BJP के तेज तर्रार युवा सांसद क्यों कहते हैं सब नफरती चिंटू
पिछले साल हुए लोक सभा चुनावों में कर्नाटक से जीत कर आए तेज तर्रार युवा सांसद तेजस्वी सूर्य को जहां एक ओर उनको हिन्दू कट्टरवाद का पोस्टर बॉय करार देती है वहीं विपक्षी दलों ने उनको नफरती चिंटू की उपाधि से नवाजा है। मात्र अठाईस साल की युवा अवस्था में लोक सभा पहुंचे तेजस्वी काफी समय पहले से ही सुर्खियों में छाए रहते हैं चाहे वह उनकी उलूल जलूल हरकतें हों या फिर एक समुदाय विशेष के प्रति नफरती बयानबाजी। तेजस्वी बैंगलोर दक्षिण संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीते हैं जहां से बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री एचएन अनंत कुमार छह बार यहाँ से सांसद रहे थे जिनका पिछले वर्ष देहांत हो गया । लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी का टिकिट काट दिया जबकि प्रदेश भाजपा ने उनके नाम की सिफारिश की थी। इस हरकत से स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं को बड़ा झटका लगा था। भाजपा आलाकमान ने तेजस्वी को इसलिए चुना गया क्योंकि वो युवा हैं, बहुत सक्रिय रहते हैं और बढ़िया वक्ता हैं। उन्हें चुने जाने के पीछे वो फैसला भी एक कारण है जिसके तहत सभी राज्यों में अधिक से अधिक युवा लोगों को टिकट देने का निर्णय हुआ था। तेजस्वी का राजनीतिक सफर कम उम्र में शुरू हो गया। उन्होंने सबसे पहले बीजेपी की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को जॉइन किया. तेजस्वी ने छात्र राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया और जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत की। युवाओं से जुड़ने की उनकी क्षमता और राष्ट्रवादी आदर्शों के प्रति उनके जुनून ने जल्द ही पार्टी नेतृत्व का ध्यान आकर्षित किया। 2019 के लोकसभा चुनावों में तेजस्वी ने प्रतिष्ठित बेंगलुरु दक्षिण सीट से चुनाव लड़ा।
चुनावी राजनीति में अपेक्षाकृत नए होने के बावजूद उन्होंने अपने विरोधियों को एक बड़े अंतर से हराकर शानदार जीत हासिल की थी. बेंगलुरु दक्षिण लोकसभा सीट से तेजस्वी सूर्या ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है। इस सीट पर 2019 तक कुल 17 बार चुनाव हुए थे। इनमें 6 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की. जबकि 3 बार जनता पार्टी के उम्मीदवार जीते। साल 1991 से लगातार 8 बार बीजेपी इस सीट से जीत रही है।
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RSS के favourite हैं क्या तेजस्वी
वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में रहे हैं और इस समय बीजेपी के युवा मोर्चे के महासचिव हैं। उनके चाचा रवि सुब्रमान्या बासावानागुड़ी से बीजेपी एमएलए हैं। तेजस्विनी के टिकट के लिए सबकुछ तय हो गया था। यहां तक कि बीएस येदियुरप्पा ने अनंत कुमार के साथ अपनी दोस्ती के कारण उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया था। आरएसएस ने तेजस्वी का नाम सुझाया था जिसे बीजेपी ने स्वीकार कर लिया था और यह फैसला इसलिए भी लिया गया क्योंकि बेंगलुरू में युवा मतदाताओं की संख्या अधिक है।
तेजस्वी चुनाव के दौरान तब विवादों में उस समय आए जब उन्होंने कहा कि सभी भारत विरोधी ताक़तें मोदी को रोकने के लिए एकजुट हो गई हैं। जबकि मोदी का एजेंडा है एक नया भारत बनाने का, उनका एजेंडा है उन्हें रोकने का। उनके पास कोई सकारात्मक एजेंडा नहीं है. अगर आप मोदी के साथ हैं, आप भारत के साथ हैं। अगर आप मोदी के साथ नहीं हैं, तो आप भारत विरोधी ताक़तों को मज़बूत कर रहे हैं।
क्यों काटा गया Star प्रचारक की लिस्ट से नाम
भाजपा के इस युवा सांसद एक उड़ते विमान का इमरजेंसी गेट खोलने की छिछोरी हरकत और ममता को बंगाल में पानी पिलाने वाले बयान का खामियाजा तब भुगतना पड़ा जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने स्टार प्रचारकों की सूची में से तेजस्वी सूर्या का नाम काट दिया। इसको लेकर कांग्रेस पार्टी ने तंज कसा।
तेजस्वी द्वारा राहुल गांधी को लेकर एक बयान को लेकर भी बड़ा बवाल मचा कि राहुल विदेश में बैठे अपने आकाओं को जाकर अपने काम की रिपोर्ट देते हैं’ कम आयु में लोकसभा सदस्य चुने जाने वाले तेजस्वी सूर्या को लेकर कांग्रेस ने चुटकी लेते हुए सूर्या को ‘नफरती चिंटू’ करार दिया है। कांग्रेस की ओर से कहा गया कि जब अपने ही घर में यह हाल है तो समझ लेना चाहिए कि पार्टी में उनकी क्या अहमियत बची है
9 साल की उम्र में अपनी पेंटिंग बेचीं थी और रकम दान की कारगिल फंड में
तेजस्वी सूर्या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के जाने-माने और युवा चेहरों में से एक हैं और लोकसभा में बेंगलुरु दक्षिण सीट से सांसद हैं. 16 जनवरी 1991 को जन्मे तेजस्वी अपनी स्पष्ट वक्तव्य कौशल और कट्टर राष्ट्रवाद के कारण भारतीय राजनीति में तेजी से प्रमुखता से उभरे हैं. बीजेपी ने एक बार फिर से उन्हें बेंगलुरु दक्षिण लोकसभा सीट से उतारा है. इस सीट पर पार्टी का कब्जा साल 1991 से है. ये बीजेपी का गढ़ और सुरक्षित सीट मानी जाती है. यहां कांग्रेस सिर्फ एक बार 1989 में जीती है। तेजस्वी सूर्या का जन्म 16 नवंबर 1990 को हुआ है और वह बेंगलुरु के ही रहने वाले हैं. उनके पिता एलए सूर्यनारायण एक्साइज के जॉइंट कमिश्नर रहे हैं। तेजस्वी सूर्या ने 9 साल की उम्र में पढ़ाई के दौरान अपनी पेंटिंग बेचीं थी और उस रकम को सेना के कारगिल फंड में दान कर दिया था सूर्या बेलगाम के सेंट पॉल हाई स्कूल पढ़ रहे थे।