RJD के साथ लड़ना Congress की मजबूरी

बिहार के चुनाव में अभी कुछ समय है , मतलब अक्टूबर नवंबर में होने की उम्मीद है , लेकिन कांग्रेस वहां कुछ ज्यादा ही उम्मीद लगाए बैठी हुई है और कुछ ज्यादा ही सीटों की उम्मीद भी आरजेडी से कर रही है अब इस पूरी परिस्थिति में आरजेडी कितना ऑब्लाइज करती है कांग्रेस को वो देखने वाली बात है , लेकिन अभी जो बातें निकल कर के आ रही हैं कांग्रेस इस बार बिहार में 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है और इसके लिए लगातार दबाव भी बना रही है पिछली बार वो 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 18- 19 सीटों पर उसको जीत मिली थी और जो अलायंस के दूसरे पार्टनर्स थे राष्ट्रीय जनता दल वो 144 सीटों पर लड़ी थी और उनको 74 सीटों पर जीत हासिल हुई थी एक महागठबंधन का तीसरा जो अलायंस पार्टनर था वो सीपीआईएमएल लिबरेशन जिन्होंने 12 सीटों पर चुनाव 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 12 सीटों पर जीत मिली थी।

 

Congress लोकसभा जीत के आधार पर बिहार में चाहती ज्यादा सीटें

चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस, ने बिहार में 58 ऑब्जर्वरर्स नियुक्त कर दिए हैं और उसके पीछे मंशा यही है कि इस बार वो लगभग 90 सीटों की मांग करेंगे और 90 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। अब इसमें जो नाम है जो लोग हैं उसमें अनुमा आचार्य ,अली मेहंदी ,अशोक चंडेला और मनोज यादव शोएब खान अखिलेश यादव ,वीरेंद्र इस तरह से कई 58 कई करीब करीब 58 लोगों को नियुक्त किया गया है इसमें जो असली मसला ये है कि क्या जिस तरह का परफॉर्मेंस था पिछले चुनाव कोलेकर के क्या उस आधार पर कांग्रेस को 90 सीटें देने या 70 से कुछ ज्यादा सीटें आरजेडी देने के लिए तैयार होगी। इसलिए कि पिछले बार वो सबसे बड़ी पार्टी थी 74 सीटें जीती थी 144 सीट लड़के मतलब महागठबंधन में कम से कम और दूसरी तरफ सीपीआईएमएल का जो परफॉर्मेंस था 19 में से 12 जितना वह भी अपने आप में बहुत प्रभावी था अब कांग्रेस जो है वो अपना जो आजकल दावेदारी चाहे वो अलायंस से करे या विपक्ष के तौर पर जो दावेदारी है , वो 2024 के लोकसभा चुनाव में जहां उसको उन 99 सीटों पर जीत मिली है उस आधार पर दावेदारी पेश करती है , तो क्या बिहार में लालू यादव उस तरह की दावेदारी को स्वीकार करेंगे तो पिछले चुनाव में जो परफॉर्मेंस था कांग्रेस का वो बहुत खराब था मतलब 70 सीटों पर 19 सीटें जीतना बहुत अच्छा परफॉर्मेंस नहीं था लेकिन लोकसभा के मामले में जो दावेदारी प्रस्तुत की जाती है ।

 

पप्पू यादव के प्रभाव को भी भुनाना चाहती Congress

अब महत्वपूर्ण बात यह है कि लालू प्रसाद यादव लगातार इस बात पर लगे हुए हैं कि किसी तरह से वो अपने बेटे को स्थापित करें और उसको मुख्यमंत्री पद की दावेदारी दें मुख्यमंत्री बनाएं इसके लिए लोकसभा चुनाव में उन्होंने पप्पू यादव को कांग्रेस का टिकट नहीं लेने दिया इसके पहले कांग्रेस पूर्णिया से अपना कोई कैंडिडेट डिक्लेअर करती उसके पहले ही आरजेडी ने अपना वहां से कैंडिडेट डिक्लेअर कर दिया और पप्पू यादव इंडिपेंडेंट ले रहे हालांकि अपना चुनाव जीत गए पप्पू यादव एक बड़े यादव नेता के रूप में उभर रहे हैं सीमांचल और बाकी इलाकों में उनका उनकी अच्छी पकड़ है और उनके मन में भी मुख्यमंत्री पद का की लालसा है और इसीलिए भी वो कांग्रेस का हाथ पकड़े हुए हैं और पप्पू यादव भी एक ऐसे नेता हैं या एक ऐसा पॉलिटिकल फिगर है जिसके कारण कांग्रेस जो है वो अपनी सीटें बढ़वाना चाहती है इसलिए कि
पूर्वांचल सीमांचल एरिया में पप्पू यादव का चार पांच जिलों में अच्छा प्रभाव है और उस नाते वो ये चाहेंगे कि किसी वहां से उनको ज्यादा से ज्यादा सीटों पर ज्यादा से ज्यादा सीटें मिले और ये जो 90 का आंकड़ा है ये उसी सबको ध्यान में रख के किया जा रहा है पर लालू प्रसाद यादव किसी भी कीमत पर ज्यादा सीटें नहीं देंगे और अगर देंगे तो चुनाव के बाद जो उनकी ना केवल बारगेनिंग पावर या बाकी और चीजें हैं वो कमजोर होंगी इसलिए किसी भी कीमत पर वो अपनी 144 सीटें जो पिछले चुनाव में लड़ी थी उससे कम पर नहीं जाएगी दूसरी बात यह है कि बिहार में कांग्रेस के पास लालू यादव के साथ मिलकर के मतलब लालू यादव की पार्टी के साथ मिलकर के चुनाव लड़ने के अलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है अगर अकेले लड़ेंगे तो पिछले बार जो 19 सीटें मिली थी वो भी नहीं मिलेंगी।

