NEW DELHI, INDIA - MARCH 22: Prime Minister Narendra Modi seen with BJP National President Amit Shah as they arrive for the BJP Central Election Committee (CEC) meeting for the upcoming Lok Sabha elections, at BJP headquarters on March 22, 2019 in New Delhi, India. The BJP central election committee met here to finalise the party's candidates in several states for the Lok Sabha elections with its top leaders, including Prime Minister Narendra Modi and party president Amit Shah, taking part in the exercise. The states, where the party's nominees for the polls were discussed, included Haryana, Himachal Pradesh, Punjab, Madhya Pradesh, Delhi, Gujarat and Goa. (Photo by Vipin Kumar/Hindustan Times via Getty Images)

बहुत सालों बाद  दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला

दिल्ली के चुनाव में हर राजनीतिक दल की अपनी अपनी स्ट्रेटजी है । दिल्ली के चुनाव सबने अपने अपने कैंडिडेट्स घोषित कर दिए हैं । काम अपने चुनावी उस हिसाब से हो रहा है कुछ नेता free bies  फ की बात कर रहे हैं , कुछ  योजनाओं की घोषणा की बात कर रहे हैं । आम आदमी पार्टी सरकार में है उसके अपने कार्यक्रम हैं । भारतीय जनता पार्टी के अपने कार्यक्रम है कांग्रेस के अपने कार्यक्रम है ,लेकिन बहुत दिनों बाद इस बार दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है।

दिल्ली में बीजेपी कईं रणनीती पर काम कर रही

इसलिए जानना जरूरी है कि बीजेपी किस स्ट्रेटजी पर काम कर रही है । अगर बात करें तो बीजेपी की जो दो तीन स्ट्रेटजी का हिस्सा है उसमें एक तो वह अपने हिंदुत्व वोटर्स की बात कर रहे हैं , दूसरा वो निश्चित तौर पर बहुत सारी योजनाएं लेकर के आएंगे , लेकिन एक जो सबसे महत्त्वपू र्णस्ट्रेटजी है जो उनकी ना केवल दिल्ली केचुनाव के लिए महत्त्वपूर्ण है बल्कि फ्यूचर के लिए महत्त्वपूर्ण है वह यह कि पहली बार बीजेपी  दिल्ली में दलित वोटरों पर बहुत फोकस कर रहे है,  दिल्ली में दलित वोटर्स को फोकस करने के क्या तरीके हैं।  70  विधानसभा हैं  और इनमें 12सीटें रिजर्व हैं और दिल्ली में लगभग 16 फीसदी  के आसपास दलित या शेड्यूल कास्ट जनसंख्या है, दिल्ली में वह लगभग 17 पर से है और इंटरेस्टिंग बात यह है कि इनमें ज्यादातर जो हैं वो हैं  दिल्ली के ही निवासी हैं माइग्रेट करके  दिल्ली आए हुए लोग बहुत कम हैं, गांव का गांव जो है वह शेड्यूल कास्ट  मतदाताओं का है, तो संघ के माध्यम से जितनी 12 जो दलित विधान सभाएं हैं उनमें बहुत सक्रियता के साथ साथ पार्टी और संघ के लोग लगे हुए हैं । विधानसभा जो है वे हैं-  बवाना है सुल्तानपुर माजरा, मंगोलपुरी , उसके अलावा करोलबाग ,करोलबाग से भारतीय जनता पार्टी ने अपने पूर्व राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम को उतारा है उसके अलावा पटेल नगर है मादीपुर है।  देवली,  अंबेडकरनगर,  त्रिलोकपुरी कोंडली,  सीमापुरी, गोकुलपुरी हैं।  अब यहां से  जिन लोगों को को मौका दिया गया है वह लोग तो काम कर ही रहे हैं साथ  संघ और बीजेपी बहुत मजबूती के साथ इसके साथ मिलकर काम कर रही है।

