Congress संगठन जबरदस्त बदलाव की तैयारी-मल्लिकार्जुन खरगे गांधी के सामने कितनी चलेगी

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जिस तरह की सफलता का दावा कर रही थी, नेताओं में बहुत ज्यादा उत्साह था, वह पूरा का पूरा हरियाणा के चुनाव में बिखर गया है, हालांकि कांग्रेस का दावा कि उनकी लोक सभा चुनाव में बेहतर परफॉर्मेंस थी और उसको वो अपनी लगातार जीत मान रहे थे देखा जाए तो ऐसा था ही नहीं। कांग्रेस लगातार कह रही थी कि भारतीय जनता पार्टी की हार हुई वह 300 से ऊपर की सीट का दावा कर रहे तो और 300 के नीचे 240 पर सिमट गए और कांग्रेस अपनी 54 लोकसभा सीट जो 2019 में थी वह बढ़ा करके 99 तक पहुंच गई । इसको
कांग्रेस अपनी जीत के रुप में देख रही थी जो वास्तव में उनकी जीत थी ही नहीं, कांग्रेस को अंदर से तो मालूम ही है कि लगातार तीसरे चुनाव के बाद कांग्रेस सिर्फ 99 पर पहुंची और बीजेपी लगातार तीसरे तीसरी बार सरकारबनाने में कामयाब हो गई तो वास्तव में यह बीजेपी की ही जीत है।

 Haryana की हार ने बदलाव के लिए खोली आंखें


हरियाणा ने कांग्रेस को जबरदस्त झटका दिया है और वो वास्तिवकता को पहचान रही है कि देश में माहौल अभी भी उनके अनुकूल नहीं है और इसी कारण कांग्रेस अपने संगठन में बड़ा फेरबदल करने के कगार पर है।

North-South Divide करने की नीति नहीं हुई कामयाव

इसके बहुत सारे कारण है जिनको समझना जरूरी है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस यह आकंलन जरूर करेगी कि उसके पत्ते कहां उल्ट पड़ गए। माना जा रहा है कांग्रेस की नार्थ- साउथ को डिवाइड करने की नीति कामयाब नहीं हुई और नॉर्थ में उन्हें मुंह की खानी पड़ी। कांग्रेस साउथ के नेताओं पर ज्यादा निर्भर हो गई थी उनको नॉर्थ के जो उनका वोट बैंक है या जो एक्सपेंशन है उसको बढ़ाने में साउथ के नेता इतने कामयाब नहीं हो पाए

South के लीडर लोगों से Communicate नहीं कर पाए

कम्युनिकेशन एक बड़ा कारण रहा ,कम से कम उन लोगों के साथ और ऐसे कार्यकर्ताओं के साथ जो रूरल बैकग्राउंड से आते हैं । इसके इसके अलावा नॉर्थ की राजनीति की समझ साउथ के नेताओं में उतनी नहीं है और यह बड़ा कारण रहा हरियाणा की हार का।

Congress कार्यकर्ताओं को नाराज किया यूट्यूबर्स का सम्मान


हरियाणा की हार की एक वजह यह भी सामने आ रही है कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर के
नाराजगी थी कि उनको नजरअंदाज किया जा रहा था उनको सुविधाएं नहीं मुहैया करा रही जो यूट्यूब की एक पूरी फौज को दी जा रही है।

Congress -दो कद्दावर नेताओं को बदलने की तैयारी

के. सी वेण गोपाल और जयराम रमेश दोनों ही साउथ से आते हैं और कांग्रेस इनपर काफी ज्यादा निर्भर रही ।

अब जो खबरें आ रही हैं कि इन दोनों नेताओं को रिप्लेस किया जा सकता है। केसी वेण गोपाल जो संगठन महासचिव हैं उनको हटाने के लिए सबसे बड़ा नाम चल रहा है सैयद नासिर हुसैन का जो कर्नाटक से राज्यसभा के सांसद है और वो माइनॉरिटी से आते हैं और नॉर्थ में माइनॉरिटी पॉपुलेशन का दबदबा ज्यादा है तो माना जा रहा है कि इस बदवलाव से कांग्रेस को फायदा हो सकता है इसलिए कि माइनॉरिटी तबका, बहुसंख्यक के नाम पर एक बार और लामबंद हो सकता है , पर यह भी एक बात कर्नाटक से आते हैं और कम्युनिकेशन मसला एक बार फिर पेंच फंसा सकती है। वह कितना उत्तरप्रदेश, बिहार राजस्थान, मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़ की राजनीति समझ पाते हैं यह भी कांग्रेस को देखना होगा।

सचिन पायलट को मिल सकती बड़ी जिम्मेदारी

इसलिए इस पद के लिए दूसरा नाम सचिनपायलट का चल रहा है । सचिन पायलट को लेकर बहुत मजबूती के साथ यह बात कही जा रही है कि उनको ये जिम्मेदारी दी जा सकती है और भूपेश बघेल तीसरा नाम है जिनको यह काम दिया जा सकता है । यह तीन नेता चर्चा में हैं जिनको संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

