एक तरफ भारत समेत पूरा विश्व ग्लोबल वार्निंग , बाढ़ , सूखे, बेरोजगारी, महंगाई, हिंसा की बढ़ती घटनाओं से जूझ रहा है लेकिन दूसरी तरफ बहुत से देशों में खतरनाक कैमिकल और न्यकलियर हथियारों को बनाने और जमा करने की होड़ सी मची हुई है। कारण एक ही है हर कोई सुपर पावर बनने की दौड़ में शामिल है।
इन सब के बीच विश्व के कईं देशों के बीच चलने वाले युद्द ने स्थिति और खराब कर दी है । अब चाहे वो युक्रेन, रूस या इसराइल, फिलीस्तीन के बीच का युद्द हो। वैसे इसके अलावा भी कईं देशों में बीच बीच में युद्द भड़क रहे हैं। इसलिए आज जरूरी है कि कैंमिकल और न्यूकलियर हथियारों के भयानक खतरों के बारे में विस्तार से जानना। यह भी जानना कि कौन-कौन से देश इन हथियारों को जमा करने की होड़ में सबसे आगे हैं।
रूस-युक्रेन युद्द के कारण देश बढ़ा रहे हैं परमाणु हथियार
हाल ही में स्वीडन के थिंक टैंक SIPRI ने दावा किया है कि रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद से अलग -अलग देशों की ओर से अपनी परमाणु हथियारों की जानकारी देने संबंधी पारदर्शिता काफी कम हो गई है। मतलब साफ है हर कोई बड़ा देश अंदर ही अंदर अपनी परमाणु क्षमता बढ़ा रहा है और खतरनाक बात ये है कि इस समय अमेरिका और रूस ने अपने 2000 परमाणु हथियारों को हाई अलर्ट पर रखा है।मतलब रूस और अमेरिका के बीच किसी भी बात पर छिड़ी कोई चिंगारी परमाणु युद्र का रूप ले सकती है और एक बार ये शुरू हुआ तो समझ जाइए पूरा विश्व खत्म ही हो जाएगा।
कितने खतरनाक आधुनिक परमाणु हथियार
वर्ष 1945 में जब हिरोशिमा पर केवल 15 किलो टन का परमाणु बम गिरा था जिससे वहां के डेढ लाख लोग मारे गए. सालों तक हरियाली गायब हो गई , सालों तक बचचे विकलांग पैदा हुए और अभी तक वहां विकलांग बच्चों के ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन आज के आधुनिक परमाणु बम जिनकी क्षमता 100-100 किलों की है और दस गुना ज्यादा क्षमता वाले कई परमाणु बम किसी एक इलाके में गिरेंगे तो ना केवल उस देश को बलिक आसपास के बहुत से देशों को बल्कुल खत्म करने की ताकत रखते हैं।
दुनिया में किन-किन देशों के पास परमाणु बमों का भंडार
दुनिया में इस समय 12,512 परमाणु हथियार हैं, इनमें से 9576 ऐसे हैं जो हमले के लिए तैयार है। पिछले साल के मुकाबले इस साल 86 परमाणु हथियार बढ़े हैं। SIPRI ने बताया है कि दुनिया के 90% परमाणु हथियार रूस और अमेरिका के पास हैं। वहीं, 12,512 हथियारों में से 3,844 परमाणु हथियार मिसाइलों और एयरक्राफ्ट में लगाए गए हैं
बताया जाता है कि अमेरिका के करीब 200 ऐसे परमाणु हथियार बेल्जियम, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड्स और तुर्की में स्टैंडबाय पोजिशन में रखे गए हैं। ये सभी नैटो (NATO) के सदस्य हैं और जरूरत पड़ने पर इन परमाणु हथियारों को नैटो के किसी भी सदस्य देश के लड़ाकू विमानों के हवाले किया जा सकता है।
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चीन भारत और पाकिस्तान भी बढ़ा रहे हैं परमाणु हथियार