पूरे देश में दलित हित का  मैसेज

पीछे क्या मंशा है इन योजनाओं के पीछे मंशा यह है कि भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में कोई शेड्यूल कास्ट मुख्यमंत्री  बना सकती है। अगर वह चुनाव जीत करके आती है।  ऐसा इसलिए कि दिल्ली में ना केवल मुख्यमंत्री बनाने से पूरे देश को एक मैसेज जाएगा और यह मैसेज कई तरह से फायदेमंद रूप  में जाएगा । इसलिए कि भारतीय जनता पार्टी के अब तक के जो मुख्यमंत्री हैं वह ओबीसी हैं,  उसमें ब्राह्मण है, उसमें राजपूत है उसमें लेकिन अब तक कोई दलित मुख्यमंत्री नहीं है । यह कहा जा रहा था कि या तो राष्ट्रीय अध्यक्ष कोई दलित बनाया जाए शेड्यूल कास्ट बनाया जाए या दूसरा ऑप्शन ये बचता है कि बीजेपी एक बड़ा दांव खेल सकती है कि अगर वह चुनाव जीतती है तो दिल्ली में मुख्यमंत्री शेड्यूल कास्ट का बना कर पूरे देश में मैसेज जाएगा साथ ही  दलित मतदाताओं को बाकी चुनाव में कंसोलिडेट करने का मौका मिलेगा।

बिहार चुनाव को देखकर भी दलितों को लुभाने की कोशिश

विशेष रूप से जब अक्टूबर और नवंबर में बिहार विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं ,जहां पर भी साइजेबल नंबर लगभग18, 19 पर 20 फीसदी  के आसपास दलित मतदाता हैं, और वहां पर दलित मतदाताओं को अपनी तरफ लुभाने के लिए एक मौका मिलेगा और वहां पर ऑलरेडी दो बड़े दलित संगठन हम जो जीतन राम माझी जिसका नेतृत्व करतेहैं और चिराग पासवान जिनकी लोक जनशक्ति पार्टी पासवान है वह उसके सरपरस्त सरपरा हैं। तो यह एक स्ट्रेटेजी जो है बिहार के लिए भी काम कर सकती है । बाकी प्रदेश के मतदाताओं केलिए भी काम कर सकती है और दिल्ली में बिना अनाउंस किए हुए एक सटल तरीके से मैसेज दिए जाने की कोशिश की जा रही है कि अगर वह चुनाव जीत कर आते हैं तो दलितमुख्यमंत्री को ना रूल आउट किया जा सकताहै बल्कि संभावनाएं इस बात की बहुत प्रबल है कि दलित मुख्यमंत्री ही होगा।

 

12 सीटें जो है  दिल्ली में रिजर्व हैं, उन पर अभी तक एक छत्र राज जो है वो आम आदमी पार्टी का है

आम आदमी पार्टी अभी तक अपने फ्री बिजली और फ्री आधा पानी का बिल आधा और बस के चक्कर में निश्चित तौर पर अपनी पकड़ उन लोगों पर बनाए हुए है।  लेकिन क्या यह पकड़ जब भारतीय जनता पार्टी अपने संकल्प पत्र का अनाउंस कर देती है या जिस तरह से धीरे-धीरे वह इन लोगों तक पहुंच रही है उसके बाद भी बरकरार  रहेगी । बीजेपी की ओर से दलितों को यह मैसेज जाएगा कि उनके उनके समाज से कोई एक मुख्यमंत्री हो सकता है तो क्या उसमें परिवर्तन नहीं आएगा हालांकि इसमें एक और महत्त्वपूर्ण बात सबको समझ लेना चाहिए कि दिल्ली में जो वोटिंग पैटर्न है वह जाति को लेकर के नहीं होता है कास्ट को लेकर के नहीं होता है ।

दिल्ली में जात के आधार पर नहीं होती वोटिंग

एक ही बार कास्ट को लेकर के वोट पड़े थे जब 2008 के चुनाव में मायावती को लगभग 15 फीसदी के आसपास वोट पड़ा था और वो चुनाव सिर्फ इसलिए बीजेपी हार गई थी कि जो दलित वोट है वो एक मुस्त बहुजन समाज पार्टी की तरफ मायावती की पार्टी की तरफ चला गया था जो बीजेपी को मिलना चाहिए था, अब बीजेपी दलित चेहरे पर दांव लगाकर क्या आने वाले चुनावों में अपनी रणनीति साघेगी, समय ही बताएगा।

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