FIR दर्ज-चली गई CSDS की क्रेडिबिलिटी साथ ही राहुल गांधी का वोट बचाओ अभियान

 

संजय कुमार सेफोलॉजिस्ट है, सीएसडीएस में जो प्रोफेसर हैं उनके खिलाफ मल्टीपल एफआईआर दर्ज कर लिए गए हैं। दिल्ली महाराष्ट्र जिस तरह से उन्होंने महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव को लेकर के गलत डाटा एक्स के अपने पोस्टर पर शेयर की। हालांकि वो उन्होंने जो एक्स पर डाली गई पोस्ट है उसको हटा लिया है। अपोलॉजी भी कर लिया है। लेकिन इस सारी अपोलॉजी और पोस्ट डिलीट करने के बावजूद भी एक कैंपेन बन गया है जिसको कांग्रेस ने बढ़ाया है और बहुत सारे विपक्षी दलों ने बढ़ाया है। जो यह बताने की कोशिश कर रहा है कि पूरा
चुनाव आयोग भ्रष्ट है। पूरा चुनाव आयोग एक पॉलिटिकल उस पर काम कर रहा है जो ठीक नहीं है। हालांकि एक टीवी चैनल पर संजय कुमार ने ये बोल दिया था कि नहीं वोट चोरी संभव ही नहीं है। लेकिन जो जो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने वाले हैं। उनका यह कहना है कि जिस मिसचीफ़ के साथ संजय कुमार ने किया है, वह उन्होंने जो उसका टारगेटेड ऑब्जेक्टिव था, वह अचीव कर लिया है। और संजय कुमार हो या उनके जो साथी अभय दुबे हो या योगेंद यादव हो, यह एक कैंपेन भाजपा के खिलाफ चलाते रहे हैं। इसलिए इनके खिलाफ नागपुर में, पुणे में, दिल्ली में सब जगह चले और अह भाजपा के बहुत सारे कार्यकर्ता इस बात को लेकर के नाराज थे जब उनको उन पर एफआईआर नहीं किया जा रहा था या उनके खिलाफ कोई कंप्लेंट नहीं किया जा रहा था। तो यहां बीजेपी ने एक तीर से दो शिकार किए हैं एक तरफ विरोधियों को सबक सिखाया दूसरी तरफ अपने लोगों को खुश कर दिया।अब यह सीएसडीएस के किसी डाटा को लेकर के चर्चा करना और उस पर उनकी माफी मांगना महत्वपूर्ण इसलिए बन जाता है कि कांग्रेस लगातार सीएसडीएस के डाटा पर को आधार बना रही थी। सीएसडीएस के संजय कुमार, अभय दुबे और योगेंद्र यादव ये तीनों कांग्रेस के लिए खुलकर बैटिंग कर रहे हैं और सीएसडीएस के जितने भी सर्वेक्षण होते हैं वो कांग्रेस के इंटरेस्ट को प्रोटेक्ट करते हुए या कांग्रेस के इंटरेस्ट को आगे बढ़ाते हुए नजर आते हैं। योगेंद्र यादव के बारे में क्या कहना है? हरियाणा के चुनाव के समय उन्होंने जिस तरह से यह कहा था कि वहां पर कांग्रेस की सुनामी चल रही है और कांग्रेस टू थर्ड मेजॉरिटी के साथ आएगी। उन सबके बावजूद जैसे चाहे वो संजय कुमार हो, चाहे योगेंद्र यादव हो, चाहे अभय दुबे हो। जिस तरह से ये ये लोग लगातार गलत साबित हुए हैं और उसके बाद अब ये ट्वीट डिलीट करना पड़ा है तो उससे एक सीएसडीएस की क्रेडिबिलिटी तो जाएगी ही जाएगी। साथ में जो पूरा का पूरा एक कैंपेन पूरा एक अभियान राहुल गांधी चला रहे हैं। वोट बचाओ अभियान जो उनका बिहार में चल रहा है। उस पूरे मुहिम को ही धक्का लगा है।कि कि जो एलगेशंस राहुल गांधी ने लगाए थे उस एलगेशंस पर को पहले ही अह जो चुनाव आयोग है उसने ना केवल खारिज कर दिया है बल्कि सारे के सारे जो उनके आरोप थे वो गलत साबित हुए।

 