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले कुछ सालों में चीन ने अपने हथियारों के जखीरे में 60, तो पाकिस्तान ने 5 परमाणु हथियार जोड़े हैं।चीन की बात करें तो पेंटागन के एक अनुमान के अनुसार , साल 2030 तक चीन के पास एक हजार परमाणु हथियार हो सकते हैं जबकि भारत ने 4 नए परमाणु हथियार डेवलप किए हैं। लेकिन परमाणु हथियारों की तादाद बढ़ाने के मामले में पाकिस्तान ने खतरनाक रफ्तार दिखाई है। 2007 तक उसके पास करीब 60 परमाणु हथियार होने का अनुमान था। लेकिन 15 वर्षों बाद आज उसके पास ऐसे 165 हथियार हैं।
कोई भी देश परमाणु हथियारों को कम करने को तैयार नहीं
बता दें कि वर्ष 2021 में यनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल UNSC के सदस्य देशों ने परमाणु हथियारों को कम करने का वादा किया था। ये कहा गया था कि ये हथियार कभी इस्तेमाल नहीं किए जाने चाहिए। लेकिन आज हालात पूरी तरह से बदले दिख रहें हैं ।परमाणु हथियारों की रेस को बंद करने के लिए रूस और अमेरिका ने न्यू स्टार्ट ट्रीटी समझौता किया था। जिसे यूक्रेन जंग का एक साल पूरा होने पर रूस ने रद्द कर दिया । न्यू START ट्रीटी अमेरिका और रूस के बीच इकलौता परमाणु समझौता बचा था जिसके तहत दोनों देश एक दूसरे के साथ अपने परमाणु हथियारों के परीक्षण की जानकारी को एक्सचेंज करते थे।
पर विश्व से कैमिकल हथियार खत्म करने की मुहिम शुरू हो गई है
लेकिन दूसरी तरफ एक अच्छी खबर ये है कि क्योंकि हाल ही में अमेरिका ने अपने कैमिकल हथियारों के आखिरी भंडार को पूरी तरह से नष्ट करने की घोषणा की है।एक्सपर्ट के मुताबिक कुछ देशों को छोड़कर लगभग सभी देश जिनके पास कैमिकल हथियार हैं वो इसे नष्ट कर चुके हैं। कोशिश यही चल रही है कि इन्हें भविष्य में कोई भी देश ना बनाए और ना ही इनका इस्तेमाल करे।
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विश्व में किन -किन देशों के पास भंडार था कैमिकल हथियारों का
माना जाता है कि रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा रासायनिक हथियार भंडार रहा है जो लगभग 40,000 मीट्रिक टन आंका गया था। इसके बाद नंबर आता है अमेरिका का जिसके पास 30,000 टन से अधिक रासायनिक एजेंट थे। इसके अलावा अल्बानिया, भारत, इराक, लीबिया, सीरिया के पास भी कैमिकल हथियार थे।
कैमिकल हथियारों को खत्म करने की मुहिम कब शरू हुई और कौन कौन से देश इसे पूरी तरह से नष्ट कर चुके हैं।
रासायनिक हथियार निषेध संगठन यानी की Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons को 29 अप्रैल, 1997 में नीदरलैंड के हेग में बनाया गया था। यह संस्था दुनिया भर में रासायनिक हथियारों को नष्ट करने और उनकी रोकथाम के लिये काम करती है।OPCW के 192 देश सदस्य हैं जो कैमिकल हथियारों के खिलाफ हैं । इज़रायल और म्याँमार इसके सदस्य नहीं हैं लेकिन कैमिकल हथियार के खिलाफ की बात जरूर करते हैं।
OPCW के 192 देश सदस्य हैं पर इज़रायल और म्याँमार नहीं हैं। जिन देशों के पास कैमिकल हथियार हैं वो संधि के अनुसार अपने कैमिकल हथियार लगभग नष्ट कर चुके हैं। अमेरिका ने हाल ही में रोबोट की मदद से अपने कैमिकल हथियारों के आखिरी भंडार को पूरी तरह से नष्ट करने की घोषणा की थी।
इन देशों के पास अभी भी हैं गुपचुप कैमिकल हथियार
