Bihar में चुनाव से पहले कैसे हो रही है BJP की बल्ले-बल्ले

क्या बिहार में जल्द होने वाले चुनाव में jdu की जगह bjp ए टीम बन कर उभरेगी, क्या bjp का मुख्यमंत्री बनेगा, ये चर्चाएं जोरों से चल रही हैं और इसके पीछे कईं कारण भी माने जा रहे हैं, सबसे पहले कल तक rjd को एक नई रफ्तार देने वाले और पार्टी की कमान तेजस्वी से दोबारा अपने हाथ लेने वाले लालू यादव बीमार होकर अस्पताल पहुंच चुके हैं और इससे rjd को बहुत बड़ा झटका लगा है क्योंकि लालू साल 2020 के मुकाबले इस साल होने वाले चुनावों में बहुत ज्यादा सक्रिय हो गए थे , पर उनके बीमार पड़ने से उनकी पार्टी बिखरने की संभावना बढ़ गई है क्योंकि तेजस्वी और तेजप्रताप की लड़ाई जगजाहिर हो चुकी है वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार को भी उनके पार्टी के नेता दिन में तारे दिखा रहे हैं। संसद में तो jdu ने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन कर दिया पर बिहार में उऩका यह निर्णय उनको भारी पड़ गया। जेडीयू नेता कासिम अंसारी ने पार्टी से यह कहकर इस्तीफा दे दिया की नीतीश कुमार ने विश्वास तोड़ा है, वहीं कांग्रेस भी अपने दो दिग्ग्ज नेताओं के बीच चल रही अहम की लड़ाई से परेशान बैठी है, जी हां कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रभारी अखिलेश प्रसाद और वर्तमान अध्यक्ष कृष्णा के बीच छतीस का आंकड़ा चल रहा है । वैसे कुछ समय पहले गठित प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी अभी तक वोटर्स का विश्वास जीत की तरफ करने में नाकामयाब रही है , तो बात यही निकल कर आ रही है कि क्या इससे bjp की बल्ले बल्ले हो गई है।

वक्फ संशोधन बिल पास हुआ तो ईसाइयों को खुशी क्यों

वक्फ संशोधन बिल पास हो गया, और उन मुस्लिंम नेताओं की नींद उड गई जो वक्फ की आड़ में इतने सालों से अपनी रोटियां सेक रहे थे। वैसे बिल के पास होने से ना केवल बहुत से गरीब, पिछड़े मुसलमान भी खुश हैं क्योंकि अब उन्हें वक्फ बोर्ड का फायदा मिलना शुरू होगा, पर साथ ही इस बिल का स्वागत बहुत से ईंसाई धर्म के लोगों ने भी बहुत ही जोरशोर से किया। हैरानी हो रही होगी कि भला इस बिल से ईसाई समुदाय का क्या काम। दरअसल केरल के मुनंबम तटीय क्षेत्र के लगभग 600 परिवारों की भूमि और संपत्ति पर वक्फ बोर्ड लंबे समय से अवैध रूप से स्वामित्व का दावा कर रहा है जबकि यहां रहने वाले तमाम परिवारों के पास अपनी भूमि के तमाम पंजीकृत दस्तावेज और भूमि कर भुगतान रसीदें भी मौजूद हैं। यहां की लगभग 400 एकड़ जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है, लेकिन जैसे ही लोकसभा के साथ राज्यसभा में में वक्फ संशोधन विधेयक पारित हुआ तो ईसाई समुदाय के तमाम लोगों ने अपनी खुशी का इजहार पटाखे फोड़कर क्या और देर तक जश्न मनाया। वैसे बीजेपी नेताओं ने भी बिल पर चर्चा के दौरान मुनंबम गांव के लोगों की पीड़ा का जिक्र किया था और इस बिल को सभी नागरिकों की संपत्ति के अधिकार को कायम रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया

