INDOOR POLLUTION IS MORE DANGEROUS THAN OUTDOOR

Table of Contents

INDOOR POLLUTION IS MORE DANGEROUS THAN OUTDOOR —घर के अंदर भी सुरक्षित नहीं हैं आप

इनडोर पोलूयशन हमारी सेहत के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। बहुत से ऐसी चीजें हैं जो घर में इनडोर पोलूयशन को लगतार बढ़ा रही हैं और हमें पता तक नहीं है। हम लोग अभी भी आउटडोर पोलूयशन यानी वाहनों का धुंआं, बनती इमारतों की धूल-मिट्टी को ही खतरनाक मान कर चल रहे हैं ।

लेकिन आपको बता दें बहुत बार इनडोर पोलूयशन आउटडोर से ज्यादा खतरनाक साबित होता है और कईं तरह की बीमारियां , एलर्जी का कारण बन जाता है।

क्या है इनडोर पोलूयशन, कौन है इसका जिम्मेदार, कैसे बनाता है ये बीमार, कौन सी सावधानी बरतें इससे बचने के लिए

क्या है इंडोर पोलूयशन

इंडोर पोलूयशन

इसका मतलब हैं घर , दफ्तर, स्कूल या किसी भी अंदर की जगह में मौजूद हवा का किसी भी चीज से दूषित होना। दो तरह से वायु प्रदूषित होती है। पहले हैं वोलेटाइल आर्गेनिक क्मपाउंड VOCs , जिसमें से निकलने वाली खुशबू, – बड़ी जल्दी और आसानी से गैस, वाष्प बनकर वायु में मिल जती है और वायु को प्रदूषित करती है।

जैसे कि एयर फ्रेशनर, परफ्यूम, मच्छर,कीट नाशक मारने के स्प्रे, तमाम क्लीनिंग एजेंट , कास्मैटिक, पैंट, तथा तमाम ऐसी चीजें जो खुशबूदार हैं और गैस निकालती हैं। दूसरे होते हैं सैमी वोलेटाइल आर्गेनिक क्मपाउंड SVOCs, जैसे कि फर्नीचर, कीट नाशक, मोसक्यूटो रिपेलेंट mosquito repellents, बिल्डिंग बनाने का सामान इनमें से निकलने वाले कैमिकल भी धीर-धीरे काफी लंबे समय तक इंडोर हवा को प्रदूषित करते हैं।

कितने प्रकार से फैल सकता है इंडोर पेलूयशन हैं

कितने प्रकार से फैल सकता है इंडोर पेलूयशन हैं
  • जानवरों के फर, मल से फैलता है , पालतू पक्षी के पंख, मल
  • बायलोजिकल एजेंट भी हैं जिम्मेदार जैसे वायरस , बैक्टीरिया, पोलन
  • तमाम तरह की गैस
  • धूल,कण, धूल में पनपने वाले कीड़े—-dust mites
  • रयासन पदार्थ
  • घूंआ

घर में कौन-कौन सी चीजों से फैलता है इनडोर पोलूयशन

  • बाथरूम से लेकर फर्श, बर्तनों तक को साफ करने वाले तमाम क्लींनिंग एजेंट से निकलने वाली जहरीली गैसें रोजाना इंडोर पोलूयशन को बढ़ावा दे रही हैं। रोजाना इस्तेमाल होने वाले परफ्यूम, कास्स्मैटिक , मच्छर मारने के तमाम साधन, एयर फ्रेशनर , पूजा में कपूर-लोबान का जलना भी इंडोर पोलूयशन को बढ़ाते हैं।
  • दीवारों , फर्नीचर पर होने वाला चमकदार पेंट, पालिश ये सभी कार्बन मोनोसाइड -एक गंधहीन गैस निकालते हैं जो इंडोर पोलूयशन को बढ़ाता है।
  • पर्दें, कालीन, रजाइयों में छुपी धूल-कीटाणु इनडोर पोलूयशन की बड़ी आम वजह है। इसके अलावा ड्राई क्लीन करे कपड़े, पानी गर्म करने के हीटर , घरों-आफिसों में इस्तेमाल होने वाली स्टेशनरी, प्रिंटर, ग्लू से निकलने वाली गंधहीन गैसें । एक लंबी लिस्ट है जो इंडोर पोलूयशन के लिए जिम्मेदार हैं।

