ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की 17 मांगे कितनी जायज

जिस तरह से ऑल इंडिया उलेमा  बोर्डकी 17 मांगों को लेकर  कांग्रेस ने  समझौते की बात की है या स्वीकार किया है,  उसको देख कर यही लग रहा है कि एक बार फिर ऐसा तो नहीं कांग्रेस ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है। ऐसा क्यों है  और  डिमांड क्या हैं।  उलेमा बोर्ड है वह चाहता है कि महाराष्ट्र में जो सरकार बने वह वक्फ बिल का विरोध करें,  मुसलमानों को 10 फीसदी  रिजर्वेशन दे , उसके अलावा महाराष्ट्र के पूरे 48 जिले में सर्वे कराए जो मस्जिद  और बाकी जमीने हैं कब्रिस्तान की । 1000 करोड़ वक्फ को दे उसके अलावा जो है जिन लोगों के खिलाफ  मुकदमे हैं , मुसलमान जो जेलों में बंद है , पुलिस भर्ती में प्रेफरेंस दें। यही नहीं आरएसएस पर बैन को लेकर के बात की जा रही है ।

Congress को 88 फीसदी Voters की उपेक्षा करना भारी पड़ेगा

तो इस तरह से कुल मिलाकर के 15 16 मांगे हैं जो कांग्रेस और एनसीपी ने मोटा मोटी इस पर स्वीकृति दी है यह  किस तरह से अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने की बात हो सकती है । जो लगभग 12 फीसदी  मुसलमान पूरे महाराष्ट्र में है उसके खिलाफ  88 फीसदी बचे हुए लोग   एक तरफ होते दिख रहे हैं।  अगर  88 फीसदी  एक तरफ नहीं भी होते हैं  तो एक बड़ा वर्ग जो है जो  यह देखता है कि कांग्रेस मुस्लिम समुदाय की  ब्लैकमेलिंग और अपीज मेंट में आ जाती है तो जाहिर है वो कांग्रेस से कट सकता है। और जब योगी आदित्यनाथ बार बार यह बात कर रहे हैं कि बटोगे तो  कटोगे, साथ  प्रधानमंत्री मोदी भी यह कह रहे हैं कि आप बटोगे  तो वह महफिल सजाएंगे एक रहोगे नेक रहोगे।  इस तरह की जब बातें आ रही हैं तो वोटर्स पर असर जरूर डालेंगी।

जीतने के लिए  हिंदू Voters की नहीं की जा सकती उपेक्षा

अगर महाराष्ट्र का पूरा का पूरा मुसलमान एकजुट होकर महाविकास आघाडी को वोट देता है तो अगर ऐसी स्थिति है कि यह सिर्फ 12 फीसदी वोट हैं। जो  महाविकास आघाड़ी के खाते में जाएंगे और कुछ छुटपुट जो लोकल समीकरण उसके नाम पर आएगा । दूसरी तरफ ८८ फीसदी वोटर्स एकजुट होते हैं तो यह निश्चित तौर पर  महाविकास आघाड़ी को  नुकसान पहुंचाएगा । इस तरह का यदि कोई आंदोलन चल निकलता है या इस तरह का कोई  स्लोगन आता है तो बड़े  वोटर्स को अलग कर सकता है।  उसमें कांग्रेस पर  निश्चित तौर पर पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा । कांग्रेस की बयानबाजी भी  हिंदुओं को नेगलेक्ट कर रही है। उऩ्हें  यानी हिंदुओं को फॉर ग्रांटेड लिया जाना कांग्रेस को भारी पड़ सकता है।

Congress के झूठ को पहचान गए हैं क्या लोग

यह फॉर ग्रांटेड लेना बहुत लंबे समय से कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहा है और यह बात कांग्रेस को समझ आ रही है या नहीं आ रही है उनको शायद यह लग रहा है कि 2024 के चुनाव में जो उनको 99 सीट मिली है उसके पीछे इस तरह का कुछ लोगों का उनके प्रति आकर्षण बढ़ा है इस कारण वह अपनी जो पॉलिटिक्स , जिस तरह की राजनीति वो 2024 के लोकसभा के चुनाव में कर रहे थे उसी को आगे बढ़ाना चाह रही है।  इसमें कांग्रेस को अपने इस भ्रम से निकलना चाहिए इसलिए कि वहां पर 2024 के लोकसभा चुनाव में जो तीन मोटे मोटे फैक्टर्स थे पहला कि बाबा साहब का संविधान बदल जाएगा जब बीजेपी आएगी 300 से ऊपर सीट जीतेगी दूसरा आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा तीसरा 8500 हर महीने खटाखट आएंगे अब ये तीनों की सच्चाई  सामने आ गई है।  दूसरी तरफ प्रधानमंत्री यह कह रहे हैं कि यह बाबा साहब के संविधान के साथ कांग्रेस ने कॉम्प्रोमाइज  हमेशा से किया है और यह फिर वही कॉम्प्रोमाइज करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं

ना आरक्षण खत्म होगा ना ही संविधान को कुछ होगा

आरक्षण को लेकर के जिस तरह से नाना पटोले ने बोला था वह कि हम राहुल गांधी की बात से सहमत है जब इस तरह की परिस्थिति होगी तो हम आरक्षण को खत्म करेंगे अब इन सबके बीच जो दो बड़े मसले थे कि अ बाबा साहब का संविधान बदल दिया जाएगा और आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा इस मामले को लेकर के दलितों में यह अ बात धीरे-धीरे समझ में आने लगी है कि यह जो कांग्रेस का प्रोपेगेंडा था यह सही नहीं था और यह दोबारा अब इस पर कांग्रेस को वोट नहीं मिलने वाला है

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