जयराम रमेश विवादों में रहते हैं

दक्षिण के और नेता के महत्त्वपूर्ण बदलाव की बात
चल रही है।जय राम रमेश मीडिया और कम्युनिकेशन देखते हैं और लगातार विवादों में रहते हैं लेकिन उनके
विवादों में रहने को नेगेटिव इसलिए नहीं देखा जाता है कि वह नेता प्रतिपक्ष लोकसभा यानी राहुल गांधी की हां में हां मिलाते हैं मतलब उन्हीं की लाइन पर चलते हैं। लोकसभा में राहुल जो कुछ कहते हैं जयराम रमेश उसी को आगे बढ़ाते रहते हैं ।

मल्लिकार्जुन खड़गे चाहते हैं इन्हें बदलना


यह दोनों नेता ही गांधी परिवार से तो बहुत नजदीक हैं लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष है मल्लिकार्जुन खड़गे से इनकी नहीं बनती है। अब क्या मल्लिकार्जुन खड़गे
राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बाद इतनी हैसियत रखते हैं कि बिना गांधी परिवार को संज्ञान में लिए वह इन दोनों को बाहर का रास्ता दिखा दे, हालांकि इनको बाहर का रास्ता नहीं दिखाया जाने के बदले दोनों को कुछ और , दूसरी जिम्मेदारी दी जा सकती है।

केसी वेण गोपाल केरल के मुख्यमंत्री पद पर नजर

केसी वेण गोपाल केरल का प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं। वो केरल का प्रदेश अध्यक्ष इसलिए बनना चाहते हैं
इसलिए कि वहां अप्रैल 2026 में विधानसभा के चुनाव होने हैं और वो अध्यक्ष पद के नाते मुख्यमंत्री पद की
अपनी दावेदारी मजबूत करना चाहते हैं । वैसे इस समय रमेश चरथला वहां अध्यक्ष हैं और लंबे समय से विराजमान हैं उन्होनें युवा एनएसयूआई से लेकर के युवा मोर्चा तक वो लंबे समय तक काम किया है । ऐसे में उनको हटाना भी आसान नहीं होगा।

जयराम रमेश North East की जिम्मेदारी

दूसरी तरफ जयराम रमेश है जो विवादों में ज्यादा रहते हैं उनको हटा कर वापस रणदीप सुरजेवाला को लाया जा सकता है क्या। यहां सचिन पायलट का भी नाम चल रहा है,यह काम भूपेश बघेल को भी दिया जा सकता है। इस कड़ी में कईं और नाम चल रहे हैं। जयराम रमेश को नॉर्थ ईस्ट भेजे जाने की बात पर चर्चा चल रही है उनको जनरल सेक्रेटरी नॉर्थईस्ट बना कर के भेजा जा सकता है इसलिए कि पार्टी में बाकी लोग भी इस बात को लेकर के उनकी नाराजगी है और जिस तरह से वो कई कई बार राष्ट्रीय अध्यक्ष को ओवर रूल करते हैं वह राष्ट्रीय अध्यक्ष को नागवार गुजर रहा है और निश्चित तौर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष भी गांधी परिवार के नजदीकी हैं इसलिए शायद जयराम रमेश को नया पद सौंपन में इतनी मुश्किल नहीं होगी।

महाराष्ट्र के चुनाव के बाद या दौरान बदलाव संभव

माना जा रहा है कि कांग्रेस संगठन में बदलाव तो होने ही है एक महीने बाद या दो महीने बाद, लेकिन संभावना यह है कि इसको महाराष्ट्र केचुनाव के बाद तुरंत बाद या महाराष्ट्र के चुनाव के दौरान भी किसी भी समय किया जा
सकता है। दो नेताओं के पद बदलाव की बड़ी संभावना है इसके अलावा और भी बहुत सारे जनरल सेक्रेटरी नए आ सकते हैं , कुछ नए कुछ पुराने का असाइनमेंट बदल सकता है ।मीडिया कम्युनिकेशन और संगठन यह दोनों बहुत महत्त्वपूर्ण है, महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि एक मीडिया से इंटरेक्ट करता है दूसरा कार्यकर्ताओं से इंटरेक्ट करता है पर यह दोनों उस रोल में लगातार निराश कर रहे हैं, जो इनसे उम्मीद की जाती है उन उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते। हरियाणा के चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस की हार हुई उसके पीछे यह वजह सबसे बड़ी मानी जा रही है कि दोनों नेता अपना काम बाखूबी नहीं कर पाए।

Priyanka VADRA Gandhi क्या मिलेगी नई जिम्मेदारी

यहां प्रियंका वाडरा को भी क्या नई जिम्मेदारी मिल सकती है। अभी वो महासचिव हैं उनको क्या नया रोल मिल सकता है। उत्तरप्रदेश में कौन जिम्मेदारी देखेगा यह सब भी फैसले कांग्रेस में बहुत जल्द होने वाले हैं।

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