इंडोर पोलूयशन से होने वाली छोटी -छोटी समस्याएं

  • वायु में मौजूद गैस और खुशबू सिर दर्द, छींके, गले में खिचखिच की समस्या करती है।
  • एलर्जी होती है वो खुजली के रूप में हो सकती है या फिर आंखों से पानी बहने के रूप में
  • इससे बहुत बार सूखी खांसी हो जाती है।
  • कईं बार त्वचा पर लाल लाल दाने निकल आते हैं।

इससे होने वाली गंभीर बीमारियां

इससे होने वाली गंभीर बीमारियां

वायु में मौजूद कैमिकल, धूल-मिट्टी , कईं तरह की जहरीली गैसें तथा वायरस, बैकटीरिया हमारे तमाम सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं। सबसे पहले हमारे रेसपीरेटरी सिस्टम पर अटैक करते हैं।

Biological pollutants जैसे बैकटीरिया, वायरस, परागकण हमारे लंग्स पर अटैक करते हैं और कईं तरह के इंफेक्शन का कारण बनते हैं। हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हैं , ये अस्थमा की शिकायत बढ़ाते हैं।

वायु में मौजूद तमाम तरह के कैमिकल गले और त्वचा को बार -बार बीमार करते हैं। ये कईं प्रकार के कैसर पनपने का एक बड़ा कारण माने जाते हैं। इसके साथ ड्राई क्लीन के लिए कपड़ों में इस्तेमाल होने वाला कैमिकल भी कैंसर का कारण बन जाता है।

लैड जो दीवारों पर हुए रंगों में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है ये सीधा हमारी नर्व को कमजोर करता है साथ ही दिमाग पर भी असर डालता है। खून में ज्याया मात्रा में लैड पहुंच जाए तो किडनी फेल होने का कारण भी बन जाता है।

साथ ही इंडोर प्रदूषण महिला और पुरूष दोनों में ही प्रजनन क्षमता को कम कर देता है। सिगरेट, कुकिंग आयल , गैस , स्टोव से निकलने वाला धूंआ निमोनिया, ब्रोनकाइटिस , हार्ट की समस्या पैदा करता है।

इससे लंग कैसर होने का खतरा कईं गुना बढ़ जाता है।बंद जगह जैसे स्टोर, बेसमेंट में जमा गैस भी लंग कैसर का बड़ा खतरा बन जाती हैं। आफिस मशीनरी, स्टेशनरी, लेसर प्रिंटर, से निकलने वाले छोटे-छोटे कण और गैस भी लंग्स में पहुंचकर उसे नुकसान पहुंचाती है।

घर में यदि कोई मरीज है तो क्या सावधानी बरतें

  • यदि घर में कोई बीमार है जैस टीबी. वायरल बुखार, खांसी जुकाम से पीड़ित मरीज तो बायोलोजिकल एजेंट इंडोर पोलूयशन को बढ़ावा देते हैं और काफी सावधानी बरतने की जरूरत है
  • मरीज को कोशिश करके अलग कमरे में रखें।
  • उस कमरे में हवा और धूप की की पूरी सुविधा हो
  • कमरे में कम से कम सामान हो
  • ध्यान रहे, मरीज यदि थूके, खांसे तो साफ कपडे़ का इस्तेमाल करे जिसे बाद में सावधानी से साबुन में धोने की पूरी व्यवस्था हो।
  • इससे मरीज के वायरस, बैकटीरिया हवा में कम से कम फैलेंगे
  • घर में यदि कोई अस्थमा से पीड़ित है तो सोफों, पर्दों पर हल्के कपड़ों का इस्तेमाल करें जिससे उनकी सफाई आसानी से हो, कालीन ना बिछाएं तो बेहतर होगा।
  • मरीज को पालतू जानवरों से बचा कर रखें।

