दूसरे दलों पर Attack करने की रणनीती भारी पड़ी
जिन नेताओं के कारण कांग्रेस को हाल फिलहाल के दिनों में चुनावी नुकसान हुआ है कांग्रेस उन नेताओं को ठिकाने लगाने की तैयारी में है। मतलब कांग्रेस संगठन में फेर बदल करने की फिराक में है और इसके पीछे कईं कारण हैं, कांग्रेस लगातार हर जगह स्टेट दर स्टेट नुकसान में जा रही है और उसके पीछे ना केवल संगठनात्मक तौर पर जिन लोगों को जिन नेताओं को कांग्रेस को मजबूती देनी चाहिए वो वैसा करने में असफल रहे हैं बल्कि उनके बहुत
से बयानों का भी नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ रहा है। अगर बयानों की बात करें तो कांग्रेस एक स्ट्रेटजी पर काम कर रही थी , पिछले लंबे समय से जहां वह एक इंटिमिडेट करने वाली टैक्टिक्स पर काम कर रही थी कि सामने वालों पर सामने वाले पर चाहे वह एंकर हो चाहे दूसरे राजनीतिक दल के नेता हो उनको इंटिमिडेट कर दे ,उनका अपमान करें, जोर से बोले, उन पर पर्सनल अटैक करें और उनको चुप करा दे और उस पर अपने पॉइंट्स स्कोर करें। कांग्रेस इस स्ट्रेटजी पर काम कर रही था और उस स्ट्रेटजी का नतीजा था कि जितने भी बड़े जितने भी प्रवक्ता हैं चाहे सुप्रिया श्रीनेत्र हों, चाहे अभय दुबे हों, चाहे पवन खेड़ा हो चाहे अल्का लांबा हो चाहे रागनी नायक हो जितने भी इस तरह के नेता थे वह सामने वालों पर अटैक करते थे एंकर्स पर अटैक करते थे और एक स्ट्रेटजी बना कर के एंकर एंकर्स को बैन करते थे कि इन लोगों के कार्यक्रम में नहीं जाना है लगभग 14 15 लोगों पर इस तरह का प्रतिबंध लगाया हुआ था और यह फ्रीडम ऑफ स्पीच की बात भी डिबेट में करते थे , इसके कारण कांग्रेस को बहुत नुकसान हुआ, परसेप्शन का बहुत नुकसान हुआ।
सुप्रिया श्रीनेत्र जहां भी बोलती Congress के 10 हजार वोट का नुकसान
कहा यही जाता है कि सुप्रिया श्रीनेत्र जितने भी डिबेट में आती है कांग्रेस के कम से कम दस हजार वोट कम करती है जिस तरह से वह लोगों के साथ गाली गलोज करती हैं , और उनकी इस भाषा या उनके इस एरोगेंस का कारण यह था कि महाराजगंज से उनका टिकट काटना पड़ा। उन्होंने पिछले लोकसभा के चुनाव में कंगना रानावत के बारे में एक भद्दा ट्वीट किया था कि मंडी का रेट क्या है यह सब इसकी रिपोर्ट इसकी जानकारी कांग्रेस नेतृत्व को मिली है और इसीलिए हाल के दिनों मे सुप्रिया का लंबे समय से डिबेट्स में जिस तरह का उनका प्रेजेंस होता था वैसा नहीं नजर आ रहा है वो गायब है तो जो जो सोशल मीडिया वाली जिम्मेदारी है वो जिस तरह की खबरें आ रही है कि सोशल मीडिया वाली जिम्मेदारी से उनको मुक्त किया जा सकता है । जिस तरह से उन्होंने एक ये नैरेटिव बनाने की कोशिश की कि 99 सीट पर कांग्रेस जीत गई और 240 पर बीजेपी हार गई व बड़ा हास्यास्पद था और उसकी हर जगह हंसी उड़ाई गई चाहे सुप्रिया जितने दम के साथ
जितने रुडनेस के साथ लोगों पर अटैक करें लेकिन जनता में उसका मैसेज अच्छा नहीं गया ।
जयराम रमेश की भाषा भी ठीक नहीं-राहुल के पीछे चलते
