BY DR M.WALI

युवाओं में बढ़ती भूलने की बीमारी आधुनिक लाइफस्टाइल की देन

आजकल लोगों में भूलने की बीमारी काफी आम होती जा रही है, युवा से युवा लोग इस बीमारी से जूझते दिखते हैं, आम जिंदगी में छोटी छोटी चीजें भूल जाना काफी आम बात दिखने लगी है, जैसे की कार की चाभी कहीं रखकर भूल जाना, किसी के साथ Appointments है वह भूल जाना, गैस पर कुछ रख कर भूल जाना , कईं बार कार चलाते दिमाग में कुछ चल रहा होता है और पता चलता है कि रास्ता ही भूल गए हैं, लेकिन यहां युवा लोगों में हम जिस भूलने की बात कर रहे हैं वह किसी बीमारी के कारण नहीं है बल्कि एकसाथ दिमाग को कई कामों में Engage रखने की बढ़ती आदत के कारण ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं।

दिमाग एक समय एक ही Command या Task Receive करता है

भागदौड़ भरी इस जिंदगी में आज हर कोई एक साथ दस काम करने की सोचता है या उसकी जरूरत बन गई है पर दिमाग को यह बात पसंद नहीं है क्योंकि वो एक समय में एक ही Command या बात या Task अच्छी तरह से Receive करता है। ऐसे में जब लगातार उसे Multiple Task याद करने का काम मिलता है तो वो कईं काम या Task भूलना शुरू कर देता है। और एक समय में कईं कामों में व्यस्त युवाओं को पता ही नहीं चल पाता कि उन्हें भूलने की बीमारी ये बीमारी कैसे हो गई है। क्योंकि ये कोई बीमारी नहीं बल्कि हमारे आधुनिक लाइफस्टाइल की देन है।

उम्र से संबंधित बीमारी है Dementia

लेकिन दूसरी तरफ डिमेंशिया हैं जो भी भूलने की बीमारी है पर यह उम्र से संबंधित है। जैसे जैसे लोग बूढ़े हो जाते हैं भूलना शुरू कर देते हैं । ज्यादातर 60 साल के बाद ब्रेन में कुछ Changes होने शुरू होते हैं और भूलने की बीमारी शुरू हो जाती है। MRI से पता चलता है कि खून की छोटी छोटी नसें जो दिमाग में खून के जरिए आक्सीजन भी पहुंचाने का काम करती है उनमें खून का दौरा कम हो जाता है और इसके कारण दिमाग में जो Changes आते हैं उन्हें हम माइक्रोवस्कुलर चेंजेज कहते हैं , इसमें ब्रेन का Voliume भी Shrink हो जाता है । ब्रेन में ऐसे Areas बन जाते हैं जिसको हम कहते हैं कि डिजनरेशन हो गया है, ब्रेन छोटा होना शुरू होता है

Dementia क्या क्या लक्षण हैं

Brain का फंक्शन स्लो होना शुरू हो जाता है और याददाश्त कम हो सकती है । ऐसे में डिसीजन मेकिंग थोड़ी स्लो हो सकती है, या कम हो सकती है । ज्यादातर ऐसे Symptoms डिमेंशिया के पेशेंट्स को दिन गुजरने के बाद होते हैं क्योंकि ब्रेन के कुछ पार्ट के सिंगल्स हमें दिन में अलर्ट रखते हैं वो शाम तक डिलीट हो जाते हैं । डिमेंशिया कई प्रकार का हो सकता है । आमतौर पर डिमेंशिया जो है ओल्ड एज में जो होता है उसको हम Commanly Memory loss के साथ देखते हैं। कंफ्यूजन के साथ देखते हैं और और कभी-कभी पहचानने में भी देर लगती है और इससे ज्यादा अगर ज्यादा होता है तो एंजाइटी हो सकती है मूड स्विंग हो सकते हैं कि कभी बिल्कुल स्वस्थ हो गए कभी बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गए ,स्पीच में डिस्टरबेंस हो सकते हैं स्लो हो सकती है नींद की डिस्टरबेंस हो सकती है ।

Dementia के अलग अलग लोगों में अलग Symptoms हो सकते हैं

तो डिमेंशिया एक अंब्रेला टर्म है इसमें बहुत सारे Symptoms हो सकते हैं। आमतौर पर लोग जिनको अलर्टनेस ज्यादा चाहिए, Decision Making बहुत स्ट्रांग चाहिए। उनको जैसे ही यह Symptoms होने शुरू होते हैं तो तुरंत डाक्टर्स से संपर्क करना चाहिए।

Dementia अब नहीं रहा है लाइलाज

आजकल डिमेंशिया पर बहुत रिसर्च हो रही है और आजकल बड़ी दवाएं आ गई हैं डिमेंशिया के इलाज के लिए। पहले लोग कहते थे कि इसका कोई इलाज नहीं है ये एजिंग चेंजेज है ,हमारे पास एक ही दवा थी डोनेपेजिल पर अब दिमाग में होने वाले एजिंग Related Changes को कम करने के लिए बहुत सी अच्छी दवाएं आ गई हैं पर जरूरी है कि सही समय पर इस बीमारी को पहचान कर इसका इलाज शुरू कर दिया जाए। कईं मेमोरी टेस्ट स्कैनस के जरिए इसको आसानी से पहचान कर इलाज शुरू करवाया जा सकता है।

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