Bihar -दो बड़े कारण लालू नहीं चाहते ओवैसी का साथ
बिहार में लालू प्रसाद यादव ने ओवैसी के लिए महागठबंधन के दरवाजे बंद कर दिए हैं , पिछले काफी समय से ओवैसी आस लगाकर बैठे थे कि उन्हें लालू की बदौलत महागठबंधन में जगह मिल जाएगी पर लालू ने औवैसी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया, इसके पीछे दो बड़ी वजह बताई जा रही हैं पहला लालू यादव किसी भी कीमत पर अपने मुस्लिम वोटर्स किसी के साथ नहीं बांटना चाहते क्योंकि मुस्लिम बहुल इलाकों में ओवैसी जितने ज्यादा मजबूत होंगे, लालू उतने ही कमजोर होते चले जाएंगे ये बात लालू पिछले चुनावों में भुगत चुके हैं और फिर महागठबंधन के दलों में चुनाव लड़ने के लिए सीटों को लेकर पहले से ही तमाम तरह की कलह चल रही है,एक तरफ कांग्रेस को 70 से कम सीटें नहीं चाहिए तो दूसरी तरफ कम्यूनिस्ट पार्टी भी पिछली बार की 16 सीटों से ज्यादा सीटे देने के लिए दबाव बना रखा है, फिर मुकेश साहनी अपना राग अलाप रहे हैं। फिर इन परिस्तथितयों में लालू चाह कर भी ओवैसी को महागठबंधन में शामिल करके सीटों के बंटवारे में एक और पार्टी का बखेड़ा नहीं सहेंगे।फिर दूसरी बड़ी बात जिसके कारण कांग्रेस सबसे ज्यादा औवेसी का विरोध कर रही है कि अगर औवेसी को महागठबंधन में शामिल कर लिया जाता है तो बीजेपी की b टीम होने का टैग उसपर से हट जाएगा और ये कांग्रेस के लिए ठीक नहीं होगा क्योंकि अभी तक बीजेपी की बी टीम बताकर कांग्रेस मुस्लिम वोटर्स को अपने पाले में लेकर आ रही है और कांग्रेस को मुस्लिम वोट भी बहुत मिलते हैं जो ओवैसी के महागठबंधन में आने से कांग्रेस को मिलने बंद हो सकते हैं।
Maharashtra —राज ठाकरे क्यों बोले जो काम बाबा साहेब ने नहीं किया फणडवीस ने कर दिया
महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत ज्यादा हलचल मची हुई है और हो भी क्यों ना सालों बाद उद्वव ठाकरे और राज ठाकरे का मिलन हुआ है , इससे ठाकरे परिवार में तो क्या दोनों दलों के कार्यकर्ताओं , नेताओं में भी जोश है। क्योंकि इस समय दोनों ही दलों की हालत खस्ता चल रही है और दोनों को ही एक दूसरे की जरूरत भी है वैसे सच्चाई यह भी है कि जब तक उद्वब बीजेपी के साथ रहे, मुख्यमंत्री भी बने तब तक उन्होंने राज ठाकरे को घास नहीं डाली पर पिछले कुछ समय से उनकी पार्टी का भी डाउनफाल शुरू हो गया है, ज्यादातर नेता। एकनाथ शिंदे की पार्टी में चले गए और ऐसे में उद्वव को अपने भाई की याद आ ही गई। दूसरी तरफ राज ठाकरे ने भी इस मौके को तुरंत लपक किया क्योंकि महाराष्ट्र में उनकी पार्टी का आस्तिव तो खत्म होने के कगार पर ही है। देखना यही है कि इन दो भाइयों का मिलन क्या आने वाले समय में NDA के लिए सिरदर्द बन सकता है , क्योंकि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का लंबे समय बाद एक पर मंच आना और गले मिलना महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।सबसे अहम बात यह रही कि इस मिलन से राज ठाकरे कुछ ज्यादा ही प्रसन्न दिखे और एक तंज भरे अंदाज में मंच पर बोल ही बैठे कि जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने कर दिया, हम दोनों को साथ लाने का काम।राजठाकरे ने कहा यह भी कहा कि 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं, जाहिर एक तरह से महाराष्ट्र सरकार को चुनौती दी गई कि अब ठाकरे परिवार को मुकाबला करना होगा।