क्या करें प्रदूषण से बचने के लिए

क्या करें प्रदूषण से बचने के लिए
  • घर के अंदर किसी भी प्रकार के घूँए को ना फैलने दें, चाहे वो स्मोकिंग से हो या लकड़ी या किसी और चीज केो जलाने से।
  • सिगरेट-बीड़ी हमेशा घर से बाहर खुले में पिएं
  • इसके अलावा किचन और बाथरूम में बढ़िया एक्साज फैन का इस्तेमाल करें, यहां कि खिडकियां कोशिश करके खुली रखें।
  • गर्म पानी से उठने वाला घूंआ या किसी चीज को पकाते समय निकलता धूंआ आसानी से बाहर जा सके।घर को हवादार बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा अपने खिड़कियां-दरवाजों को खोल कर रखें।
  • घर में फालतू रखी तमाम चीजों पर धूल-मिट्टी जमती रहती है इसलिए कोशिश करें की सिर्फ जरूरत की चीजें आपके घर में हों और सजाने के लिए ऐसी चीजों से बचें जिनमें बहुत जल्द धूल जमती है और साफ करने के लिए आपके पास समय की कमी है।
  • अपने पालतू जानवरों और पक्षियों की सफाई पर विशेष ध्यान दें, इनके बाल समय -समय पर कटवाएं, समय पर नहलाएं और उनके मल विसर्जन के लिए उचित व्यवस्था करें। जानवरों को अपने पलंग -सोफे पर ना बैठाएं। उनके लिए अलग से जगह बनाएं और आदत डालें कि वो वहीं जाकर बैठें, जिससे घर में उनके बाल या डैड स्किन ना बिखरे जो इंडोर पोलूयशन को बढ़ावा देती है।
  • जूते-चप्पलों का स्टैंड घर से बाहर रखें और सभी को वहीं पर अपने जूते-चप्पल उतारने की सलाह दें।
  • एसी का फिल्टर समय-समय पर साफ करें।
  • हर्बल मोमबतियों और मच्छर मारने के हर्बल तरीकों का इस्तेमाल करें।
  • फर्श ,फर्नीचर, बाथरूम को साफ करने के लिेए हर्बल वस्तुओं का इस्तेमाल करें।
  • यदि सप्रे का इस्तमाल जरूरी है तो कोशिश करें कि कमरा बंद ना हो, खिड़की, जाली वाले दरवाजे खोलकर रखें जिससे प्रदूषित हवा बाहर जा सके,
  • परफ्यूम लगाने का शौक है तो जरूरत से ज्यादा ना लगाकर आवश्यकतानुसार लगाएं और कोशिश करें सबसे बाद में परफ्यूम लगाकर तुरंत घर से निकलें जिससे घर की वायु प्रदूषित ना हो।
  • अपने जूतों, चप्पलों को सप्ताह में एक बार धूप लगाएं । घूप एक तरह से एंटीबायोटिक का काम करती है और जूतों में मौजूद किसी भी तरह के इंफेक्शन को खत्म करती है।
  • अगर भीड़भाड़ वाले इलाके में रह रहे हैं तो सुबह और रात को खिडकियां-दरवाजे खोलने की वस्वस्था करें जिससे दिन के समय बाहर की प्रदूषित, जहरीली हवा अंदर ना आ सके.
  • घर को हवा दार बनाने के लिए छोटे-छोटे ट्रिकल वेंटीलेटर बनाएं—छोटे-छोटे हवादार सुराख,
  • किचन में नमी का होना एक बड़ा कारण है इंडोर पोलूयशन बढ़ाने का। इसलिए बर्तन को धोकर सीधा स्टैंड पर ना लगाएं पहले उन्हें बड़ी सी टोकरी में रखकर सूखने दें। यदि समय है तो साफ कपड़े से पोछकर लगा दें , नहीं तो कुछ घंटों सूखने के बाद ही उन्हें स्टैंड पर लगाएं। किचन को धोने के बाद उसे साफ कपडें से बिल्कुल सूखा करके छोड़ें।
  • इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों का आर्ट एंड क्राफ्ट का सामान भी पोलूयशन फैलता है, इसमें तमाम तरह के रंग, गोंद, क्ले का सामान , मारकर शामिल है, इसलिए कोशिश करें बच्चा जब इनसे खेलता है तो बंद कमरे में ना खेलकर उसे खुले में खेलने के लिए प्रेरित करें, खासतौर पर वो बच्चे जिन्हें सांस से संबंधी कोई समस्या है।इन सामान में मौजूद कैमिकल हवा में मिलकर सांस की बीमारियों को बढ़ा देते हैं।

इंडोर पोलूयशन का बढ़ा कारण है धूल में पनपने वाले कीड़े जिन्हें हम dust mites कहते हैं , इनसे बचने के उपाय आपके अपने हाथ में हैं।