अब संगठन की तरफ से मीडिया को संभालना और बाकी जिम्मेदारी जो है वह जयराम रमेश की है । जयराम रमेश की भी भाषा जो है वो बहुत संयत नहीं रही है और वह भी कुछ ऐसी चीजें कुछ ऐसी बात कुछ ऐसी चीजें कहते रहे हैं जिनसे कांग्रेस को नुकसान पहुंचता है। और देखने में यही आया है कि वह सिर्फ राहुल गांधी की हां में
हां मिलाते हैं , जिसका कांग्रेस को नुकसान हुआ है। अब जो बहुत सारे ऐसे स्वतंत्रता सेनानी है जिनकी भूमिका अहम रही है , उसको लेकर के कांग्रेस बड़ा सिलेक्टिव रहा है और सिर्फ गांधी और नेहरू के अलावा किसी को वह भारतीय स्वतंत्रता का स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा मानने को तैयार ही नहीं हैं।वैसे जयराम रमेश की वर्तमान अध्यक्ष हैं मल्लिकार्जुन खड़गे, दोनों एक ही स्टेट से हैं तो उनके साथ भी बहुत अच्छे संबंध नहीं है और इसका प्रदर्शन तब हो गया था जब मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद में बोला था कि मैं यहां पर सोनिया जी की कृपा पर हूं जयराम रमेश की कृपा पर नहीं हूं ।
के सी वेणूगोपाल भी संगठन महासचिव की भूमिका में फेल
संगठन महासचिव के सी वेण गोपाल संगठन महासचिव की बड़ी भूमिका होती है उनका बड़ा रोल था हरियाणा चुनाव में उसके अलावा महाराष्ट्र के चुनाव में उसके अलावा झारखंड के चुनाव में लेकिन एक के बाद एक सब जगह उनको मुंह की खानी पड़ी हरियाणा और महाराष्ट्र में जो स्थितियां है उसको देख कर के कह सकते हैं कि पूरी तरह से संगठन नाकामयाब रहा है । हरियाणा को लेकर के तो बहुत सारे विवाद उठे थे कि किस तरह से वेणूगोपाल सीटों पर उन्होंने कंप्रोमाइज किया और हुडा को सारा जिम्मा दे दिया, उसके बाद केसी वेण गोपाल ने महाराष्ट्र में भी वही किया और महाराष्ट्र में भी सोशल मीडिया और बाकी सारी जिम्मेदारी उनके पास थी लेकिन कांग्रेस बहुत बुरा परफॉर्म की वहां पर और इसको लेकर के रमेश चैनी जो एक बड़े दलित नेता हैं वह केसी वेणूगोपाल पर आरोप लगा रहे हैं कि जो महाराष्ट्र और हरियाणा का चुनाव है उनके ही कारण हारे हैं ।
Congress के बहुत से नेता पद के इंतजार में
अब इसके अलावा और बहुत सारे नेता हैं अजय माकन हैं अशोक गहलोत हैं भूपेश बघेल हैं , सचिन पायलट है ये सारे लोग अब सरकार के बाहर हैं अजय माकन दिल्ली सरकार में मंत्री थे उसके बाद से उनके पास कोई जिम्मेदारी नहीं है, उसके बाद अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद उनके पास कोई जिम्मेदारी नहीं है लेकिन बड़े भूपेश बघेल का वही हाल है सचिन पायलट का हाल है लेकिन जो जानकारी है कि सचिन पायलट लगभग संगठन महामंत्री वाली भूमिका में आ चुके हैं और वह काम करना शुरू कर दिए इसी तरह से और भी बहुत सारे लोग हैं इसको इंप्लीमेंट जल्दी से जल्दी किए जाने की संभावना है ।
Rahul की नहीं इस बार Priynka भी सामने हैं
सूत्रों के हवाले से आ रही है कि इस बार केवल कांग्रेस केवल राहुल गांधी की नहीं चलेगी इस बार के अपॉइंटमेंट में प्रियंका गांधी की भूमिका होगी जैसे सुप्रिया श्रीनेत्र को अलग करने में प्रियंका गांधी का रोल है प्रियंका गांधी का ऐसा मानना है कि जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल सुप्रिया सिनेट करती है वो डैमेजिंग है तो कांग्रेस में बदलाव होगा पर एक की नहीं इस बार अनेक नेताओं की चलेगी।