 क्या इस राज्य से जाने वाली CONGRESS की सरकार

क्या झारखंड में कोई नई खिचड़ी पक रही है जहां पर झारखंड मुक्ति मोर्चा किसी भी तरह से कांग्रेस से मुक्ति पा सकती है और सरकार फिर भी चला सकती है। चाहे जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी का बाहर से समर्थन हो या और लोगों का बाहर से समर्थन हो। इसलिए कि शायद भारतीय जनता पार्टी वहां सरकार में शामिल ना हो। लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पूरे मुख्यमंत्री झारखंड के शिवू सोन की का देहांत दिल्ली में हुआ था। तो वो खुद स्वयं पहुंचे थे और उन्होंने हेमंत सोरेन सोरेन समेत बाकी परिवार से मुलाकात की उनको ढांढस स बंधाया था। उसके अलावा जिस तरह से राजनाथ सिंह  जो हेमंत सोरेन का या शिवू सोरेन का पैतृक गांव है वहां उनके जो आखिरी मतलब लास्ट राइट्स है क्रियाकर्म आखिरी क्रियाकर्म है उन कार्यक्रमों में जिस तरह से राजनाथ सिंह पहुंचे और ना केवल परिवार से मुलाकात की इसके अलावा और भी बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जो ऐसा दिखा रहा है कि झारखंड में भारतीय जनता पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा ये किसी तरह से अगर अलायंस में ना भी आए तो इस तरह के समझौते में पहुंच सकते हैं। जहां पर कांग्रेस से किनारा कर लें और सरकार भी चलाते रहें। वहां कांग्रेस को सबक सिखाना ज्यादा भाजपा के लिए जरूरी है। शिवू सोन से वो चुनावी लड़ाई मतलब झारखंड मुक्ति मोर्चा से वो चुनावी लड़ाई लड़ते रहेंगे।

 

भोपाल केस की सुनवाई से मना कर दिया था


इंडी अलायंस ने पूर्व न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट के बी सुदर्शन रेड्डी को अपना दावेदार बनाया है। लेकिन बी सुदर्शन रेड्डी को लेकर के भारतीय जनता पार्टी आक्रामक हो गई है। उसके पीछे जो उनके तर्क हैं उस उनमें ऐसे तो बहुत सारे तर्क हैं लेकिन जो दो महत्वपूर्ण तर्क हैं। पहला यह कि सलवा जुदून एक सरकार की तरफ से चलाया गया कार्यक्रम था माओ से लड़ने के लिए ट्राइबल्स के द्वारा उनको आर्म किया जा रहा था जिससे वो अपनी रक्षा कर पाए। इस पूरे सलवा जुदूम मूवमेंट को या पूरे सलवा जुदूम कार्यक्रम को बी सुदर्शन रेड्डी ने अनकस्ट्टिट्यूशनल बता दिया था। इसके कारण भारतीय जनता पार्टी उन्हें मायो और लेफ्ट जो जो वामपंथी हिंसा है या लेफ्ट वायलेंस है उसको उसके साथ सहानुभूति रखने वाला बताती है। इसके कारण मायोस्ट मतलब सलवा जुदूम के बंद को अनकस्टिट्यूशनल बनाने के बाद माइस ने बहुत सारी हत्याएं की थी और उसमें वो जो इसके खिलाफ लड़ाई कर रहे थे कर्मा साहब उनकी भी हत्या कर दी गई थी तो इस कारण से उनको इस मामले में बोला जा रहा है कि वो मॉइस सिंपथाइजर हैं। दूसरा मसला है भोपाल ट्रेजडी को लेकर के। भोपाल ट्रेजडी को लेकर के वो जजों में से एक थे जिसने इस केस की सुनवाई से मना किया था। उसमें भी उनकी भूमिका को लेकर के संदेह जताया जा रहा है। इस कारण से जो विरोध है उनके खिलाफ मतलब उन पर इस तरह से टारगेट किया जा रहा है कि जो आईएनडीआई है वो भारत का जो एक जो संवैधानिक ढांचा है उस संवैधानिक ढांचे को जो नुकसान पहुंचाने वाले एलिमेंट्स हैं आईएडीएआईए उनके के साथ खड़ी है। ऐसा भारतीय जनता पार्टी का दावा है। अब यह तो तय है कि जो सुदर्शन रेड्डी साहब हैं, जस्टिस सुदर्शन रेड्डी साहब, उनका चुनाव जीतना संभव नहीं है। अब कोशिश ये की गई है कि तमिल वर्सेस आंध्रा हो जाए या तमिल वर्सेस तेलुगु हो जाए। आंध्रा मत कहिए इसलिए कि तमिल वर्सेस तेलुगु हो जाए। अब तमिल वर्सेस तेलुगु होगा नहीं होगा यह तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन एक बार फिर कांग्रेस ने विपक्ष को एक मतलब सत्ता पक्ष को एक हथियार दे दिया है उन पर आक्रमण करने का और वो घूम फिर करके नेशनल इंटरेस्ट की तरफ आता है।

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