Bihar —Congress -RJD के नेता क्यों विद्रोह पर उतरे
बिहार में चुनाव जैसे जैसे करीब आ रहे हैं इंडि गठबंधन में सीट बंटवारे के लेकर घमासान मचना शुरू हो गया है, पता चला है कि कांग्रेस और rjd के बहुत से नेता इस बात से नाराज हैं कि नये दलों के शामिल होने से उनकी पार्टी में सीट कटौती हो सकती है, दरअसल ये बात भी जोर पकड़ रही है नए और छोटे दल सीट जीतने की इतनी क्षमता नहीं रखते फिर भी उनके लिए ongress और rjd का सीट समीकरण बिगाड़ा जा रहा है।खासतौर पर विकासशील इंसान पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी को गठबंधन में शामिल करने को लेकर काफी रोष हैं , मुकेश साहनी ने अपने जीवन में एक भी चुनाव नहीं जीता है, फिर भी उन्हें बिहार की राजनीति में उनको दी जाने वाली अहमियत से कांग्रेस के कईं नेता नाराज है। कहा यही जा रहा है कि आने वाले समय में यही बातें इन दोनों दलों में बड़ी कलह का कारण बन सकती है। पता चला है कि नए दलों के कारण 2020 चुनाव के मुकाबले में congress 12 और rjd 14 सीटें कम लेने पर फिलहाल राजी तो हो गई है लेकिन इससे उठ खड़ी हुई अंदरूनी कलह के चलते फाइनल में क्या होगा किसी को पता नहीं है। दोनों पार्टियों ने ये सीटे , विकासशील इंसान पार्टी लोकतांत्रिक जनशक्ति पार्टी (पारस गुट) और झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए छोड़ी हैं जो गठबंधन के नये सहयोगी हैं। वहीं दूसरी तरफ cm चेहरे को लेकर भी गठबंधन में जबरदस्त खींचातानी चल रही है।तेजस्वी cm बनने को तैयार बैठे हैं और राहुल गांधी उसपर मौन धारण किए हुए हैं , दूसरी तरफ मुकेश साहनी भी डिप्टी cm पद के लिए अड़े हुए हैं.
Bihar के दिग्गज दूसरों को जीताया खुद कभी चुनाव नहीं जीते

बिहार के चुनाव आने वाले हैं और हर कोई बिहार के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने को उत्सुक है तो आज हम बात करते हैं उन नेताओं जिन्होंने दूसरों को चुनाव जितवा कर top पर पहुंचा दिया पर खुद कभी विधानसभा या संसद नहीं पहुंच पाए और हमेशा इन्हें थिंक टैंक के रूप में ही जाना गया। जैसे सबसे पहल नाम कांग्रेस नेता सीताराम केसरी का नाम आता है जिन्होंने कई लोगों को ऊंचाइयों पर पहुंचाया पर वे खुद सिर्फ एक बार चुनाव जीते। उन्हें हमेशा राज्यसभा और विधान परिषद में भेजा गया , फिर कैलाशपति मिश्र ने विक्रमगंज विधानसभा से सिर्फ एक बार चुनाव जीता पर पार्टी के लिए हमेशा बहुत काम किया इसी तरह केबी सहाय, दारोगा प्रसाद राय, राधानंदन झा, नागेन्द्र झा, ताराकांत झा, वीजी गोपाल जैसे दिग्गज नेता भी जीत नहीं पाए सांसद नहीं बन पाए, कभी लालू प्रसाद के लंगोटिया यार रहे डा. रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद के साथ बैठ कर विधायक से लेकर सांसद और मंत्री भी बनाए पर चुनाव से अपने को अलग रखा। दो बार उन्हें राज्यसभा भेजा गया , बाद में वो पाला बदलकर jdu में आ गए इसी तरह जनरल से सांसद बनने की तमाम कोशिश करने वाले एस के सिन्हा भी फेल रहे। कहा यही जाता है कि संगठन-पार्टी चलाना, टिकट बांटना, मंत्री बनना एक बात है लेकिन खुद चुनाव जीतना बिल्कुल अलग है और यही कारण है सभी दिग्गज नेताओं ने अपनी अपनी पार्टी के लिए लोगों को आगे बढ़ाने के लिए बहुत काम किया पर अपनी जीत हासिल नहीं कर पाए।
