Delhi चुनाव किसका इशारा- मायावती ने ठानी खेला करने की
दिल्ली में मायावती ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार की घोषणा करके खासतौर पर आप और कांग्रेस नेताओं की नींद उड़ा दी हैं क्योंकि सभी जानते हैं कि बीजेपी का वोटर काफी हद तक फिक्स रहता है और इधर-उधर फिसलता नहीं है, दूसरा सभी जानते हैं कि मायावती का वोट बैक, अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता है और दिल्ली में इनकी आबादी लगभग 17 फीसदी है, और यही वो वोटर्स हैं जिनको लुभाने के लिए congress और आम आदमी पार्टी में जबरदस्त तनातनी चल रही है। पर अब मायावती की एंट्री से इन दोनों पार्टियों को अपना समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है। कहा जा रहा है कि मायावती जल्दी ही दिल्ली आने वाली हैं और इस बार मायावती जमकर यहां प्रचार करने के मूड में हैं। मायावती इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती क्योंकि लोकसभा चुनाव में मायावती को जबरदस्त झटका पहुंचा था जब उसकी पार्टी को लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली थी। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने ना केवल कांग्रेस के वोट तोड़े हैं बल्कि उसने बहुजन समाजवादी पार्टी के वोटर्स भी काफी हद तक अपने पाले में कर लिए। अब उन्ही वोट बैंक को वापस लाने के लिए मायावती दिल्ली के चुनावों में पूरे दमखम से उतरने की तैयारी कर रही है। जैसा की दिल्ली में 12 आरक्षित सीटें हैं, लेकिन माना जाता है कि दिल्ली की लगभग 30 विधानसभा सीटों पर अनुसूचित जाति और मुस्लिम समुदाय के वोटर्स चुनाव परिणामों में उल्ट फेर कर सकते हैं और यही बात congress और aap को परेशान कर रही है। आपको बता दें कि दिल्ली में बीएसपी का best प्रदर्शन 2008 के चुनाव में रहा जब उसने दो सीटें जीती थी। कहा जाता है बीएसपी जीतने से ज्यादा वोट कटाने की पार्टी है।
Bihar तेजस्वी क्यों हुए खफा लालू यादव से -दोनों की राहें अलग
बिहार में जब से rjd नेता लालू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक बार फिर अपनी पार्टी में आने का न्यौता दिया है राजनीति में जैसे उबाल आ गया है, क्योंकिं एक तरफ लालू नीतिश को बुला रहे हैं और दूसरी तरफ तेजस्वी बढ़ चढ़कर नीतिश की 2025 में विदाई की बात बोल कर उन्हें थका नेता बता कर बिहार की राजनीती को और ज्यादा दिलचस्प बना रहे हैं कि आखिर rjd में चल क्या रहा है क्योंकि बाप यानी लालू जी खुलेआम नीतीश को गले लगाने की बात कर रहे हैं औप बेटा यानी तेजस्वी उन्हें लगातार दुतकार रहा है। पर जो भी हो राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हैं कि यह बाप-बेट की मिली भगत है कि नीतिश को वापस बुला भी लो लेकिन एक दबाव के तहत जिससे अगर rjd और और jdu क मिलन हो तो ऐसी सूरत में तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने की राह में कोई रूकावट ना आए। हैरानी की बात तो यह है कि इस पूरे मामले को jdu के नेता तो नकार रहे हैं और कह रहे हैं कि बिहार चुनाव वे एनडीए के साथ मिलकर लड़ेंगे , पर नीतिश इन जवाबों पर चुप्पी साधे हैं और यही चुप्पी bjp नेताओं को कही ना कहीं परेशान कर रही है। कुछ मत यह भी हैं कि rjd में अब लालू की नहीं चलती और अगर वह नीतिश को वापस भी लाना चाहें तो तेजस्वी ऐसा होने नहीं देंगे क्योंकि नीतीश से उनकी दूरियां काफी बढ़ गई है। पर भई यह राजनीति है यहां कुछ भी हो सकता है और पलटू राम एक बार फिर पलटी मार सकता है और rjd उन्हें सर माथे पर रख भी सकती है।