  1. ये कीड़े, इनके शरीर के अंग , इनका मल—- खांसी, खुलजी , आंखों और नाक से पानी आना, अस्थमा के अटैक का बड़ा कारण है इनको एक बहुत बड़ा एलर्जन माना जाता है।
  2. ये कीड़े ना तो दिखाई देते हैं और ना ही इंसान को काटते हैं । इंसान की त्वचा पर इनका निवास हो जाता है। जहां धूल, अंधेरा, खाने का सामान और नमी होती है वहीं ये पनपते हैं।
  3. इनसे बचने के लिए जरूरी है कि घर में कारपेट ना बिछाएं क्योंकि इसमें जमने वाली धूल इन कीड़ों का बहुत बड़ा घर बन जाती है। अगर कारपेट बिछा है तो सप्ताह में एक बार उसे खुले में ले जाकर ब्रश से अच्छे से साफ करें। इसके अलावा अपने पर्दों -सोफों में जमी धूल की लगातार सफाई करें।
  4. ध्यान रखे सफाई करते समय अपने घर के खिड़कियां-दरवाजे खोल कर रखें जिससे धूल बाहर जाए, अगर ऐसा नहीं करते हैं तो झाड़े जाने वाली धूल और उसमें चिपके कीड़े वापस दूसरी चीजों पर चिपक जाते हैं।
  5. फाइबर से बनी चीजें इनकी मनपसंद जगह रहती है इसलिए सबसे ज्यादा ये आपके बेडरूम में मौजूद चादरों, तकियों, कंबलों में अपनी जगह बनाते हैं , इसलिए जरूरी है ये चीजें आप रोजाना झाड़ कर बिछाएं, सप्ताह में एक बार बदलें-धोएं और समय-समय पर धूप दिखाएं।
  6. घर में जब भी नया कालीन, सोफे, नए पर्दे लगाएं इस बात का ध्यान रखें कि कम से कम तीन-चार दिनों तक घर को पूरी तरह से हवादार बनाकर रखें, जिससे नए सामान में खुशबू के रूप में मौजूद कैमिकल, किसी भी प्रकार की धूल अपने आप घर से बाहर निकल जाए।
  7. नमक से बने लैंप जो आजकल बाजारों में काफी बिकते हैं इनको जलाने से भी हवा में मौजूद प्रदूषण कम होता है, इसलिए घर में लाइट करनी है तो ये लैंप जलाना बहुत फायदेमंद होता है। जिन लोगों को अस्थमा की शिकायत है इसका इस्तेमाल उनके लिए फायदेमंद होता है।

कैसे हर्बल तरीकों से घर को साफ रखें। घर में बनाएं क्लीनिंग एजेंड

1. आधा कप विनेगर और एक चौथाई बेकिंग सोडा को दो लीटर पानी में अच्छे से मिला लें। इससे खिडकियों, बाथरूम के शीशों को साफ किया जा सकता है।

2. लकड़ी का फर्नीचर , शीशे को साफ करने के लिए साफ फाइबर कपड़ें भी इस्तेमाल हो सकता है, क्योंकि इसमें धूल को सोखने की क्षमता होती है।

3. कपड़ों में चाय -काफी साफ करने के लिए दो कप पानी में एक चौथाई विनेगर मिलाकर गर्म करें। ठंड़ा होने पर दाग वाली जगह पर कपड़ें से लगाएं थोड़ी देर बाद पानी से धो लें।
4. कप में लगे दाग-धब्बों को भी विंनेगर से साफ कर सकते हैं।

5. हर्बल एयर फ्रेशनर —-विनेगर और लैमन जूस को मिलाकर छोटे-छोटे मिट्टी के बर्तनों में रख दो, घर महकना शुरू कर देगा। ये घर की बदबू को भी सोख लेता है।

6. खुशबूदार पौधों जैसे रात की रानी , चमेली -चंपा के ज्यादा से ज्यादा लगाएं जिससे घर में प्राकृतिक रूप से महक रहे।
7. कुछ पकाते समय यदि आने वाली गंध से बचना है तो एक कप पानी में आधा चम्मच विनेगर उबाल लें, गंध दूर हो जाएगी।
8. कटिंग बोर्ड और चाकू से फिश या प्याज -लहसून की गंध हटानी है तो विनेगर से पोछ पर साफ पानी में धोएं।
9. बाथरूम की टाइल्स में लगी फंग्स को साफ करने के लिेए हाइड्रोजन पैरासाइड में डबल पानी मिलाकर घोल तैयार करें और जहां भी फंग्स की शिकायत है वहां स्प्रे करके एक घंटे में साफ करें। एक कप बेकिंग सोडा में १० से १२ बूंद अपना मनपसंद तेल मिला कर उसको कारपेट पर लगा दें, उसके दो घंट बाद वोक्यूम क्लीन करें। सारी धूल अच्छे से साफ हो जाएगी।
10. कारपेट पर दाग के निशानों को साफ करने के लिए बराबर की मात्रा में सफेद विंनेगर और पानी मिलाकर दाग वाली जगह पर सप्रे करें। थोड़ी देर बाद ब्रश या स्पोंज से गर्म साबुन के पानी से साफ कर दें।

