रहे हैं और चिराग NDA में रहकर ही अपना कद बढ़ा रहे हैं ताकि उन्हें लड़ने के लिए ज्यादा सीटे मिलें और आने वाले समय में उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए देखा जा सके।

Maharashtra — क्या सत्ता हथियाने के लिए ठाकरे भाईयों का DIRTY खेला

महाराष्ट्र में आजकल अजब नजारे देखने को मिल रहे हैं, राजधानी मुंबई में मराठी ना बोलने वाले लोगों के साथ दुकानदारों के साथ के साथ एमएनएस के कार्यकर्ता मारपीट कर रहे हैं इसके कई वीडियो सामने आए चुके हैं। इसपर बिहार में बैठे ना तो तेजस्वी कुछ बोल रहे हैं और ना ही हर बात पर टूवीट करने वाले राहुल गांघी की जुबान हिल रही है , राजनीती के नाम पर , वोटों के नाम पर ये नेता मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रहे हैं और अपने सहयोगी दल यानी उद्वव ठाकरे की पार्टी को इसके लिए कुछ बोल भी नहीं रहे हैं और अब जब से राज ठाकरे और उद्वव दोबारा साथ आ गए हैं , हालात और बिगड़ रहे हैं और इससे जानकार मान रहे हैं कि महाराष्ट्र में दोबारा अपनी पैठ जमाने के लिए दोनों भाई जानबूझकर मराठी कार्ड खेल रहे हैं और भाषा, जाती के नाम पर लोगों को बांट रहे हैं, तेजस्वी, लालू, राहुल कुछ नहीं बोल रहे पर भाजपा के तेजतर्रार सांसद निशिकांत दुबे ने राज ठाकरे पर हमला बोलते हुए कह दिया कि राज ठाकरे में इतनी ही हिम्मत है, तो वह बिहार आकर दिखाएं। पटक-पटकर मारा जाएगा। बस इसी पर एक और राजनीती शुरू हो गई उद्वव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा भाजपा की मानसिकता महाराष्ट्र विरोधी है। ये हैं जो महाराष्ट्र में विभाजन पैदा करना चाहते हैं, और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. वहीं भाजपा नेता और भोजपुरी सिंगर और एक्टर दिनेश लाल यादव ऊर्फ निरहुआ ने भी ठाकरे भाईयों को चुनौती दी है कि अगर हिम्मत हैं तो दोनों भाई उन्हें महाराष्ट्र से बाहर निकालकर दिखाएं। जनता देख ही रही है कि भाषा, जाती के नाम पर महाराष्ट्र को कौन विभाजित कर रहा है, पर जनता जागरूक है और जो विभाजन की राजनीति पर सत्ता हासिल करना चाहते हैं उन्हें जनता ही समय आने पर जवाब देगी।

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