बडबोले संजय राउत का किसने करवा दिया सदन में मुंह बंद

जहां लोकसभा में Waqf संशोधन बिल पर कुछ जोरदार -गंभीर भाषण बाजी हुई, वहीं राज्यसभा में इस बिल पर चर्चा के दौरान हंसी-मजाक और तंज का दौर चला सबसे ज्यादा चर्चा चल रही है कि किस तरह अजीत पवार की पार्टी के नेता प्रफुल्ल पटेल ने बडबोले शिवसेना के नेता संजय राउत का मुंह बंद करवा दिया, दरअसल प्रफुल्ल पटेल भाषण खत्म करने वाले ही थे कि अचानक सदन में संजय राउत आ गए तो प्रफुल्ल ने चुटकी लेते हुए कहा कि लो आ गए हमारे संजय भैया, जो शिवसैनिक कभी बड़े गर्व से बाबरी मस्जिद विध्वंस का छाती ठोंककर श्रेय लेते थे, आज चुप हैं, इसके बाद भी प्रफुल्ल पटेल बोलते रहे और पूछ लिया संजय भैया ठीक हैं ना और फिर उन्होंने अपनी बात के समर्थन में रामदास आठवले से भी हामी भरवा ली। पटेल चुप होने का नाम नहीं ले रहे थे और आगे बोले कि संजय राउत वैसे खूब बोलते हैं लेकिन आज वह बहुत संभल-संभलकर बोले क्योंकि उन्हें लग रहा है कि बोलें तो क्या बोलें। कुल मिलाकर प्रफुल्ल पटेल उद्वव शिवसेना पार्टी की खूब बजाई और बेचारे संजय राउत का मुंह बिल्कुल उतर सा गया।

वक्फ संशोधन बिल के विरोध में वोटिंग क्या उद्धव ठाकरे ने मारी अपने पांव पर कुल्हाड़ी

 

एक तरफ संसद में वक्फ संशोधन बिल पास हो गया और दूसरी तरफ जैसे महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल सा आ गया और बीजेपी खेमे में खुशी का माहौल बन गया। वैसे संसोधन बिल पास होते ही बीजेपी के पास ऐसा कौन सा हथियार आ गया जिससे वहां ने बीजेपी नेताओं में इतनी उत्सुकता-खुशी देखी जा रही है. चलिए हम आपको बताते हैं, अब जैसे सभी को पता है कि महाराष्ट्र में निकाय चुनाव आने वाले हैं और जिस तरह से उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने वक्फ संशोधन बिल के विरोध में वोटिंग की है इससे माना जा रहा है कि उसने अपने पांव पर ही कुल्हाड़ी मार ली है क्योंकि बीजेपी एक हथियार के रूप में शिवसेना के दोहरे चरित्र को लोगों के सामने पेश करेगी। आपको बता दें कि लोकसभा में उद्धव ठाकरे की शिवसेना के 9 सांसदों ने बिल के विरोध में वोट किया है और माना जा रहा है कि राज्यसभा में इनके दो सांसद सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और संजय राउत भी बिल के विरोध में ही रहेंगे।हाल ही में विधानसभा चुनाव में जबरदस्त हार के बाद वह उद्वव ठाकरे ने कईं मंच पर इशारे किए थे कि वो हिंदुत्व की राह पर लौटेंगे, मगर वक्फ बिल का विरोध करके उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर हिंदू वोटर्स से अपनी दूरी और ज्यादा बड़ा ली है।माना यही जा रहा है कि उद्वव अभी तक स्टैंड नहीं ले पा रहे कि वो क्या करें , क्योंकि वो खुलकर मुसलमान के हित के बारे में भी नहीं बोलते और हिंदूओं के विरोध में भी काम करते हैं, । और शायद यही कारण है कि महाराष्ट्र में उद्वव का करिसमा लगातार कम होता जा रहा है। आपको बता दें कि इससे पहले उद्धव ठाकरे पार्टी ने 370 और नागरिकता संशोधन अधिनियम को अपना समर्थन दिया था, पर इस बार पीछे हट गए।इस मौके का फायदा उठाने में महाराष्ट्र के cm देवेद्र फडणवीस ने जरा भी देर नहीं कि क्योंकि जल्द ही उनके राज्य में निकाय चुनाव होने वाले हैं। देवेद्र फडणवीस ने लिखा संसद में वक्फ संशोधन बिल! देखते हैं कि क्या उद्धव हिंदू हृदय सम्राट और आदरणीय शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की सेना के विचारों को कायम रखेंगे या फिर राहुल गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए उनकी खुशामद करते रहेंगे। अब देखना यही है कि उद्वव का यह निर्णय उनकी पार्टी पर महाराषट्र में कितना भारी पड़ता है । क्योंकि आगामी बीएमसी चुनाव में बीजेपी इसे जरूर मुद्दा बनाएगी और अगर पासा ठीक पड़ गया तो निकाय चुनाव में उद्धव सेना को पत्ता साफ हो सकता है।

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