  1. इसी तरह सफेद विनेगर बदबू दूर करने के अलावा दाग, फंगस , ग्रीस को साफ कर देता है
  2. वाशिंग सोडा सोडियम कार्बोनेट डिकहाईड्रेट -decahydrate मिनरल है जो ग्रीस के निशान को काट देता है, दाग की सफाई करता है। इसका इस्तेमाल दीवारें, टाइल्स, वाशबेसन , टब को साफ करने के लिए किया जाता है।
  3. बदबू दूर करने के लिए वोडका का इस्तेमाल किया जा सकता है।

नीबू एक बहुत बढ़िया क्लीनिंग एजेंट है और इसके बहुत से फायदे हैं

  • कूड़े में नींबू के कटे हुए पीस डालने से बदबू नहीं आती।
  • नीबू के टुकडे़ को चोपिंग ब्लाक में रगड़ें बैकटीरिया कम हो जाते हैं। नीबू घर में पनपने वाले बैकटीरिया को खत्म करने का बहुत असरदार उपाय है।
  • बर्तनों की सफाई के लिए नीबू का रस इस्तेमाल करें।

कईं ऐसे पौधे हैं जो हवा को शुद्ध करते हैं, कईं तरह के धूल-कण को सोखते हैं।
आप कईं ऐसे पौधे घरों के अंदर लगाकर इंडोर पोलूयशन को काफी हद तक कम कर सकते हैं जैसे कि ऐरेका पाम का और बेम्बू प्लांट, तुलसी का पौधा, एलो वोरा जो बहुत ही आसानी से उग भी जाता है। गर्बर डेजी, स्नेक प्लांट, रबर प्लांट, आर्किड प्लांट, ग्रीन स्पाइडर । यदि आपको घर बड़ा है तो घर के आंगन में नीम का पेड़ , क्रिसमिस कैक्टस भी लगा सकते हैं।

इंडोर पोलूयशन से जुड़े कुछ कड़वे सच

  1. इंडियन स्टेट लेवल डीजिज बर्डन { india state level disease burden } की 2017 में की गई एक स्टडी से पता चलता है कि देश में 50 फीसदी प्रदूषण का प्रमुख कारण है खाना पकाने और गर्मी के लिेए जलाए जाने वाले ईधन जैसे गाय का गोबर , चारकोल, लकड़ी आदि है। इससे सांस की बीमारियों, मोतियाबिंद के साथ हार्ट , स्ट्रोक की घातक बीमारियों का बोझ अर्थव्यवस्था पर बढ़ रहा है . लंग कैंसर के कारण जल्दी मौत का शिकार होने वाले लगभग 17 फीसदी मामलों में इसका कारण चारकोल, लकड़ी से की जाने वाली कुकिंग के तरीकों को माना गया है। महिलाओं को ज्यादा खतरा बताया गया है क्योंकि वो सीधा इनके संपर्क में आती हैं।
  2. बहुत बार रसोई का पीएम-2.4 का लेवल बाहर के मुकाबले दस गुना तक ज्यादा रहता है >
  3. वर्ष 2017 में 1.24 मिलियन प्रीमैच्योर डेथ में से 0.48 मिलियन मौतों की जिम्मेदार घरों में जलने वाला ईधन और इंडोर एयरपोलूयशन को बताया गया है।
  4. इसके अलावा कईं स्टडी बहुत पहले ही बता चुकी हैं कि स्ट्रोक के कारण लगभग 12 फीसदी जल्दी होने वाली मौत का कारण हाउसहोल्ड पोलूयशन है।
  5. 28 फीसदी मामलों में निमोनिया के कारण होने वाली मौत का जिम्मेदार भी यही पोलूयशन है।

6 इंडोर पोलूयशन से डरने और इससे बचने की इस समय सबसे ज्यादा जरूरत है क्योंकि जिंदगी का ७०-९०- फीसदी समय आदमी अंदर चार-दीवारों में ही गुजरता है चाहे वो घर हो, आफिस, रेस्तरां, माल या कुछ और जगह। यूएस एनवोरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी { U.S. Environmental Protection Agency } की रिपोर्ट बताती है कि 93 फीसदी अमेरिकन अपना समय इंडोर बिताते हैं और अंदर का प्रदूषण बाहर के मुकाबले 2-5 गुना तक ज्यादा खतरनाक होता है।

Read More

One thought on “INDOOR POLLUTION IS MORE DANGEROUS THAN OUTDOOR”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Get more stuff like this

in your inbox

Subscribe to our mailing list and get interesting stuff and updates to your email inbox.

we respect your privacy and take protecting it seriously