 

Bihar —–कांग्रेस और RJD का साथ दोनों के लिए बड़ी मजबूरी

दूसरा ये कि 2024 के लोकसभा चुनाव की और यहां की भी तुलना नहीं की जा सकती उसके कई कारण हैं 20 24 के चुनाव में जहांजहां सीटें बढ़ी वहां क्या कारण थे बिहार में भी क्या कारण थे वो समझने वाली बात है वो विधानसभा के चुनाव में लागू नहीं होंगे एक बात दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस जहांजहां सीधे चुनाव लड़ रही थी या अलायंस में भी चुनाव लड़ रही थी चाहे वो दिल्ली हो विधानसभा का चुनाव चाहे वो महाराष्ट्र हो जहां वो अलायंस के साथ चुनाव लड़ी है या कोई राज्य हो हरियाणा हो, पर जहां वो सीधे चुनाव भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ रही थी इन सब जगहों पर हारी है जीती कहां है झारखंड में जहां वो अलायंस के साथ थी और दूसरा सेकंड सेकंड फिडल का रोल प्ले कर रही थी मतलब जूनियर पार्टनर के तौर पर थी तो हरियाणा में वो झारखंड में वो जूनियर पार्टनर के तौर पर चुनाव लड़ रही थी और वहां पर ठीक-ठाक परफॉर्मेंस की कांग्रेस का भी अच्छा प्रदर्शन था लेकिन वो झारखंड मुक्ति मोर्चा के कंधे पर सवारी करके वैसी ही स्थिति बिहार में है अगर बिहार में कांग्रेस अकेले लड़ेगी तो सीटें उसको नहीं मिलेगी तो इन सब परिस्थितियों के मद्देनजर अगर कांग्रेस इस तरह की स्थिति में लड़ती है हालांकि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी लगातार यह मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं कि आरजेडी के नेताओं के साथ उनकी एक अच्छी बॉन्डिंग है लेकिन आरजेडी की ही स्थिति बहुत अच्छी बिहार में नहीं दिख रही है

 

मुसलमानों को एक बार फिर पोलराइज —- 100% मुस्लिम वोट

और इसीलिए अभी जो उन्होंने गांधी मैदान में एक वक्फ को लेकर के बड़ा आयोजन किया जिसमें इमारत शरिया जैसी ऐसे ऑर्गेनाइजेशंस के साथ उन लोगों ने वो स्टेज साझा किया जो सा शरिया कानून की बात करते हैं और नारा दिया जा रहा था संविधान बचाने का महत्वपूर्ण बात यह है कि जब मामला अदालत में है उन परिस्थिति में इस तरह के किसी जलसे का कोई मतलब नहीं है यह कहना कि वो जब चुनाव जीत करके आएंगे तो इसको डस्टबिन में डाल देंगे क्या केंद्र का या संसद के पास किए हुए कानून को कोई डस्टबिन में डाल सकता है एक बात कोई प्रदेश सरकार डस्टबिन में डाल सकती है यह ऐसा संभव नहीं है। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात है कि ये पूरा का पूरा मामला मुसलमानों को एक बार फिर पोलराइज करके 100% मुस्लिम वोट महागठबंधन कोशिश कर रही है और यह इसमें कोई नया नई बात नहीं है और महागठबंधन को मिल भी सकता है क्योंकि भाजपा के अलायंस के होने के कारण जेडीयू को मुस्लिम वोटर्स वोट नहीं देते हैं सिर्फ वहां पर मुसलमानों का कुछ वोट जनता दल यूनाइटेड को मिलता है जहां पर वो मुस्लिम कैंडिडेट उतारते हैं तो अभी कुल मिलाकर के जो स्थिति है उसमें जो कांग्रेस की 90 सीटों की डिमांड है वह सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है कि क्या राष्ट्रीय जनता दल उस बात के लिए तैयार होगी जिसकी उम्मीद बहुत कम दिख रही है इसलिए कि राष्ट्रीय जनता दल कोई भी सीट कंसीड करने के लिए नहीं तैयार होगी ना ही सीपीआईएमएल लिबरेशन है

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