वैसे ये माना जाता है कि कैमिकल हथियार पूरी तरह से नष्ट करने के बावजूद रूस और सीरिया के पास अघोषित केमिकल हथियारों का भंडार है। दूसरी ओर अंगोला, मिस्र, उत्तर कोरिया और दक्षिण सूडान के पास अभी भी कैंमिकल हथियार हैं और वो Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons के सदस्य भी नहीं हैं।
क्या हैं कैमिकल हथियार-कैसे काम करते हैं
कैमिकल हथियार का मतलब है , जहरीले रसायन और गैसों से बनाए गए हथियार । ये इस तरह से बनाए जाते हैं जिससे इन्हें आसानी से पानी, हवा खाने और खून में मिलाया जा सकता है।इसमें इस्तेमाल होने वाली गैसों की ना कोई गंध होती ना कोई स्वाद। रासायनिक हथियारों के प्रयोग से न केवल हज़ारों-लाखों की तादाद में लोगों को पल भर में मौत की नींद सुलाया जा सकता है बल्कि लोग सैकडों तरह की बीमारियों का शिकार भी हो जाते हैं और तिल-तिल करके मरते हैं।
कैमिकल हथियार पहली बार प्रथम विश्व युद्ध में इस्तेमाल
बताया जाता है कि पहली बार कैमिकल हथियार प्रथम विश्व युद्ध में पहली बार कैमिकल हथियार यानी जहरीली गैसों का इस्तेमाल किया गया था जिससे लाखों लोग मारे गए थे।
इसके बाद , 1980 में इराक ने ईरान में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था इसके अलावा 1988 में कुर्द निवासियों के खिलाफ इसका प्रयोग हुआ।1994 में जापान में सरीन गैस के इस्तेमाल से 8 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि करीब 500 लोग प्रभावित हुए थे।1995 में टोक्यो मेट्रो में हुए एक सरीन हमले में 12 लोग मारे गए थे, जबकि 50 लोग घायल हुए थे।
सीरिया में लगातार इसका उपयोग हो रहा है
हाल ही में सीरिया में इसके इस्तेमाल के काफी मामले आए हैं। 2013 में इसके प्रयोग से 1100 लोगों की मौत हो गई थी।
मई 2015 के अलावा सितंबर 2016 और अप्रैल 2017 में सीरिया के अलग अलग शहरों में इसका इस्तेमाल हुआ और बड़ी संख्या में लोग मारे गए।
सबसे खतरनाक कैमिकल हथियार कौन-कौन से हैं
नर्व एजेंट को दुनिया का सबसे घातक केमिकल हथियार माना जाता है। इसकी छोटी-सी डोज यदि खून में चली जाए तो 30 सेकंड से 2 मिनट में किसी की भी जान ले सकती है। इसको जर्मनी द्वारा दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान तैयार किया गया था।
—चोकिंग एजेंट एक दम घोंटने वाली गैस है , प्रथम विश्व युद्ध में इस कैमिकल हथियार का इस्तेमाल हुआ और लाखों लोग मारे गए थे।
—इस केमिकल हथियार के प्रकोप से मनुष्य के शरीर पर कुछ ही पल में फफोले हो जाते हैं। यहां तक कि इसके असर से व्यक्ति अंधा हो जाता है या फिर उसकी जान भी जा सकती है।
——blood agent मनुष्य की cells पर हमला करते हैं और दम घोंट देते हैं।
——-Riots control agent दूसरे केमिकल हथियारों के मुकाबले कम घातक होते हैं। इससे आंख, मुंह, स्किन, फेफड़े में जलन पैदा होती हैं। आमतौर पर इसका इस्तेमाल भारी भीड़ पर काबू पाने के लिए किया जाता है।
अब तो आप समझ गए होंगे की परमाणु और कैमिकल हथियार कुछ ही मिनटों में पूरे विश्व को खत्म करने के लिए काफी हैं। कैमिकल हथियार खत्म करने की बड़ी मुहिम चल रही है लेकिन फायदा जब होगा जब परमाणु हथियारों को कम करने और इसको बनाना बंद किया जाएगा। जो देश नंबर वन बनने के लिए इसे बना रहे हैं उन्हें समझना चाहिए जब दुनिया ही खत्म हो जाएगी तो वो किस पर राज करेंगे।