Bihar -तेजस्वी क्यों चल रहे इतने परेशान

बिहार में जैसे जैसे चुनाव का समय आ रहा है तेजस्वी यादव की मुशिकलें बढ़ती दिख रही हैं , विपक्ष यानी नीतीश , बीजेपी और चिराग पासवान से तो RJD को चुनौतियां पहले से ही हैं पर RJD  के अपने विधायक, कर्याकर्ता और साथी दल चुनाव से पहले अपनी बात मनवाने के लिए लगातार तेजस्वी पर दबाव बना रहे हैं और बेचारे तेजस्वी उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें किसे नाराज करें किसे खुश करें कि बस चुनाव में उनकी नैया पार लग जाए सबसे पहले बात करते हैं बिहार की मसौढ़ी सीट की, साफ लग रहा है कि इस सीट पर जिस तरह से विद्रोह उभर कर सामने आ गया इससे यहां कहीं RJD  दो गुटों में ना बंट जाए, जी हां यहां की विधायक रेखा देवी पर RJD  कार्यकर्ताओं ने खुलेआम भ्रष्टाचार और काम ना करने का आरोप लगाया है, यहां के सैकड़ों RJD कार्यकर्ताओं ने साफ कह दिया कि अगर आगमी चुनावों में रेखा देवी को चुनावों दिया जाएगा तो वे सभी एकजुट होकर  मतदान का विरोध करेंगे।बस इस बात से तेजस्वी जबरदस्त टेंशन  में हैं ,तेजस्वी की मुशिकलें यहां खत्म नहीं हुई हैं , पता चला है कि RJD  के सहयोगी दलों रालोजपा यानी पशुपति पारस की पार्टी और झारखंड़ मुक्ति मोर्चा  ने भी बिहार में सीटों की  मुंह फाड कर मांग कर दी है।आपको बता दें कि झारखंड़ मुक्ति मोर्चा ने   झारखंड चुनाव में RJD  से दो सीटें ली थी पर बिहार में वह अपनी पूरी हिस्सेदारी मांग रहा है। अब तेजस्वी पुराने चुनाव की गलती नहीं करना चाहेंगे पिछली बार झारखंड़ मुक्ति मोर्चा ने अलग से बिहार की 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए थे हालांकि उसे कोई सफलता  नहीं मिली पर दो सीटों   चकाई और कटोरिया में उसने RJD की होती होती जीत हार में बदल दी, यही कारण है तेजस्वी इस बार इस दल को नाराज नहीं करना चाहते, दूसरी तरफ चिराग पासवान के चाचा की पार्टी जो अब तेजस्वी यानी महागठबंधन के साथ खड़ी है , उनके नेता  पशुपति पारस ने भी बिहार की तीन सीटों पर अपनी दावेदारी ठोक दी है, उनकी पसंद बिहार की अलौली सीट के साथ कांग्रेस की सिटिंग सीट राजापाकर भी है।यही नहीं पशुपित पारस  तरारी की सीट भी चाहते हैं जोभाकपा-माले की परंपरागत सीट है।

Bihar —क्यों उड गई हैं BJP चाणक्य की नींदें

चुनाव अच्छे अच्छे नेताओं  की नींद हाराम कर देते हैं और बिहार में यही चल रहा है, जिस तरह से एक तऱफ NDA और दूसरी तरफ महागठबंधन के सहयोगी दल सीटों की मांग को  आवाजें लगा रहे हैं, लगता है आने वाले दिन ना बीजेपी के लिए सुखदायक होंगे और ना ही बिहार की विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी RJD के लिए। एक तरफ महागठबंधन को आठ दलों की सीटों की मांग को पूरा करना पड़ेगा और दूसरी तरफ  एनडीए में भी चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी  जिस तरह से सीटों के लिए मुंह फाड़ रही है, इससे बीजेपी चाणक्य की नींद तो जरूर गायब हो गई होगी। अब  महागठबंधन को बिहार राज्य की कुल 243 विधानसभा सीटों को  8 दलों में बंटाना  होगा और जाहिर है ऐसी स्थिति में कुछ तो नाराज होंगे , कुछ महागठबंधन भी छोड़ सकते हैं। पहले से ही कांग्रेस और भाकपा-माले जरूरत से ज्यादा सीटों की मांग कर रही और इसके साथ तमाम छोटे छोटे दल भी RJD को ब्लैकमेल करने में लग गए हैं। ऐसे में तेजस्वी के लिए  राहुल को खुश करना सबसे  बड़ी चुनौती है क्योंकि हाल फिलहाल में बिहार में कांग्रेस की जो पोजीशन बन गई है ऐसे में तेजस्वी कोई ऐसी गलती नहीं करेंगे कि congress उनसे रूठ जाए। वहीं दूसरी तरफ एनडीए गठबंधन की भी पोजीशन ठीक नहीं है एक तरफ चिराग लगातार पलटी मार रहे हैं, कभी बगावती बयान देते हैं तो कभी नीतीश के समर्थन में खड़े हो जाते हैं। फिर साथ मांझी और चिराग का बैर एनडीए पर भारी पड़ सकता है। जहां चिराग की पार्टी इस बार  40 से अधिक सीटों पर दावेदारी को लेकर अड़ी हुई लग रही है , वहीं मांझी भी  20 से कम सीटों की बात ही नहीं कर रहे हैं, इन सब के बीच  बड़ी चर्चा चल रही है कि एनडीए और महागठबंधन दोनों की ही नजरें प्रशांत किशोर पर लगी हैं । जनसुराज पार्टी के मुखिया  प्रशांत किशोर किस ओर अपना रूख करते हैं यह important हैं क्योंकि उनका भी वोट बैंक बिहार में तेजी से बढ़ रहा है और वो जहां भी जाते हैं उस पार्टी को फायदा ही होगा।

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